गाड़ी प्लेटफार्म पर रुकी हुई थी, शरारती लड़कों का जत्था, बोगी में सवार था, और जोर-जोर से प्लेटफार्म पर खड़ी एक 16-17 साल की लड़की को, बोगी में चढ़ने के लिए आवाजें लगा रहा। लड़की बिलकुल भी आना नहीं चाह रही थी, वो बार-बार मना कर रही थी, लेकिन एक लड़का बार-बार उसे आवाज़ देता ही जा रहा था, जब लड़की नहीं मानी तो, लड़के ने जेब से मोबाईल निकाल लिया, और लड़की को दिखाया ... मोबाईल देखते ही लड़की बिना ना-नुकुर किये दौड़ती हुई, बोगी में सवार हो गयी। आख़िर ऐसा कौन सा वशीकरण मन्त्र था, उस मोबाईल में ??? सोचने को विवश करता है ....!
मैं राँची में थी, अभी दो दिन पहले तक ...
एक और वाकया ऐसा हुआ, जिसे सुन कर ही रोंगटे खड़े हो गए। मोहल्ले का एक लड़का है, बहुत ही शरीफ़ और खानदानी। घर आया था मिलने मुझसे, दीदी कहता है, उतनी ही इज्ज़त देता है। इस घटना के बाद, उसके लिए मेरे मन में और भी स्नेह उभर आया।
हम बातें कर रहे थे आज के माहौल के बारे में। लड़कियाँ अब कितनी जागरूक हो गयीं हैं, अब वो अपने पैरों पर खड़ी होने के लिए प्रयत्नशील हैं। अब वो दिन लद गए, जब लड़कियों को गाय-बकरी की तरह हाँक कर कहीं भी, किसी के साथ बाँध दिया जाता था। अब लडकियाँ, अपने जीवन के फैसले लेने में सक्षम हैं। अब लड़कियों के लिए, सितारों से आगे जहाँ और भी हैं। लेकिन इस स्वतंत्रता को क्या, सभी लडकियाँ पचा पा रहीं हैं ? शायद नहीं ....कभी-कभी इतनी स्वतंत्रता भी खतरनाक होती है। एक बैलेंस बहुत ज़रूरी है। बहुत ज़रूरी है, लड़कियों को अपना भला-बुरा सोचना। कुछ भी करने से पहले, उसके अंजाम का अंदाजा लगा लेना। माता-पिता को हर हाल में अपने बच्चों को आज के गैजेट्स के उपयोग और उनसे होने वाली हानियों के बारे में बताना होगा। माँ-बाप का अपने बच्चियों पर नज़र रखना निहायत ज़रूरी है, लेकिन क्या हर घडी वो ऐसा कर सकते हैं ? शायद नहीं !
अपने आचरण पर अंकुश, बच्चियों को खुद ही रखना होगा। अपना भला-बुरा सोचने का काम, उन्हें खुद करना होगा। क्योंकि अंततोगत्वा उनके ग़लत आचरण की भरपाई, उन्हें खुद ही करनी होगी, वो भी शायद जीवन भर।
हाँ तो, अब आते हैं इस घटना पर, सुनील मोहल्ले का ही लड़का है, और जैसा मैंने बताया, निहायत ही शरीफ़ और ख़ानदानी। सुनील एक इंस्टिट्यूट में इलेक्ट्रोनिक्स पढाता है, वो मोबाईल ठीक करने में भी माहिर है। हमारे मोहल्ले में ही, लड़कियों का एक हॉस्टल है। ढेर सारी लडकियां रहतीं हैं वहाँ। उसी हॉस्टल की कुछ लडकियाँ, उसके पास आयीं, अपना मोबाईल लेकर। क्योंकि गलती से उनका मोबाईल, पानी में गिर गया था और उसका डिस्प्ले नहीं आ रहा था। मोबाईल का कैमरा भी काम नहीं कर रहा था।
ख़ैर, सुनील ने मोबाईल ठीक कर दिया। कैमरा ठीक करके जब उसने, उस मोबाईल में खींचे गए फोटोस देखे तो वो दंग रह गया। उस कैमरे से उन्हीं लड़कियों ने, आपस में एक दुसरे की, बिना कपड़ों की इतनी तसवीरें ले रखीं थीं कि कोई सोच भी नहीं सकता था। और शायद नहाते हुए तस्वीर खींचने के चक्कर में, मोबाईल भीग कर ख़राब हो गया। इस तरह की तस्वीर खींच कर, ये लडकियाँ अपना ही भविष्य ख़राब कर रहीं हैं। किसी ऐसे व्यक्ति के हाथ में वो मोबाईल चला जाता, जो इन तस्वीरों का बेजा फायदा उठाता, तो क्या होता? सुनील ने वो सारी तसवीरें डिलीट तो कर दीं हैं, लेकिन वो कह रहा था, दीदी वो तसवीरें डिलीट होने के बाद भी, निकाली जा सकतीं हैं, कोई भी निकाल सकता है, और फिर मेरे डिलीट करने से क्या होगा, वो लडकियाँ फिर से तसवीरें खींच सकतीं हैं। और तसवीरें गलत हाथों में जा सकतीं हैं। स्वतंत्रता का सदुपयोग करना चाहिए, उसका बेजा इस्तेमाल नहीं। ऐसा न हो, कि इतनी मुश्किल से मिली हुई, ये स्वतंत्रता गले में अटकी हुई हड्डी बन जाए और एक दिन फाँसी का फंदा !!!
