पिछले १०-१२ दिन भारत में रह कर आई हूँ....वहाँ बहुत ज्यादा ख़ुशी मिली मुझे...सोचती रही आखिर इतनी खुश क्यूँ थी मैं वहाँ ...लगे हाथों एक आलेख भी हाथ लग गया..सोचा क्यूँ न आपलोगों से इसे साझा किया जाए... यह आलेख निम्नलिखित साईट से लिया गया है : http://www.bbc.co.uk/hindi/news/030106_mg_happinessformula.shtml वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने एक ऐसे रहस्य को सुलझा लिया है जो हमेशा - हमेशा से मनुष्य को परेशान करता आ रहा है. 'ख़ुशी का रहस्य क्या है' ? आप कहेंगे ये तो बहुत ही आसान है. ख़ुशी का मतलब है सच्चा प्यार, ढेर सारी दौलत या फिर एक बढ़िया सी नौकरी. जी नहीं, वैज्ञानिकों के मुताबिक ख़ुशी का फॉर्मूला है - ख़ुशी = P + ( 5 x E) + ( 3 x H ) इस फॉर्मूले में P का मतलब है - पर्सनल कैरेक्टरिस्टिक यानि इंसान के व्यक्तिगत लक्षण जिसमें शामिल है ज़िंदगी के प्रति रवैया, लचीलापन और ख़ुद को हालात के मुताबिक ढालने की क्षमता. E का मतलब है - एक्ज़िस्टेंस यानि अस्तित्व जो जुड़ा है सेहत, आर्थिक स्थिति और दोस्तों से. और H का मतलब है - हायर ऑर्डर नीड्स यानि आत्मसम्मान, अपेक्षा, महत्त्वाकांक्षा और हँसने - हँसाने की कला जैसी ज़रूरतें. तो ये फॉर्मूला है ख़ुशी का जिसे वैज्ञानिकों ने 1000 लोगों से बातचीत करने के बाद तैयार किया है. • क्या आप मिलनसार, चुस्त और ज़िंदगी के प्रति लचीला रवैया रखने वाले इंसान हैं ? • क्या आपका रुख सकारात्मक है और आप झटकों से जल्दी उबर कर महसूस करते हैं कि ज़िंदगी आपके नियंत्रण में है ? • क्या सेहत, आर्थिक हालत और सुरक्षा जैसी आपकी बुनियादी ज़रूरतें पूरी हैं ? • क्या आप अपने नज़दीकी लोगों पर निर्भर कर सकते हैं, क्या आप अपनी अपेक्षाएं पूरी कर पाते हैं और क्या आप हर काम पूरी लगन से करते हैं ? हर सवाल का जवाब 1 से 10 के स्केल पर देना होता है. 1 का मतलब है बिल्कुल नहीं और 10 का मतलब है बहुत ज़्यादा. अपने फॉर्मूले में P का आंकड़ा निकालने के लिये पहले और दूसरे जवाबों को जमा कीजिये. तीसरे सवाल का जवाब आपका E होगा और चौथा जवाब होगा H की क़ीमत. बस, फॉर्मूले में ये आंकड़े भरिये और पता लगाइये कि कौन कितना ख़ुश है. पीट कोहेन के मुताबिक ज़्यादातर लोग नहीं जानते कि ख़ुशी क्या है. वो समझते हैं कि ख़ुशी मिलती है बहुत सारे पैसे से, बड़े से घर या बढ़िया मकान से. लेकिन सच ये है कि कई लोग ये सब होते हुये भी ख़ुश नहीं हैं और बहुत से इस सब के बग़ैर भी ख़ुश हैं और ज़िंदगी का मज़ा लेते हैं. कोहेन के मुताबिक ब्रिटेन के लोग दुखी रहने में सबसे आगे हैं क्योंकि वो नकारात्मक चीज़ों पर ज़्यादा ध्यान देते हैं जैसे क्या ग़लत है या उनके पास क्या नहीं है. वैज्ञानिकों ने ये भी पाया कि पुरुषों और महिलाओं के लिये अलग - अलग चीज़ें अहम हैं. 10 में से 4 ने बताया कि उन्हें सेक्स में ख़ुशी मिलती है जबकि 3 को उनकी पसंदीदा टीम की जीत में ख़ुशी मिलती है. 10 में से 7 महिलाओं को ख़ुशी मिलती है अपने परिवार के साथ जबकि 4 में से 1 को वज़न कम करने में ख़ुशी मिलती है. |
Sunday, June 12, 2011
'ख़ुशी का रहस्य क्या है' ?
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hum to khush sehi hain filhaal...aajkal..
ReplyDeletethode thode...
:)
dekhiye na....
binaa kisi farmule ke..
ReplyDeletehaaN nahiN to............
:):):)
बहुत सुंदर लेख !!! हम भी अपनी खुशी की गणना करने में जुट गए हैं जी !!!
ReplyDeleteनिश्चित ही भारत आकर आप अपनों के नजदीक थी ...इसलिए आपकी खुशी बहुत बढ़ गई ...
