Tuesday, June 14, 2011

जब तक तुम मिलो हमसे, न उम्र की शाम हो जाए....

जब तक तुम मिलो हमसे, न उम्र की शाम हो जाए
ज़िक्र तेरा करूँ ख़ुद से, और चर्चा आम हो जाए

तुझे मिलने की ख्वाहिश और तमन्ना दिल पे तारी है
ख़्वाबों और हक़ीकत में, न क़त्ले आम हो जाए

दहाने ज़ख्म के दिल के, ज़िन्दगी सोग करती है 
हुनर ये ज़िन्दगी का है, पर दिल गुलफाम हो जाए

वो बारिश जो कभी खुल कर, खुली छत पर बरसती है 
मेरे कमरे में भी बरसे तो, मेरा काम हो जाए 

करिश्मा ग़र कोई ऐसा, मेरा क़ातिल ही कर जाए 
मेरे ख़ूने जिगर से ही, सही इक जाम हो जाए 

तेरे सीने से लगने दे, मेरे हमदम मेरे साथी 
के दिल के कुछ फफोलों को, ज़रा आराम हो जाए  

आवाज़ 'अदा' की....
जो हमने दास्ताँ अपनी सुनाई




12 comments:

  1. वो बारिश जो कभी खुल कर, खुली छत पर बरसती है
    मेरे कमरे में भी बरसे तो, मेरा काम हो जाए .

    अहा ,क्या बात है.

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  2. ज़िक्र तेरा करूँ ख़ुद से, और चर्चा आम हो जाए

    सुंदर प्रयोग के लिए बधाई ‘अदा’ जी॥

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  3. Adaaji...aap to kahar dhaatee hain!

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  4. आदरणीय सुश्री अदाजी,

    आपको बधाई है, आपकी आवाज़ बड़ी भावपूर्ण और मधुर है ।

    लिखती भी बढ़िया हैं, क्या बात है..!! ये ईश्वर का आशीर्वाद है।

    "तुझे मिलने की ख्वाहिश और तमन्ना दिल पे तारी है
    ख़्वाबों और हक़ीकत में, न क़त्ले आम हो जाए"

    बहुत खूब..!!

    मैं एक गीतकार,स्वरकार और संगीतकार हूँ । मेरा अपना ऑडियो-वीडियो रिकार्डिंग स्टूडियो है, जहाँ सुश्रीअनुराधा पौंडवालजी का भी आल्बम बनाया हुआ है।

    आप अपनी शब्द और स्वर की सफर आगे बढ़ाएँ, आपका भविष्य बहुत उज्जव्ल है।

    मार्कण्ड दवे।

    http://mktvfilms.blogspot.com

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  5. करिश्मा ग़र कोई ऐसा, मेरा क़ातिल ही कर जाए
    मेरे ख़ूने जिगर से ही, सही इक जाम हो जाए


    बहुत खूब ..सुन्दर गज़ल

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  6. यहाँ तो रोज कत्ल-ए-आम हो रहा है, आम का मौसम जो चल रहा है:)

    मिथुन दा पर फ़िल्माया गीत याद आ रहा है, फ़िल्म थी ’गंगा जमुना सरस्वती’ ’उजाले अपनी यादों के...शाम हो जाये’

    वैसे गज़ल ताजी लग रही है एकदम:) बहुत दिलकश।

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  7. बहुत ही सुंदर,क्या बात है, आवाज़ बहुत सुंदर है,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  8. @रोज कत्ल-ए-आम हो रहा है
    ;)

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  9. दहाने ज़ख्म के दिल के, ज़िन्दगी सोग करती है
    हुनर ये ज़िन्दगी का है, पर दिल गुलफाम हो जाए

    वो बारिश जो कभी खुल कर, खुली छत पर बरसती है
    मेरे कमरे में भी बरसे तो, मेरा काम हो जाए

    bahut sundar... subhaan allaah.. Ghazal bhi aur aapki aawaaz bhi

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  10. तेरे सीने से लगने दे, मेरे हमदम मेरे साथी
    के दिल के कुछ फफोलों को, ज़रा आराम हो जाए
    .....वाह क्या बात है...
    --तुम्ही ने दर्द दिया है तुम्ही दवा देना......सुन्दर वयां..

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  11. तुझे मिलने की ख्वाहिश और तमन्ना दिल पे तारी है
    ख़्वाबों और हक़ीकत में, न क़त्ले आम हो जाए
    बहुत ही सुंदर

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