(रचना जी ने स्त्री स्वतंत्रता पर प्रश्न उठाया है, उनका कहना भी सही है, स्वतंत्रता हर एक का मौलिक अधिकार है। परन्तु अनुशासन से ही जीवन में महान स्वतंत्रता मिलती है । इसलिए अपनी स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए, लड़कियों को अनुशासन में रहना होगा, तभी इस स्वतंत्रता का आनंद वो उठा पाएंगी, वर्ना तो रब राखा !! )
(रचना जी ने स्त्री स्वतंत्रता पर प्रश्न उठाया है, उनका कहना भी सही है, स्वतंत्रता हर एक का मौलिक अधिकार है। परन्तु अनुशासन से ही जीवन में महान स्वतंत्रता मिलती है । इसलिए अपनी स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए, लड़कियों को अनुशासन में रहना होगा, तभी इस स्वतंत्रता का आनंद वो उठा पाएंगी, वर्ना तो रब राखा !! )
ada
ReplyDeletethis has nothing to do with freedom
girls "have not been given any freedom " they are born "as free " as any other thing in this world / universe
yes the act is wrong i condemn it but please say " ऐसा न हो, कि इतनी मुश्किल से मिली हुई, ये स्वतंत्रता"
by saying such things we try to project that woman "need to understand that they are not free"
Rachna ji,
Deleteit's a myth, that woman is born free. We have fought a good fight for centuries, just to cast our votes !!
Now we have just started enjoying the taste of our freedom, and by doing so, some times things do get out of hand. We must accept the facts of the changing world.
Perfect analysis Ada
DeleteI agree but to break free from our own "orthodox" thinking we should start correcting our ownself { me included }
once we all start spreading a message that woman is born free perhaps it will no longer remain a myth
Rachna ji,
DeleteIf only women/girls, instead of wasting their time in day-dreaming about stupid sapnon ka raajkumar, they must gather their courage to control their emotions and not getting entrapped into their own sentiments, to only find themselves into fools paradise. This will take care of the majority of the problems.
Women/girls needs to be mentally so strong, that no one can dare to influence them. It must be parents duty to shape their girls, from the start, in such a way, that they must be able to take an informed decision about their own life. This is the only path that will lead towards the true freedom and will set a valuable milestone to break this nasty myth.
My Dear Adaa
DeleteThis is what exactly I have been yelling out from NAARI BLOG that woman have to learn to behave like human beings and not slaves they have to come out of their comfort zones and TAKE UP THE HARDSHIPS . They should forget that they are woman and hence need to be beautiful and sexy and so on so forth
They have to learn to RISE ABOVE THE BODY and behave properly
यहीं इसे मोड़ पर नारी स्वतंत्रता और उसके सामाजिक सन्दर्भों की पड़ताल की अत्यन्त आवश्यकता है।
ReplyDeleteसिर्फ नारी स्वतंत्रता की नहीं, नर स्वतंत्रता की भी पड़ताल अत्यन्त आवश्यक है
Deleteआपका धन्यवाद !!
