Sunday, September 30, 2012

जीवन एक बहुत ही ख़ूबसूरत उपहार है....

जीवन की सच्चाईयां कितनी निर्मम होतीं हैं और इनसे पलायन कितना आसान । आज की भागती-दौड़ती ज़िन्दगी में तनाव और चिंता के इतने कारण होते हैं हमारे पास, कि हम ऐसी दुनिया में भाग जाना चाहते हैं, जहाँ इतना अँधेरा न हो। जहाँ सबकुछ हमारे हिसाब से हो रहा हो। बिलकुल किसी ख्वाब की तरह।

यह एक विशिष्ट स्थिति है जिससे हममें से कई अक्सर दो-चार होते ही रहते हैं। , जी हाँ मैं बात कर रही हूँ oversleeping की। अक्सर हम तनाव से दूर भागने के लिए,  पहले तो दिवास्वप्न में खो जाते हैं, फिर सोते हैं और फिर और ज्यादा सोते हैं। oversleeping वास्तव में,  जीवन में असंतोष का परिचायक है। दिवास्वप्न से हम खुद को ऐसी जगह भगा ले जाते हैं, जहाँ चीज़ें उतनी उदास नहीं होतीं, हर बात हमारे मन अनुसार होता है, कहीं कोई बंधन नहीं, सपने और सोच की कोई सीमा नहीं होती। दिवास्वप्न के बाद, हम सो जाते हैं फिर हम सोते ही जाते हैं।

अगर आप अपने जीवन से पूरी तरह संतुष्ट हैं, तो क्या सचमुच आप oversleep करेंगे ? क्या आप सोकर जब उठेंगे तो खुद को थका हुआ पायेंगे ? ज़रा सोचिये .... !

जब हम खुश होते हैं, या ख़ुशी का अतिरेक हो तो, नींद या ना नींद कोई फर्क नहीं पड़ता, और तब अगर हम सो भी जाते हैं, तो सुबह में हमारे चेहरे पर एक मुस्कान होती है, चेहरे पर लावण्य  होता है। जब आप अपने जीवन में खुश होते हैं, तो आप जागते रहना चाहते हैं, अपने जीवन के हर पल को आप भरपूर जीना चाहते हैं। थकान आपको छू कर भी नहीं जाती।

हम तो यही कहेंगे, जीवन एक बहुत ही ख़ूबसूरत उपहार है, इसका आनंद लीजिये, जी भर कर इसे जीईए, oversleeping से खुद को हर हाल में दूर रखें। oversleeping के लिए आपके पास पर्याप्त समय होगा, जब आप सचमुच चिरनिंद्रा में चले जायेंगे। 




8 comments:

  1. हमें तो अभी भी आनन्द आ रहा है, सोने का मन करता है तो सो लेते हैं..

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  2. पलायन या परिस्थिति से बचाव, समय के अनुसार प्रवास, स्व के लिए संघर्ष, अभी तो जी लें फिर बच गए तो सोचेंगे, जिंदा बचे तब ही कुछ कर पाएंगे, जाओ भाग जाओ सबसे पहले प्राण बचाओ आदि आदि काव्य मञ्जूषा जी आपने मेरे आने वाले पोस्ट का आगाज़ किया धन्यवाद . बहुत सुन्दर या कहूँ खुबसूरत चेतावनी के लिए आभार

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  3. कम ही मौके मिले हैं ओवर स्लिपिंग के...पर बुरा नहीं रहा अक्सर

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  4. अति तो हर चीज की ही बुरी होती है, निद्रा हो या अनिद्रा| जिन्हें अनिद्रा की परेशानी है, वो हरदम अपने साथ नींद की गोलियाँ रखते हैं| दिक्कत तो अतिनिंद्रा वालों के लिए है, वो कौन सा गोला या गोली अपने पास रखें?

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  5. बिल्कुल सही कहा आपा आपने। आदमी के पास चिरनिद्रा में लीन होने का अंतहीन समय है। कर्म जीवन का सत्य है। इसी में लीन रहना चाहिए, आदमी जबतक गतिमान है।

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  6. सद्कर्मी का जागना भला!! दुष्कर्मी का सोते रहना!!

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