Tuesday, February 5, 2013

नैतिकता की कसौटी ....????

रचना जी के ब्लॉग 'नारी' पर 'वुमन एनाटोमी से वुमन ऑटोनोमी तक का सफ़र' में नारी के अबार्शन के अधिकार की बात पढ़ी। वहाँ नैतिकता पर भी चर्चा हुई। यह प्रश्न इतना सरल भी नहीं है, जिसका जवाब सीधे-सीधे हाँ या ना में दिया जाए। जीवन बहुत जटिल है और इसमें ऐसी बातें भी हो जातीं हैं, जो नैतिकता पर भारी पड़ जातीं हैं। मेरी इस पोस्ट का आशय ये समझना है कि आखिर इस मामले में हमारी नैतिक जिम्मेदारी क्या है ??? हम उसे कैसे निर्धारित करेंगे ???

मेरी ही नौकरानी ने अभी हाल में अबोर्शन करवाया है। उसके लिए कारण साफ़ था, आर्थिक विवशता। वह  एक और बच्चे का भार, चाह कर भी वहन नहीं कर सकती थी। लिहाज़ा उसने अबोर्शन करवा लिया। यहाँ उसकी नैतिक  जिम्मेदारी कुछ और निकल आई। उसे मालूम था, वह अपने उस बच्चे को, न कोई भविष्य, न वो सब नहीं दे सकती, जो एक माँ होने के नाते, उसे देना चाहिए। इसलिए उसने बच्चे को संसार में नहीं लाना, अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझी। ये अलग बात है कि उसे इस परिस्थिति में ही नहीं आना चाहिए था, लेकिन भूल हो ही जाती है। इसका अर्थ यह नहीं कि अपनी उस भूल के लिए, सारी उम्र, खुद भी भुगते और अपने बच्चे/बच्चों को भी भुगतने दे। 

एक अलग तरह स्थिति एक और माँ के साथ हुई। जहाँ इस माँ ने भी, अपने अधिकार का प्रयोग किया और अपने तरह से अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझी, फलत: अबोर्शन करवा लिया। 

केस कुछ ऐसा था ...
माँ बिलकुल स्वस्थ थी, और बच्चा भी जिंदा था, लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा एब्नार्मल है। अब आप बताईये, ऐसी हालत में नैतिक जिम्मेदारी क्या होती है ?? क्या बच्चे को जन्म देना चाहिए था ?? यह अबोर्शन नैतिकता की कसौटी पर कैसे आँका जाएगा ???

एक और केस लेते हैं, अगर कोई अविवाहिता, अपनी मूर्खता से या किसी के झांसे में आकर या जान बूझ कर ही, किसी ऐसे इंसान से सम्बन्ध बना ले, जो उसके लिए सही नहीं है। उसकी इस हरक़त से परिवार वालों को भी तकलीफ हो रही है। कोई उसके साथ नहीं है। तो क्या फिर भी उसे उस तथाकथित 'नाजायज़ ' बच्चे को जन्म देना चाहिए ?? क्या यह उस बच्चे के साथ भी अन्याय नहीं है ?? क्या अपनी इस भूल के लिए उस लड़की को और उस बच्चे को उम्र भर, भोगना ज़रूरी है ??
इस हालत में नैतिकता कैसे काम करेगी ???

9 comments:

  1. नैतिकता सामाजिकता से जुड़ी रहती है, समाज न सहन कर पाता है, न वहन कर पाता है, निर्णय तब स्वयं ही लेने पड़ते हैं।

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  2. 1. @case1 - aapki naukraani ko pahle hi dhyan rakhna chaahiye tha, meri naukraani ko bhi ... :(

    2. @case2 - haan, yah aaj bhi hamare desh me kam se kam - LEGALLY allowed hai

    3. @case3 - haan - anyaay hai, shayd kisee din hamaara samaaj us bacche ko ** kahna /maanna / torture karna band kar de .. vaise jyaada aasha nahi hai mujhe .... :(