आपने लड़कियों का विषय लिया था इसलिए नारी स्वतंत्रता की पड़ताल जरुरी बताई, वैसे तो समग्र रुप से नर की ही पड़ताल होनी चाहिए।
Deleteऐसी स्वतंत्रता किस काम की
ReplyDeleteअपने ही पैर में कुल्हाड़ी मारने वाली बात
दोष सरकार को
यशोदा,
Deleteऐसी बेवकूफियों को पैर में कुल्हाड़ी मारना नहीं, कुल्हाड़ी में पैर मारना कहा जाता है।
स्वतंत्र का अर्थ हम लोगों ने उच्श्रन्खलता मान लिया है , जो अर्थ ही अनर्थ है । -- तंत्र का अर्थ होता है, जीवन के नियम, व्यक्ति, समाज, देश या काम धंधा नौकरी - किसी के भी नियम।
ReplyDelete"राजतंत्र" का अर्थ है वह नियम जो राज या राजपरिवार बनाए और प्रजा को उनके अधीन ही जीवन बिताना हो, गणतंत्र में हम सब राज / सरकार को चुनते हैं, जो हमारे लिय्रे तंत्र (नियम) बनाएं ।
"परतंत्र" = पर + तंत्र - दूसरे के बनाए नियम पर चलने वाला व्यक्ति, या समाज या देश ।
उसी तरह "स्वतंत्र" = स्व + तंत्र -अपने स्वयं के नियमों से चलने वाले व्यक्ति / समाज / देश ।
स्वतन्त्रता का अर्थ यह भी है, की हमारे बनाये नियम यदि गलत हैं, तो उनका खामियाजा भी हमें ही भोगना है, किसी और पर हम अपनी मुसीबतों का ठीकरा नहीं फोड़ सकते । तो ये वस्त्रहीन चित्र खिंचाने का "स्वतंत्र" निर्णय लेने वाली लड़कियों ने स्वतन्त्रता का अर्थ यदि उच्श्रुन्खालता मान लिया है, तो इसके आगे जो भी परिणाम आयें - वे भले हों या बुरे, उनकी पूरी जिम्मेदारी उनकी अपनी है ।
बहुत अच्छे तरीके से परिभाषित कर दिया शिल्पा तुमने।
Deleteधन्यवाद !
स्वतंत्रता हो ....स्वछंदता नहीं , आज़ादी अपने साथ कुछ जिम्मेदारियां भी लाती है | यहाँ भी अगर तर्क वितर्क करें तो निश्चित रूप से कर सकते हैं पर वही बात है नुकसान तो लड़कियों का ही होना है ...... और स्वतंत्रता से जुड़े यही विचार लड़कों के लिए भी लागू हैं ....
ReplyDeleteperfect reply i would say the moment we ensure the same rules for both genders there will less problems
DeleteI do agree, that freedom with discipline MUST be forced upon males as well. But this post of mine is specifically targeted to those lost souls, who unfortunately in these instances, are 'girls'.
Deleteमोनिका जी,
Deleteमिलियन डॉलर की बात कह दी आपने।
आपका हृदय से धन्यवाद !
स्वतंत्रता हो ....स्वछंदता नहीं , आज़ादी अपने साथ कुछ जिम्मेदारियां भी लाती है | यहाँ भी अगर तर्क वितर्क करें तो निश्चित रूप से कर सकते हैं पर वही बात है नुकसान तो लड़कियों का ही होना है ...... और स्वतंत्रता से जुड़े यही विचार लड़कों के लिए भी लागू हैं ....
ReplyDeleteस्वतन्त्रता अपने स्थान पर है पर अपना हित अहित तो सदा ही देख कर चलना चाहिये।
ReplyDeleteसही कहा, अपना हित-अहित हर इंसान को खुद ही सोचना है। कोई दूसरा नहीं आएगा किसी के लिए भी सोचने के लिए।
Deleteएक अच्छे समाज के लिए स्वतन्त्रता के साथ अनुशासन भी आवश्यक है, यह एकदम सही बात है ... मगर यह भी आवश्यक है की लड़कियों के मन से भय निकाल जाए , ताकि बदनीयती रखने वाले ब्लैकमेलर किसी भी स्त्री को भयग्रस्त ना कर सके!
ReplyDeleteबात आपने बिलकुल सही कही है। लड़कियों को डरना छोड़ना होगा।
Deleteलेकिन ऐसा काम ही क्यूँ करना कि ब्लैक मेलिंग का मौका आये। गलत काम जो भी करता है वो ख़ुद ही डरा हुआ होता है। डराने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है।
आप आईं, आपका धन्यवाद !!
exactly -"लेकिन ऐसा काम ही क्यूँ करना कि ब्लैक मेलिंग का मौका आये। "
Deletemy mom always told me when i was a teenager - many times kids of your age make mistakes, they may or may not fall in love, more often - they may fall into a lot of infatuations................. BOTH the people participant in the infatuation (she NEVER blamed the unnamed boys who may be the other part of the pair , and who would necessarily be the same age group as the kid girl, and prone to the same changing mindsets ) are just kids inside still
DON'T make mistakes and stupid decisions based on the fleeting feelings of attractions.
DON'T provide material for people to blackmail you later
DON'T hide things from us parents - we are your BEST FRIENDS and will never purposely harm you
and finally
IF YOU ARE still in love when you complete your education and start working as an independent individual WITHOUT the dream of the "sapnon ka rajkumar" who will sweep you off your feet and "take care of you ever after", when you are ready to share your life with some adult matured individual who would be your true friend and partner through your life, THEN if you are sure about your decision - WE promise you that we WILL get you married to the boy of your choice.
