Thursday, January 31, 2019

रिश्ते...

ब्लाॅग लिखने से बढ़िया कुछ नहीं...:-) :-)
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वक़्त की साज़िश से,
रिश्ते पनप तो जाते हैं,
मगर उनको कहानी बनते,
देर नहीं लगती ...
रूहानी पंख लिये,
वो सरपट भागते सपने,
विवशता के कुएँ में जब,
औंधे गिरते हैं तो,
क़समों और वादों की सिर्फ़,
गूँज ही सुनाई पड़ती है,
और बची-खुची उम्मीद को तो,
साँप ही सूँघ जाता है....

27 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-02-2019) को "ब्लाॅग लिखने से बढ़िया कुछ नहीं..." (चर्चा अंक-3234)) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सही बात चिट्ठाकारी से बढ़िया कुछ नहीं। सुन्दर रचना।

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन प्रथम परमवीर चक्र से सम्मानित वीर को नमन : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  4. 4 saal baad mile....sundar kavita ke saath......pranam.

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  5. Glad to read your poem after such a long time.

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  7. वक़्त की साज़िश से,
    रिश्ते पनप तो जाते हैं,
    मगर उनको कहानी बनते,
    देर नहीं लगती ...
    रूहानी पंख लिये,
    वो सरपट भागते सपने,
    विवशता के कुएँ में जब,
    औंधे गिरते हैं तो,
    क़समों और वादों की सिर्फ़,
    गूँज ही सुनाई पड़ती है,
    और बची-खुची उम्मीद को तो,
    साँप ही सूँघ जाता है....


    bhai deep hai yaar teri ye lines tu ye pas aur website pr aaja

    वक़्त की साज़िश से,
    रिश्ते पनप तो जाते हैं,
    मगर उनको कहानी बनते,
    देर नहीं लगती ...
    रूहानी पंख लिये,
    वो सरपट भागते सपने,
    विवशता के कुएँ में जब,
    औंधे गिरते हैं तो,
    क़समों और वादों की सिर्फ़,
    गूँज ही सुनाई पड़ती है,
    और बची-खुची उम्मीद को तो,
    साँप ही सूँघ जाता है....

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  8. रिश्तों का सटीक विश्लेषण

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  10. Aaj mujhe bhi aisa lagta hai ki koi Sarthi Chahiye.

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  12. यह कविता मुझे बहुत सुंदर लगी जिस गहराई से आपने जानकारी दी है अपनी भावनाएं व्यक्त की है वह अद्भुत है ।

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