मेरा भारत महान ...!!!
भारतीय संस्कृति और सभ्यता का लोहा सारा संसार मानने लगा है। नहीं मानने की हिम्मत भी भला कैसे कोई कर सकता है। क्योंकि विनम्रता, सहनशक्ति, अनुशासन, ब्रह्मचर्य, जीतेंद्रीय, सेवा, भक्ति और न जाने कितने ही ऐसे गुण और संस्कार से हमारी धरती ओत-प्रोत है। हर चेहरे पर संस्कार का परनाला बहता नज़र आता है। यहाँ का हर प्राणी इतना संस्कारवान है कि यहाँ संस्कार की एजेंसी खोल लेनी चाहिए। यही क्यों संसार के सारे देशों में भारतीय संस्कार की फ्रेंचाइस खोलनी चाहिए। सभ्यता, संस्कृति, संस्कार सिर्फ और सिर्फ भारत में ही प्राप्य है। दुनिया में और कहीं ये सब नहीं मिलता है। बल्कि भारतीयों ने तो इन सारे गुणों का पेटेंट कराया हुआ है। किसकी हिम्मत जो इन सारे गुणों और संस्कारों पर अपना अधिकार दिखाने की ज़हमत भी करे। मुंह न तोड़ देंगे हम भारतीय उनका, जो भी ये कहेगा कि हमसे ज्यादा संस्कारवान वो है !!!!
और नारियाँ ?? अजी उनकी हिम्मत कैसे होती है घर से बाहर जाने की, नौकरी करने की, कुछ कर दिखाने की, यूँ कहिये कि सपने देखने की भी हिम्मत कैसे कर जातीं हैं ये लडकियां। सारा कसूर नारी/महिला/स्त्री/लुगाई/लड़की/बालिका जो भी आप को सही लगे वही बुला लें, बस उनका ही है। घर में ही बंद रहा करें सब की सब, बल्कि मैं तो कहती हूँ जन्म लेना ही बंद कर दें अब कन्याएं।
और अगर जन्म ले ही लिया है तो नारी/महिला/स्त्री/लुगाई/लड़की/बालिका, अब मान क्यों नहीं लेतीं, रेप हो जाना उनका कर्तव्य है और रेप करना पुरुषों का अधिकार।
अगर जो ये नहीं मंज़ूर तो आईये शपथ लें हम नारियां, कन्या रूप में अब हम जन्म नहीं लेंगीं और कन्या को जन्म भी नहीं देंगीं, भारत में । पश्चिम तो वैसे भी चांडालों का देश है, जिसने सारे कुसंस्कारों से भारतीयों का दिमाग हिला दिया है। पश्चिम ने भारतीयों की कनपट्टी पर बन्दूक तान कर उनसे कह दिया कि अगर तुमने हमारी सभ्यता (जो कुछ लोगों के हिसाब से बहुत-बहुत खराब हैं। कैसे हैं मुझे नहीं मालूम, क्योंकि मैंने जितने भी देखे हैं, सब इंसान ही नज़र आयें हैं, वहशी एक भी नहीं मिला है) नहीं अपनाया तो जिंदा नहीं रहोगे । भारत की तरफ ही उनके न्यूक्लियर बम का निशाना सधा हुआ है। अगर जो भारतीयों ने नहीं अपनाए पश्चिमी सभ्यता, पश्चिम वाले फट दाग देंगे निशाना।
इतना ही रायता थोड़े ही फैलाया है पश्चिम ने, पश्चिम वालों ने तो सारे भारतीय रेपिस्ट्स के घर जा जा कर रेप करने का क्रैश कोर्स दे दिया है। तभी तो भारत में इतने 'रेप लाल' पैदा हो रहे हैं। बहुत बहुत ख़ाना-खराब किया है पश्चिम ने भारत का। पश्चिम वाले तो सतुवा बाँध कर निकले हैं घर से, भारतीयों की मिटटी पलीद करने और कोई काम थोड़े ही न है उनके पास। उनकी सारी इकोनोमी, और सारा एडमिनिस्ट्रेशन बस इसी फ़िक्र में दुबला हुआ जा रहा है कैसे भारतीयों को संस्कारहीन करें। और बेचारे भोले-भाले भारत के वासी उनकी बातों में आकर अपनी महान संस्कृति की भद्द-पीट लेते हैं।
रेप करने वाले बेचारों का कोई दोष नहीं है, सारा का सारा दोष या तो पश्चिम का है या फिर लड़कियों का। भोले-भाले रेप करने वाले तो बस अपना फर्ज़ पूरा कर रहे हैं। ये भोले-भाले रेपिस्ट्स तो बहुत दया के पात्र हैं। कभी उनको पश्चिम बरगला देता है और कभी लडकियाँ।
इसलिए प्रेम से बोलिए सारे रेपिस्ट जिंदाबाद, भारतीय संस्कृति जिंदाबाद, पश्चिमी संस्कृति मुर्दाबाद !!!!!
