अल्लाहो-अकबर कहें ख़ूं से रंग कर हाथ ! नहीं दरिंदों से जुदा उन-उनकी औक़ात !! निंदनीय ! कायरों का ही काम विध्वंस और ख़ून-ख़राबा होता है … इस कायराना हरक़त के इतने वर्ष बीत जाने के बावजूद अगर बुद्ध और उनके संदेश को नहीं मिटाया जा सका तो इन हमलावरों की पीढ़ियों और समर्थकों को समूची मानव जाति से माफ़ी मांगनी चाहिए …
जिस दिन ये अपने गिरेबान में झाँक के देख लेंगे, सच कहता हूँ दुनिया की आधी आबादी चैन की नींद सोने लगेगी (बाकी आधी पर किसी चीज़ का असर नही होता है...) खैर... अभी तो झेलना ही है...चाहें हस के चाहें ...
जिस दिन ये अपने गिरेबान में झाँक के देख लेंगे, सच कहता हूँ दुनिया की आधी आबादी चैन की नींद सोने लगेगी (बाकी आधी पर किसी चीज़ का असर नही होता है...) खैर... अभी तो झेलना ही है...चाहें हस के चाहें ...
किसी भी धरोहर को नष्ट करना गलत है और यह प्राकृतिक नियमों का उल्लन्घन् है
ReplyDeleteशर्मनाक...
ReplyDeleteशर्मनाक है यह व्यवहार, पर यह पहली बार नहीं हुआ है।
ReplyDeleteधर्म बस पंगे ही डालता है
ReplyDeleteइनको सब अलाऊड है जी, ऐसा करके भी तो सबाब मिलता है।
ReplyDeleteअल्लाहो-अकबर कहें ख़ूं से रंग कर हाथ !
नहीं दरिंदों से जुदा उन-उनकी औक़ात !!
निंदनीय !
कायरों का ही काम विध्वंस और ख़ून-ख़राबा होता है …
इस कायराना हरक़त के इतने वर्ष बीत जाने के बावजूद अगर बुद्ध और उनके संदेश को नहीं मिटाया जा सका तो इन हमलावरों की पीढ़ियों और समर्थकों को समूची मानव जाति से माफ़ी मांगनी चाहिए …
जिस दिन ये अपने गिरेबान में झाँक के देख लेंगे, सच कहता हूँ दुनिया की आधी आबादी चैन की नींद सोने लगेगी (बाकी आधी पर किसी चीज़ का असर नही होता है...) खैर... अभी तो झेलना ही है...चाहें हस के चाहें ...
ReplyDeleteसादर
ललित
जिस दिन ये अपने गिरेबान में झाँक के देख लेंगे, सच कहता हूँ दुनिया की आधी आबादी चैन की नींद सोने लगेगी (बाकी आधी पर किसी चीज़ का असर नही होता है...) खैर... अभी तो झेलना ही है...चाहें हस के चाहें ...
ReplyDeleteसादर
ललित
satyaa naash
ReplyDeletesatyaa naash
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