Thursday, March 3, 2011

कम से कम मुझसे ज़रा सी तुम नफ़रत तो कर लो....


सचमुच   !!
मेरे मन के आँगन में
उसका इक ख़त आया है,
जाने कैसा है वो
सच है या साया है,
लिखा है ..
तुम्हारी मुस्कुराहट
ग़ज़ल बन कर 
सामने फैले कागजों में
पसर जाती है,
तुम्हारा अंदाज़
मेरे जीने का सबब बन जाता है,
मैं तुमसे कुछ नहीं मांगता,
बस मोहब्बत करने की
इजाज़त  दे दो,
ज़िन्दगी की दीवारों
से टकरा कर
मैं बार-बार बिखर जाता हूँ,
दरक रहे हैं
हकीक़त के महल
जाने कैसी दलदल में,
सारी शोखी उदास शामों
में ढल कर
अंधेरों में डूब चुकी,
मैं उजालों से अपने लिए
लड़ता हूँ,
बस इक ज़रा तुम
मेरा साथ दे दो ना,   
मैं ख़ुशी से जी जाऊँगा
अपनी अधूरी सी ये ज़िन्दगी,
कम से कम मुझसे
ज़रा सी तुम
नफ़रत तो कर लो....
   
बेक़रार दिल तू गाये जा....आवाज़ 'अदा' की ...




14 comments:

  1. कुछ मांगता भी नहीं
    और इजाजत भी दे दो ...
    जरा मेरा साथ दे दो ...
    जरा सी नफरत भी दे दो ...
    न न करते कितना माँगा है ...चतुर प्राणी !:)

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  2. बहूSSSत नाइंसाफी है!
    इन ज़ालिमों के ज़ुल्म का शिकवा करें कहाँ
    मांगा ज़रा सा साथ था वो छोड गये जहाँ ||

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  3. प्रश्न हो या उत्तर, बस संवाद बना रहे।

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  4. मुहब्बत या नफ़रत कुछ भी चलेगा ! बहुत अच्छी लगी आपकी रचना !

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  5. वाह!!! क्या बात है...

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  6. वाणी जी का कमेन्ट बहुत witty और मज़ेदार है.मैं उनके कमेन्ट से सहमत हूँ.
    As usual,song is wonderful in your sweet voice.

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  7. बढ़िया रचना!
    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  8. Mere liye ek dua karen....ki kisi din aap jaisa sashakt likh paun!

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  9. बहुत खूब.
    नफरत क्या माँगी सब कुछ मांग लिया.
    सलाम.

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  10. दरक रहे हैं
    हकीक़त के महल
    जाने कैसी दलदल में,
    सारी शोखी उदास शामों
    में ढल कर
    अंधेरों में डूब चुकी,

    अच्छी लगी आपकी रचना

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  11. खत की क़ता जी का जंजाल बन गई :(

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  12. बुद्धू समझ रहा है क्या? सब कुछ तो मांग लिया और कहता है कि कुछ नहीं मांगता।
    फ़ाड़ फ़ेंकिये ऐसे बंदे का खत, हां नहीं तो:))

    आप गाये जायें बस्स, खुशियों से भरे ये तराने, कितने सारे लोग हैं जो इतने मनोयोग से सुनते हैं।

    सुकरिया।

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  13. बहुत अच्छी लगी आपकी रचना !

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  14. Good one dear!! Very emotional

    Regards,
    Dimple

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