हाँ तो बालिकाओं अपनी पैदा होने की गलती पर पछताओ, रेप हो जाने की तैयारी में जुट जाओ। और अगर इतना ही बुरा लगता है तो बस करो इस दुनिया में आना। ईश्वर से प्रार्थना करो कि अब कन्याओं को इस धरती पर कभी न भेजें। और अगर भेज भी दिया तो रेप को झेल जाने का मादा देकर भेजें।
हाँ नहीं तो ..!!
Six arrested for gang rape in Punjab
RAHUL BEDI in New Delhi
Six men have been arrested in India’s northern Punjab state at the weekend for raping a 29-year old woman, three weeks after a similar gang rape and murder in a moving bus in New Delhi triggered nationwide protests and demands for stricter laws for sexual crimes.
Police said the victim had boarded a bus at a village in Gurdaspur district, 480km north of New Delhi, on Friday evening headed for her in-laws’ home.
She was the only passenger aboard and the driver and conductor refused to halt at her stop despite repeated pleas.
They drove her to a secluded building where the two were joined by five others, all of who took turns raping her throughout the night, police said.
The driver dropped the woman off at her destination early on Saturday where police said she was undergoing treatment at home. Police soon arrested six suspects and claimed to be looking for the seventh.
Rapes “admitted”
Deputy superintendent of police Gurmej Singh said all six had admitted involvement in the rape.
Partap Singh Bajwa, MP for the region where the gang rape occurred, blamed the police for not enforcing stringent checks on buses operating in the state. “It all happened due to laxity of the police,” Mr Bajwa said.
This sexual assault is chillingly similar to the December 16th gang rape and murder of a 23-year-old student in Delhi for which five men are on trial. A sixth male, reportedly aged 17, is to be tried in a juvenile court.
According to official statistics, a rape takes place in India every 28 minutes, with a large proportion never being reported. With more than 600 rape cases registered last year, Delhi has been dubbed by the media as India’s “rape capital”.
Death penalty call
Meanwhile, in her first published comments, the mother of the student who died, who remains officially unnamed, said that all six suspects, including the juvenile charged with the gruesome crime, should be hanged.
She was quoted by the Times of India as saying that her daughter – who died two weeks after the attack in a Singapore hospital from horrific internal injuries – told her that the juvenile was the most brutal of the group.
“The boy everyone calls a juvenile beat her with an iron rod. He inserted it into her body till it went all the way up and then he yanked it out with her intestines,” the mother said, quoting her daughter.
“As she shouted for him to stop, he screamed abuses saying ‘Die’, yet the law calls him a juvenile,” she added, agitatedly. “Now the only thing that will satisfy us is to see them punished. For what they did to her, they deserve to die.”
The five charged with the woman’s rape and murder could face the death penalty if convicted. The maximum sentence for the minor suspect, if found guilty, would be three years’ incarceration in a juvenile facility.
Elsewhere, police in western India arrested a 32-year-old man on Saturday for allegedly abducting, raping and killing a nine-year-old girl.
अभी तो पहला पैरा पढ़ कर ही हंसी नहीं रुक रही, किसी पुरुष के लिए तो कहते हैं शांत गदाधारी भीम शांत.... स्त्रियों के लिए कहते है, ऐसा कुछ ?? :)
ReplyDeleteअरे रश्मि काहे नहीं कह सकते हैं, एकदम कह सकते हैं ...