Statistical data cannot predict human behavior, though the behaviour of a group and mob can be prdicted.
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आह ! काश इन फ़ार्मूलों से खुशियां बांटीं व फैलाई भी जा सकतीं :)
ReplyDeleteकाजल कुमार से से सहमत पोस्ट अच्छी लगी
ReplyDeleteइसे थोड़ा संशोधित कर लें, सहायता मिलेगी।
ReplyDeleteHELP
एक L छूट गया है, वह Love के लिये है।
पीट कोहेन जी का कहना बिल्कुल सही है कि ’ ये समीकरण ज़्यादातर लोगों की समझ में नहीं आयेगा’ और उससे भी बड़ा सच उन्होंने ये कहा कि ’ज़्यादातर लोग नहीं जानते कि ख़ुशी क्या है. वो समझते हैं कि ख़ुशी मिलती है बहुत सारे पैसे से, बड़े से घर या बढ़िया मकान से. लेकिन सच ये है कि कई लोग ये सब होते हुये भी ख़ुश नहीं हैं और बहुत से इस सब के बग़ैर भी ख़ुश हैं और ज़िंदगी का मज़ा लेते हैं."
ReplyDeleteखैर, हम बहुत खुस हैं:)
ऐसी रिसर्चस के बारे में हमने भी एक पोस्ट लिखी थी, निवेदन है कि मेरे ब्लॉग पर आप आईयेगा:)
http://mosamkaun.blogspot.com/2011/03/blog-post_07.html
भारत में आई तो दिल्ली में भी आई होंगी। आपसे अगर मुलाकात होती तो अवश्य ही खुशियों की भरपूर बरसात होती।
ReplyDeleteगणना करते रहें करने वाले ...
ReplyDeleteहमको कौन ख़ुशी का सर्टिफिकेट चाहिए ...
हम तो सुबह एक चिड़िया को पेड़ पर लटके गुनगुनाते देख लें , एक फूल खिलते देख लें , बच्चों को लंच पसंद आ जाए , पतिदेव तारीफ़ कर दें , अपनी मनपसंद पुस्तक , संगीत ,साथ मिल जाए तो खुश ही खुश !
Nice to share this formula of happiness.
ReplyDeleteBe happy and cheerful always.
My good wishes.
हमको तो इस पोस्ट को पढ़कर भी खुशी मिली।
ReplyDelete
ReplyDeleteअरे... मैं तो बिना कोई फ़ारमूला जाने ही खुश हो लेता था ! :-(
खुशी गणितीय गणनाओं में और ऎसे फ़ारमूलों या समीकरण में नहीं बसती ।
अब देखिये न.. E , क्या नमक रोटी खाकर फुटपाथ पर रहने वाले किसी न किसी क्षण खुश नहीं रहते ?
कमोबेश यही बात H पर भी लागू होती है । हाँ, कतिपय फ़ैक्टर से आप भले ही उसे प्रभावित कर लें .. पर मूलभूत मानवीय चरित्र को सूत्रों में नहीं निपटाया जा सकता है !
आपके रांची आने की सू्चना तो सुत्रों से मिल गयी थी।
ReplyDeleteलेकिन आपने सम्पर्क नहीं किया।
खुशी का फ़ार्मुला अच्छा लगा ...............
ReplyDeleteपर उसका संशोधित संस्करण प्रवीन जी द्वारा सुझाया हुआ अधिक अच्छा लगा )
खुशियाँ तो खुद के अंदर ही छुपी होती हैं...सबके खुश होने के मायने अलग होते हैं..पर हाँ इन प्रयोगों से एक अंदाजा लगाया जा सकता है.
ReplyDeleteअच्छा है ये फार्मूला।
ReplyDelete---------
हॉट मॉडल केली ब्रुक...
नदी : एक चिंतन यात्रा।
खुबसूरत फ़ॉर्मूला दिया है खुशी का अलग तरह का बधाई
ReplyDeleteखुशी का रहस्य क्या समझूं .. अभी मेरे दुख का रहस्य है कि आप मेरे पास आकर भी मुझसे मिल न सकीं !!
ReplyDeleteअगर सुखी होने से खुशी मिलती है तो बाबा चाणक्य ने बहुत पहले ६ चीज़ों में जीवन के सुख को मापित कर दिया...
ReplyDeleteअर्थागमो नित्यमारोगिता च, प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च.
वशस्य पूत्रो, अर्थकरी च विद्या, षड़ जीव लोकस्य सुखानि राजन् .
सादर
ललित
अगर सुखी होने से खुशी मिलती है तो बाबा चाणक्य ने बहुत पहले ६ चीज़ों में जीवन के सुख को मापित कर दिया...
ReplyDeleteअर्थागमो नित्यमारोगिता च, प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च.
वशस्य पूत्रो, अर्थकरी च विद्या, षड़ जीव लोकस्य सुखानि राजन् .
सादर
ललित