न दीपक नहीं चाँदनी पर भरोसा
मैं करके चली थी किसी पर भरोसा
मैं करके चली थी किसी पर भरोसा
चलो पत्थरों को भी अब आज़माएँ
बहुत कर लिया आदमी पर भरोसा
बहुत कर लिया आदमी पर भरोसा
वो करता रहा इसलिए ज़ुल्म मुझ पर
उसे था मेरी ख़ामुशी पर भरोसा
भरोसे के क़ाबिल तो बस मौत ही है
न कर बेवफ़ा ज़िन्दगी पर भरोसा
मैं ख़ुद पर भरोसा नहीं रख सकी जब
तो करने लगी हर किसी पर भरोसा
अँधेरा हुआ तब उसे नींद आई
जिसे था बहुत रौशनी पर भरोसा
दिखावे से लबरेज़ थी तेरी महफ़िल
मैं करके लुटी सादगी पर भरोसा
चलो पत्थरों को भी अब आज़माएँ
ReplyDeleteबहुत कर लिया आदमी पर भरोसा
...वाह...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
कैलाश जी,
Deleteआभारी हूँ।
बहुत सुंदर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : खुशियों की बात हो
आपका धन्यवाद राजीव जी।
Deleteबहुत सुन्दर। क्या आप कुशल हैं? इधर आशंका है। कृपया अपनी कुशलक्षेम से अवगत कराएं।
ReplyDeleteविकेश,
Deleteमैं बिल्कुल अच्छी हूँ, तुमने मेरी सुध ली, बहुत ख़ुशी हुई।
आशा है तुम भी अच्छे होगे।
हैपी बिलेटेड होली।
विर्क जी,
ReplyDeleteआपका धन्यवाद !
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
ReplyDeleteअँधेरा हुआ तब उसे नींद आई
जिसे था बहुत रौशनी पर भरोसा
दिखावे से लबरेज़ थी तेरी महफ़िल
मैं करके लुटी सादगी पर भरोसा
सक्सेना साहेब,
Deleteआपने पसन्द किया, आपका शुक्रिया।
wah bahut khubsoorat gazal
ReplyDeleteरेवा जी,
Deleteसबसे पहले तो आपका स्वागत है और आपकी हौसलाअफ़्ज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
वाह, बहुत सुन्दर ग़ज़ल
ReplyDeleteआपका धन्यवाद ओंकार जी।
Deleteबहुत खूब!
ReplyDeleteआयुर्वेदा, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योगा, लेडीज ब्यूटी तथा मानव शरीर
ReplyDeletehttp://www.jkhealthworld.com/hindi/
आपकी रचना बहुत अच्छी है। Health World यहां पर स्वास्थ्य से संबंधित कई प्रकार की जानकारियां दी गई है। जिसमें आपको सभी प्रकार के पेड़-पौधों, जड़ी-बूटियों तथा वनस्पतियों आदि के बारे में विस्तृत जानकारी पढ़ने को मिलेगा। जनकल्याण की भावना से इसे Share करें या आप इसको अपने Blog or Website पर Link करें।