Deleteबोलो, शान्त अदाधारी शान्त :):)
लेकिन हम तो शान्ते बैठे हैं, हमरी इतनी मजाल कहाँ !!
दुनिया को बदलने का ठेका हमने थोड़े ही लिया है, हम तो दर्शक दीर्घा वाले लोग हैं। हैं बड़े-बड़े महानुभाव जो दुनिया को बदल ही देंगे। हम तो ठहरे काठ के उल्लू जो कभी इस दुनिया, तो कभी उस दुनिया में घूम रहे हैं। हम का जाने संस्कार, सभ्यता, संस्कृति किस चिड़िया का नाम है। धोबी के गधे हैं हम, न घर के न घाट के। बकिया हैं लोग जो रिमोट से हर देश की संस्कृति और सभ्यता का पंचनामा करते रहते हैं और बता देते हैं कि भारत का कबाड़ा पश्चिम ने कर दिया है, लड़की लोग अपना मुंह, कान आँख नाक सब बंद रखें, घर के बाहर कदम भी नहीं रखें, तो सब कल्याण होवेगा । तालेबान की हिमायत भी करते हैं और तालेबान को दुसमन भी कहते हैं। बहुते पहुंचे हुए लोगों से भारत आबाद है रानी !!! भारत का भविष्य उजर-उजर है, कौनो चिन्ते ही बात नहीं है
हाँ नहीं तो ..!!
आज ही मुंबई मिरर में ये फ्रंट पेज़ न्यूज़ है कि ठाणे के पुलिस विभाग ने यह नियम बनाये हैं कि आठ बजे शाम के बाद रास्ते पर लड़के-लड़कियों को एक साथ देखा गया तो उनपर 1200 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा और मोरल लेक्चर दिए जायेंगे। जुरमाना न दिए जाने की दशा में उनके पैरेंट्स को पुलिस स्टेशन बुलाया जायेगा और उनसे पैसे लिए जायेंगे। 16 दिसंबर से यह नियम लागू हुए हैं और अब तक 64 लोगो को बुक किया जा चुका है। यहाँ तीन दिसंबर को जब एक युवक संतोष विचिवोरा ने अपने पड़ोस की एक लड़की के साथ छेड़छाड़ का विरोध किया तो छेड़छाड़ करनेवाले उन गुंडों ने उसकी हत्या कर दी। ये दोनों अपने अपने ऑफिस से लौट रहे थे । दोनों बस से उतर कर साथ साथ अपनी बिल्डिंग की तरफ जा रहे थे तभी बदमाशों ने उनसे छेड़छाड़ शुरू कर दी . पुलिस का कहना है कि न तो वो लड़की उसके साथ होती,न उसके साथ छेड़छाड़ की जाती न ही 'संतोष विचिवोरा' उसका विरोध करते और न उनकी ह्त्या होती।
Deleteअब अगर एक ही बिल्डिंग में रहने वाले के लड़के-लड़की अगर किसी कोचिंग क्लास से लौट रहे हों या किसी फ्रेंड की बर्थडे पार्टी से तो उन्हें सड़क के दोनों तरफ अकेले अकेले चलना होगा ,वरना पुलिस फाइन कर देगी। वैसे लड़कियों को शाम आठ बजे के बाद सड़क पर अकेले चलने की भी इजाज़त नहीं है। इसका अर्थ यही है कि लडकियां शाम आठ बजे के बाद घर से नहीं निकल सकतीं।
ये पुलिस दल इस तरह के गुंडों-मवालियों पर नज़र क्यूँ नहीं रखते उनपर जुरमाना क्यूँ नहीं लगाते कि वे छेड़छाड़ की ऐसी हरकतें न करें। यानि कि पुलिस भी उनसे डरती है और सामान्य नागरिकों को भी यही सलाह है कि उनसे डर कर रहो। खासकर लड़कियों को . और सब तरफ अमन-चैन पसरा होगा
वाह रे हिन्दुस्तान की व्यवस्था !