Equally , if you are not in love - we promise to find you a match when you wish to get married and are not in love, because body does have a natural clock, and things need to be done in time. There is a proper age for everything in life. (which my parents went on to do for me)
With a mom like that - i never got into escapades similar to what i saw my friends getting into, and unfortunately still see young innocent kids getting into...
ऐसा काम करे ही क्यों की किसी से डरना पड़े ...बिलकुल सही है , मगर हर बार डरने वाली बात आपकी वजह से नहीं होती ...खाने पीने की चीजों में नशीले पदार्थ मिलाकर लड़कियों को डराने के हजारो किस्से हैं . बेशक आपसे कुछ गलती नहीं होनी चाहिए मगर यदि किसी और की वजह से कुछ बुरा हुआ तो डरना छोड़कर उसका सामना करे , मेरा आशय यही था .
Deleteआने का धन्यवाद देने का बहुत आभार! :)
Deleteस्वतंत्रता और उच्श्रंखलता में फर्क करना बहुत जरुरी है !!
ReplyDeleteसच पूछिए तो यही एक मात्र इस मर्ज़ की दवा है ..जिस दिन ये फ़र्क नारी/पुरुष, लड़के/लड़कियों को समझ में आ जाएगा ...भारत ही नहीं संसार बदल जाएगा
Deleteआपका आभार !
कुछ मित्रों से इस विषय पर अनौपचारिक चर्चा हुई थी, कुछ जानकारियाँ तो पब्लिक प्लेटफ़ार्म पर शेयर करना भी ठीक नहीं लगता।
ReplyDeleteमुझे लगता है कि रिश्तों के कारण की जाने वाली आत्महत्याओं में ज्यादा संख्या लडकियों की होती है और इसके पीछे नादानी\नासमझी\देखादेखी में हुई ऐसी गलतियों और ब्लैकमेलिंग इन आत्महत्याओं की एक बड़ी वजह हो सकती है।
मैं इस विषय पर लिखना चाहता था लेकिन इस बात की काफ़ी संभावना थी कि एक इंडिविड्युअल की पोस्ट को पुरुष वर्ग द्वारा स्त्रियों पर कुछ थोपने जैसा समझा जाता, इसलिये नहीं लिखा। अच्छा हुआ कि इस विषय पर आपने लिखा।
जी,
Deleteसच कहा ..
आभार
(रचना जी ने स्त्री स्वतंत्रता पर प्रश्न उठाया है, उनका कहना भी सही है, स्वतंत्रता हर एक का मौलिक अधिकार है। परन्तु अनुशासन से ही जीवन में महान स्वतंत्रता मिलती है । इसलिए अपनी स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए, लड़कियों को अनुशासन में रहना होगा, तभी इस स्वतंत्रता का आनंद वो उठा पाएंगी, वर्ना तो रब राखा !! )
ReplyDeleteआदरणीया मञ्जूषा जी शुभ प्रभात रचना जी के बातों से पूर्णतः सहमत अभी अभी मेरे ही गाँव अकलतरा में एक अशोभनीय घटना का सूत्र मिला किसी को भी कुछ कहना न्याय सगत नहीं लड़का और लड़कियों को व्यक्तिगत रूप से पैदा होने के दिन से और ससंस्कारों सहित जानता हूँ . आपके पोस्ट के समर्थन में आपसे अनुरोध विक्रम वेताल 8 और 9 देखने का कष्ट करें शायद सुकून मिले . आपने सार्थकता को पोस्ट लिखकर नया आयाम दिया है . आभार ....
जी रमाकांत जी,
Deleteबस हाज़िर होती हूँ ..
आभार
अपने आचरण पर नियंत्रण रखना आवश्यक है, चाहे वह लड़की हो या लड़का...
ReplyDeleteyes only then both will be equal and only then the reforms will set in
Deleteयही उद्देश्य होना चाहिए ..
Deleteआभार
सार्थक आलेख!
ReplyDeleteधन्यवाद शास्त्री जी !
Deleteकई दिनों बाद मौका मिलने पर इधर पहुँची....जहाँ तक मेरी नज़र जाती है कहीं दिखता है आज़ादी होते हुए भी उसका इस्तेमाल न करके अपने आप को एक अनदेखे पिंजरे में बन्द रखना और कहीं आज़ादी इतनी कि सीमा लाँघते वक्त एक बार भी न सोचना...उपाय ऐसा हो कि विवेक आ जाए कि आज़ाद इंसान हूँ और् अनुशासन में हूँ...
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