Friday, March 4, 2011

ऐसा क्यूँ नहीं कर पायी मैं ?


क्या जाने..!
आँसूओं का मौन 
कुछ कह भी पाता है
या
नहीं,
खिड़की से सिर निकाल कर
देखा तो था एक बार
अपने शहर को,
उस आँगन को,
उन गलियों को,
जहाँ मैं खेली थी,
धूल में
ग़ुम हो गए थे 
दो बूँद आँसू,
मन ही में
अलविदा कह कर,
खींच ली थी
गर्दन मैंने 
खिड़की के अन्दर,
पर पलकों पर
इक साया उभर ही आया था,
जीर्ण सी चारपाई 
पर
पड़ी हुई काया,
मानो मुझे आँखों से
ही पुकार रही थी,
मन में करुणा और प्रेम के
कितने तूफ़ान आये थे,
जी तो किया था
रुक जाऊँ,
पहुँच जाऊँ
अपनी माँ के पास,
लेकिन चाह कर भी
ऐसा क्यूँ नहीं कर पायी मैं ? 
सुहानी चांदनी रातें, हमें सोने नहीं देतीं....  आवाज़ 'अदा' की.. 

23 comments:

  1. बेटियां कितना कुछ चाह कर भी नहीं कर पाती हैं ..
    एक शहर , एक देश में फिर भी कुछ गुन्जायिश होती है , प्रवासियों की मुश्किल को समझा जा सकता है !

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  2. पुरानी गहरी और अमिट यादों को अच्छी तरह समेट कर प्रस्तुत किया है आपने अपनी कविता में.
    मुक्ति फिल्म का ये गाना male voice में है. मुझे बहुत पसंद है और पूरा याद भी है. आपकी aavaz में सुना,अच्छा लगा.

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  3. ..........
    ..........
    aisi yadon se abad hai ye adhi duniya........

    pronam.

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  4. अपनी अंतरात्मा से सवाल पूछती हुए नायिका की ब्यथा कथा का सुन्दर चित्रण ..

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  5. एहसास से भरी अच्छी नज़्म

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  6. sahmat hoon, betiyon ke liye...pura bachpan beeta deti hai, lekin wo apna ghar nahi ho pata..!

    ek bahut pyari si kavita...dil pe chhap chhodne wali..

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  7. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (05.03.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  8. नारी हॄदय के जज्बातों को बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत किया है आपने, बहुत कुछ अनकहा, अनसुना रह जाता होगा।
    गाना हमेशा की तरह बेहद मधुर लगा।
    आभार।

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  9. आँसुओं का कोई मोल नहीं, केवल भावनायें ही समकक्ष हैं।

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  10. जिन्दगी के कुछ लम्हें ऐसे होते है जब हम चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते है।

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  11. सुहानी चांदनी रातें, हमें सोने नहीं देतीं.... आपकी आवाज़ में जादू है 'अदा' जी.
    सुन्दर लेखनी .....
    सुन्दर दिलकश आवाज़....क्या खूब ....

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  12. Wonderful post ....... Beautiful expression!

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  13. गहन संवेदना से परिपूर्ण बहुत मर्मस्पर्शी रचना...

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  14. मन की व्यथा का बहुत मर्मस्पर्शी चित्रण

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  15. नारी की विवशता और व्यथा का बेहतरीन चित्रण -

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  16. @ वाणी जी,
    आपने मेरे मनोभाव समझा...आभारी हूँ..
    यूँ तो देश में हो या विदेश में...व्यथा की परिभाषा या परिमाण एक ही होता है...

    @ कुँवर जी,
    कुछ यादें ता-उम्र होती हैं ..साथ-साथ..
    शुक्रिया..

    @ मृदुला जी,
    आपका हृदय से धन्यवाद..

    @ मौदगिल जी,
    आपको पसंद आई कविता..मेरा मनोबल बढ़ा..
    आभार स्वीकार करें..

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  17. @ संजय झा जी,
    सही कहा आपने यह हर नारी हृदय की व्यथा है...
    धन्यवाद..

    @ आशुतोष,
    हर नारी की व्यथा कथा तो है ये..परन्तु क्या ही अच्छा हो अगर इसे हर पुरुष भी समझ जाए..
    अच्छा लगा तुम्हारा यहाँ आना..
    ख़ुश रहो..

    @ संगीता दी,
    आभारी हूँ...आप आईं..

    @ मुकेश जी,
    बेटियाँ सचमुच सारी उम्र बँटी रह जातीं हैं...उनका घर कौन सा है यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका जवाब उन्हें कभी नहीं मिल पाता..
    आभार स्वीकार करें..

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  18. @ सत्यम,
    मेरी रचना को इस योग्य समझा ...
    आभारी हूँ

    @ मो सम कौन जी,
    यूँ तो ईश्वर ने नर-नारी दोनों को ही बनाया है..बस नारी को थोड़ा ज्यादा भावुक बना दिया है...साथ ही कुछ दुःख ऐसे दे दिए हैं जिनका स्वाद लेना सिर्फ़ नारी के ही हिस्से में है...यह भी एक ऐसा ही दुःख है...अपने पेड़ से टूट जाने का दुःख...एक डाली से कोई पूछे...!

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  19. @ प्रवीण जी,
    सही कहते हैं आप आसूओं का कोई मोल नहीं लेकिन उससे जुड़ी भावनाएं अनमोल हैं...
    आभार..

    @ ehsaas ,
    जीवन की इस विवशता से हम स्त्रियों को दो-चार होना ही पड़ता है...कहते हैं लोग कि यह विधि का विधान है...
    परन्तु यह विधान हमारे लिए ही क्यूँ है ?
    शुक्रिया..

    डॉ. वर्षा,
    मुझे ये गीत बहुत पसंद है...वैसे तो ये मुकेश जी के सदाबहार आवाज़ में है परन्तु मुझे इतना पसंद है कि गाने का लोभ संवरण नहीं कर पाई..
    आपने पसंद किया ..हृदय से धन्यवाद स्वीकार करें...

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  20. @ डॉ. शरद,
    आप आईं बेहद्द ख़ुशी हुई..
    सच कहूँ तो मेरा मान बढ़ाया आपने..
    आभार स्वीकार करें..

    @ कैलाश जी,
    एक संवेदनशील व्यक्ति ही..संवेदना को समझ सकता है...
    और आप निश्चित तौर पर संवेदनशील हैं...
    आपका शुक्रिया.

    @ रजनीश जी,
    मेरी भावनाओं को आपने समझा ...बहुत है मेरे लिए..
    धन्यवाद..

    @ अनुपमा जी,
    आप मेरे दिल कि बात नहीं समझेंगी 'ऐसा हो नहीं सकता'..
    हम दोनों एक ही डगर के मुसाफिर हैं..
    हृदय से आभारी हूँ..

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  21. सुहानी चांदनी रातें, हमें सोने नहीं देतीं....
    'अदा' जी
    मुझे ये गीत बहुत पसंद है
    आपकी आवाज़ में जादू है
    सुन्दर लेखनी ..... धन्यवाद
    बेटियाँ सचमुच सारी उम्र बँटी रह जातीं हैं.

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