Deleteकान इधर से पकडें या उधर से, पकड़ना कान ही है ...
मेरे हिसाब से अब हिन्दुस्तान में शरियत लागू हो ही जाना चाहिए ...क्योंकि यहाँ की जनता इसी क़ाबिल है ...
ओह!! प्रथम पैराग्राफ के बाद तो व्यंग्य बहुत ही तीखा और कड़वा हो गया, सच जो था।
ReplyDeleteलड़कियों का मुहं खोलना घोरतम अपराध है यहाँ। लड़कियों अगर जन्म लो तो फिर चुपचाप जैसे आदेश दिए जाएँ,उनका पालन करो, फिर देखो कैसी शान्ति पसरी रहती है चहुँ ओर
सब कुछ वैसा ही चलता आएगा जैसा सदियों से चलता आ रहा है और हमारे देश की महान संस्कृति के गुण गाये जाते रहेंगे। लडकियाँ भी गर्व करेंगी,अपने महान देश पर।
जो भी हो रहा है बहुत शर्मनाक है। उस पर कई तथाकथित विद्वान लोग जाने-अनजाने अपने कुतर्कों से अपराधियों का मनोबल ऊंचा और पीड़ितों का नीचा करते जा रहे हैं। बदलना होगा, बदलना ही होगा ...
ReplyDeleteअरे अनुराग जी,
Deleteऐसन बात आप कैसे कह सकते हैं ! जितने महान लोग भारत में बसते हैं, उतनी तो आबादी भी नहीं है अमेरिका और कनाडा को मिला कर। फिर हमलोग तो वैसे भी ब्लैक शीप ऑफ़ दी फॅमिली हैं, जो गलती से भारत भी देख लिए और पश्चिम भी। जिस देश में लोगों की समस्या का निदान तोता तक पर्ची निकाल कर कर सकता, जब ऊ देश के लोग कह रहे हैं कि समस्या की जड़ पश्चिम में है, तो ठीके न कह रहे होंगे। आप भी न समझते नहीं है :)
हाँ बदलना तो होगा, लेकिन सिर्फ लड़कियों को। इसी बात पर हम कन्या भ्रूण हत्या का समर्थन करती हूँ। अब कोई कन्या को जन्म न देवें। जो जो जो गलती से पैदा हो गयीं हैं सब बुरका पहिन कर घर में बैठ जावें समस्या ख़तम हो जायेगी।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteविचारणीय आलेख!
मकरसंक्रान्ति की शुभकामनाएँ।
॒@ अगर जो ये नहीं मंज़ूर तो आईये शपथ लें हम नारियां, कन्या रूप में अब हम जन्म नहीं लेंगीं और कन्या को जन्म भी नहीं देंगीं, भारत में -
ReplyDeleteगलत बात। शपथ ये लेनी चाहिये कि सब पुरुषों को समाज से बाहर कर देंगी आप नारियां।
अजी हमरी इतनी औकात कहाँ ?
Deleteअभी तक जो दिल्ली कांड में स्वयं सिद्ध आरोपी हैं, उनका बाल भी बांका हम नहीं कर पायीं। पुरुषों को समाज से बाहर करेंगीं हम ?
और का हम बाहर करेंगी तो ऊ बाहर हो जायेंगे, कूदते-फाँदते !!!! अपने हसबैंड को तो हम एक बात नहीं मनवा पाते, हम ही मान जाते हैं।
पुरुषों को हम समाज से बाहर करेंगी ...हुंह
रहने दीजिये ई सब पिरोग्राम। जिनको सुधारना है सुधरें, नहीं सुधरना है भाड़ में जाएँ, हमरी बला से । अच्छा मजाक करते हैं आप
मरम न कोउ जाना, खोल का ढोल पीटने वाले कहाँ मर्म जान पायेंगे।
ReplyDeleteकिसी भी समस्या का समाधान एक बारगी निकाल पाना कठिन होगा किन्तु नामुमकिन तो बिलकुल नहीं त्वरित सजा का प्रावधान हो जिस पर सुप्रीम कोर्ट या राष्ट्रपति भी सुनवाई न करें
ReplyDeleteअदा धारी! :)
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