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  3. Grounds for Abortion as per the Indian MTP Act
    The Medical Termination of Pregnancy (MTP) Act of India "clearly mentions the conditions" under which only a pregnancy can be ended or the foetus aborted, the persons who are qualified to conduct the abortion and the place of implementation. The grounds, thus, for conducting an abortion as interpreted from the Indian MTP Act are:

    1. A pregnancy may be terminated by a registered medical practitioner,-
    (a) where the length of the pregnancy does "not" exceed twelve weeks if such medical practitioner is Of opinion, formed in good faith, that,-
    (i) the continuance of the pregnancy would involve a "risk to the life of the pregnant woman" or of "grave injury to her physical or mental health" ; or
    (ii) there is a substantial risk that "if the child were born, it would suffer from such physical or mental abnormalities as to be seriously handicapped"
    However, when the pregnancy exceeds 12 weeks but is below 20 weeks, the consultation of two registered medical practitioners is required.

    2. A pregnancy occurring as a result of "rape"

    3. "Failure of contraceptive" device used by a couple.

    i do not know the authenticity of this - this is quoted from a link shared by rachna ji there at that post : http://lifestyle.iloveindia.com/lounge/abortion-laws-in-india-240.html

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  4. मुझे लगता है यह एक व्यक्तिगत निर्णय होता है, किन परिस्थितियों में , किन वजहों से कोई स्त्री यह निर्णय लेती है , उसे कटघरे में खड़े करने से पहले ,इस पर विचार करना चाहिए।
    यह निर्णय किसी स्त्री के लिए भी आसान नहीं है, उसका शरीर किन कष्टों से गुजरता है , उसे कितनी पीड़ा सहनी पड़ती है, यह उसके सिवा कोई दूसरा नहीं समझ सकता,इसलिए उसके इस निर्णय को नैतिक या अनैतिक ठहराने का अधिकार भी किसी दुसरे के पास नहीं है।
    क़ानून के अंतर्गत जो भी किया जाए ,वह मान्य होना चाहिए।

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  5. अदा जी
    जरुरत पडने पर अबोर्शन का फैसला कोई भी स्त्री खुद कर सकती हैं इस मे नैतिकता खोजना और कहना ये जीव हत्या हैं गलत हैं . स्त्री को ये अधिकार इस लिये दिया गया हैं क्युकी स्त्री को
    बच्चे पैदा करने की मशीन ना समझा जाये . स्त्री की एनाटोमी बच्चे पैदा कर सकती हैं , पर स्त्री की ऑटोनोमी उसको ये अधिकार देती हैं की वो अपनी समझ से इसका उपयोग करे .
    चर्चा को आगे बढाने के लिये शुक्रिया

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  6. सभी स्थिति हालात , सामाजिक परिवेश, आर्थिक स्थिति संग मौजूदा परिस्थिति पर निर्भर करता है गाँव, शहर, आसपास के लोग, सहायक या बाधक लोग न जाने क्या क्या कारक प्रभाव डालते हैं। और अज्ञानता तो? वरना आज विज्ञान ? पहले ही सुरक्षा प्रदान कराती है ये तो दूसरा पद या कहें स्टेप है।

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  7. जब कोई बच्चा भ्रूण के रूप में आ जाए तो उसका जीवन निर्देशित करने का अधिकार माँ या पिता को कैसे हो सकता है? उसे जीवन देने का अधिकार उन्हें है लेकिन उसे जीवित रहने देने का निर्धारण करना उनके अधिकार में नहीं है जब तक मेडिकली बच्चा फिट न हो?

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  8. The issue of abortion is mostly a manipulated power issue, at least in United States. One of my friend always says that if men were to become pregnant as the result of the sex then we would have an abortion clinic next to every bar/pub in US.

    I agree with thoughts expressed by Rachna.

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  9. अलग-अलग लोगों की अपनी परि‍स्‍थि‍तयां और सामाजि‍क तानेबाने के आधार पर यह र्नि‍णय लि‍या जाता है। इसे नैति‍क-अनैति‍क की खांचे में नहीं रखा जा सकता..

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