Saturday, July 25, 2009

सुर्खाब हैं ज़िन्दगी...

न तुमने जाना न मैंने ही पहचाना
ज़िन्दगी ख्वाब है या ख्वाब है ज़िन्दगी

हँसते हुए चेहरों की भीड़ सी लगी है
कहकशाँ से परेशाँ अज़ाब है ज़िन्दगी

न आने का पूछा,ना जाने की रजा-मंदी
आने-जाने के दरमियाँ सुर्खाब है ज़िन्दगी

14 comments:

  1. नदीम,
    तुमने कहा था कि और एक चाहिए शाम तक..
    तुम्हारी बात कैसे टालती भला.
    पढो और बताओ, कैसे हैं...
    आपा

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  2. बड़ी जल्दी जल्दी लिखते हो जी आप तो..
    इत्ती जल्दी तो हम कमेन्ट भी ना कर पाते....
    :)
    आज तक किसी को नहीं बनाया....
    पर लगता है के आपको गुरु बनाना पडेगा...
    सादर
    मनु..

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  3. बहुत खूब लिखा है ---
    मैने भी सुर मिलाया है देखे :
    बदहवास तल्खिया और नज़रे इनायत उनकी
    कभी आफताब तो कभी माहताब है ज़िन्दगी

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  4. उतनी मौत को नहीं है जल्दी पाने की ,
    जितनी मुझे छोड़ने को बेताब है जिन्दगी.

    क्या पता मौत के बाद कैसी हो,
    कैसे कह दूं अभी , कि खराब है जिन्दगी

    छुपा रखा है मेरा वजूद जिसने ,मौत से,
    वो काला, गहरा , नकाब है जिन्दगी ..

    दिल तो कर रहा है लिखता ही जाऊं....बहुत ही उम्दा हमेशा की तरह..

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  5. .. .....
    ज़िन्दगी ख्वाब है या ख्वाब है ज़िन्दगी ..

    वाह!कमाल का बयाने ज़िन्दगी!

    मैं अगर कुछ सकूं तो सिर्फ़ इतना के,

    "ख्याब शीशे के हैं, किरचॊं के सिवा क्या देगें,
    टूट जायेगें तो जख्मों के सिवा क्या देगें."

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  6. फ़रमाइश भले ही नदीम जी की हो लेकिन लाभ हम सब को मिला. सुन्दर रचना.

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  7. Bahut achchhi rachna. Bhale hee aapne kisi ke liye likhi ho

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  8. Aap to jaise rachnaon kee chaltee firtee rachaita ho..kitnee sahajtase likh detee hain aap..ham padhne wale hairan ho jate hain...! Kya baat hai..!

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  9. दर्पण जी,
    मैंने कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं, आपसे कहने की हिम्मत ही नहीं हुई कि कहूँ कृपया पढ़ लें..
    लेकिन फिर सोचा कह ही दूँ....

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  10. bahut hi badhiya ........ek khubsoorat rachana

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  11. न तुमने जाना न मैंने ही पहचाना
    ज़िन्दगी ख्वाब है या ख्वाब है ज़िन्दगी

    wah...
    koi samjhe to kitna gehra arth hai iska....

    chupati rahi sadiyon apni umr yun mano,
    ladkiyon ki umr ka sa hisaab hai zindagi.

    :)

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  12. Oh sorry Mera dost online tha uske profile se comment send ho gaya....


    Best Regards.
    Darpan Sah 'Darshan'

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  13. bahut hi khoobsoorti se zindagi ko paribhashit kiya hai.

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  14. आपा, पहले तो माफी चाहूंगा कि शनिवार को शाम को ऑफिस से चला गया, तो इंटरनेट से जुड़ ही नहीं सका और न ही पढ़ पाया। अभी सोमवार को पढ़ा, बहुत ही लाजवाब लगा। अब तो इंटरनेट में बैठने के साथ ही पहले आपका ब्लॉग खोलता हूं, तब ही कोई और काम शुरू करता हूं। वैसे ये छह लाइनें, ज़िंदगी के फलसफे का इतनी गहराई से परीक्षण कर रही हैं कि इनके एक-एक अक्षर बोलते जान पड़ते हैं। अब मैं और क्या कह सकता हूं। एक शब्द में कहूं तो यह है लाजवाब।

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