Tuesday, July 21, 2009

कुछ कुछ कुछ कुछ कह जाता

जब ख्वाब ख़ुद हकीक़त की दीवार में चुन जाते है
सात समंदर पार का सपना, सपना ही रह जाता है

हर दिन आईने के आगे, अब ठहरना मुश्किल है
अक्स देखते ही ख़्वाबों का, ताजमहल ढह जाता है

मुड़ कर देखा जब ख़ुद को, खालीपन था चेहरे पर
पाने से ज्यादा खोने की, कई कहानी कह जाता है

रिमझिम सी फुहार हैं छाई, भीज रहे अंगना, अंगनाई
देखो न सब भीज गए हैं इक मेरा मन रह जाता है

तू ऐसे मत देख मुझे, हैं कई सवाल तेरी आँखों में
रुख की शिकन ठहर गयी, न माथे से ये बल जाता है

तेरी है क्या औकात ' अदा', जो तू कोई ग़ज़ल कहे
वो तो कोई और है जो कुछ कुछ कुछ कुछ कह जाता है


30 comments:

  1. अदा जी !...क्या मजाल के आप की कोई औक़ात पूछे ..?आईने की भी ये हिम्मत नही....!
    हाथ कंगन को आरसी ...? किस क़दर प्रतिभा है आपके पास...!

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  2. आप बहुत प्रतिभाशाली हैं...आप बहुत अच्छा लिखती हैं

    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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  3. तेरी है क्या औकात ' अदा', जो तू कोई ग़ज़ल कहे
    वो तो कोई और है, जो कुछ कुछ कुछ कुछ कह जाता है
    ham to aapke kayal ho gye aapki is ada par .
    abhar

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  4. jeevan bhar bahti hai nadi
    fir voh samandar ho jaata hai;

    Sagar men milne ke baad bhee
    uska man pyaasa kyon rah jaata hai;

    Hai jaroor kuchh chhupi hui si baat
    Jo dil men hai par juban pe nahi aataa hai.

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  5. ओ नीर भरी दुःख की बदली :)
    सहमत हूँ, रीते पलों को ग़ज़लों से नहीं भरा जा सकता है ।
    पर ताकत है इन लफ़्ज़ों में.. कि रीते और बीते को मनचाहे रँगों से भर दें ।
    ज़रूरत उन्हें करीने से सजाने की है, सँवारने और दुलराने की है !

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  6. हाँ... मैं नीर भरी दुःख की बदरी...
    न चाहूँ मैं बरसूँ..फिर भी बरसूँ

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  7. मुड़ कर देखा जब ख़ुद को, खालीपन था चेहरे पर
    पाने से ज्यादा कुछ खोने की, कई कहानी कह जाता है


    --सच के कितना पास पास विचरण...कमाल की रचना!!

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  8. रिमझिम सी फुहार हैं छाई, भीज रहे अंगना, अंगनाई
    देखो न सब भीज गए हैं इक मेरा मन रह जाता है

    वाह वाह वाह!! मज़ा आ गया

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  9. आपकी टिप्पणियों के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! आप तो बहुत अच्छी तरह से बंगला जानती हैं! आप कहाँ के रहनेवाली हैं?
    बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने!

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  10. मुड़ कर देखा जब ख़ुद को, खालीपन था चेहरे पर
    पाने से ज्यादा कुछ खोने की, कई कहानी कह जाता है

    रिमझिम सी फुहार हैं छाई, भीज रहे अंगना, अंगनाई
    देखो न सब भीज गए हैं इक मेरा मन रह जाता है

    bahut sunder

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  11. bahut khoob........
    bahut bahut khoob !
    anand aa gaya
    badhaai ada ji !

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  12. wah wah..
    last 2 lines r superb.. :)

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  13. मै आपकी दी लिंक खोलने की कोशिश में हूँ ...कुछ तो नेटवर्क की समस्या है ,जो खुल नही रही ..लेकिन सुनके बड़ा अच्छा लगा ... हम दोनों काफी एक जैसी सोच रखते हैं ..!
    आतंक के खिलाफ लड़ाई बड़ी जानलेवा है ..लेकिन जारी है ..! जान की तो परवाह नही , लेकिन कोई मेरी आवाज़ तो सुने ...!

    Indian Evidence Act, column 25/27 के कारण तो, अफीम -गांजा के तस्कर rape और murder करके छूट जाते हैं ...! ऐसा है ये अंग्रेजों का बनाया क़ानून , जो हमें निगल रहा है ..! जब तक हम ऐसे क़ानूनों से आज़ाद नही होते, हम किसी भी तरह के आतंक से महफूज़ नही हो सकते...!
    काश ! आप इसी मुल्क में होतीं...! आप के कभी दर्शन तो होते...!
    मै चाहूँगी,कि, मेरी बनी छोटी,छोटी फिल्में आप देखें...जो मेरी काव्य रचनाएँ इस्तेमाल कर शूट की हैं..जैसे कि, 'एक हिन्दुस्तानी की ललकार,फिर एकबार'...लेकिन, फिलहाल, मै इन्हें किसी ब्लॉग पे load नही करना चाहती हूँ...क्योंकि, मै ख़ुद इनसे पूरी तरह संतुष्ट नही हूँ...ये films मेरे submissions का हिस्सा थीं.., ज़्यादातर मुझे ही जहाँ, जहाँ ज़रूरत पडी, किरदार निभाने पड़े...! वहाँ तक तो ठीक है,लेकिन, अन्य किरदारों का diction बड़ा ख़राब है...!

    http://lalitlekh.blogspot.com

    इस ब्लॉग पे आप 'गज़ब क़ानून' इस शीर्षक तहत , एक आलेख, ज़रूर पढ़ें...या फिर' kahanee' ब्लॉग पे क़ानून की जानकारी और, 'कब होगा अंत' ये कथा दोनों हैं....

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  14. Teri har baat mein ek ada hai.
    ek ek shabd apne aap mein hi ek kahani ke jata hai..
    wo tu hi hai jo kuch kuch kuch kuch keh jata hai..

    -Sheena

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  15. Mujhe gazal yaad aa gayi :-)
    Har-ek-baat pe kehte ho tum ki tu kya hai"
    It is very beautiful creation of yours!
    Rocking :-)
    Regards,
    Dimple

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  16. तेरी है क्या औकात ' अदा', जो तू कोई ग़ज़ल कहे
    वो तो कोई और है जो कुछ कुछ कुछ कुछ कह जाता है

    Mujhe aapki gazal, aap ke ORIGINAL bhaav bahoot hi pasand aye.....meraa maanna hai dil mein jajbaat hone chaahiyen, shilp aa hi jaata hai....

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  17. हर दिन आईने के आगे, अब ठहरना मुश्किल है
    अक्स देखते ही ख़्वाबों का, ताजमहल ढह जाता है
    ........
    yah ada hai jo jaane kya-kya kah jaati hain

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  18. kya khoob likha hai...........lajawaab.

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  19. तू ऐसे मत देख मुझे, हैं कई सवाल तेरी आँखों में
    रुख की शिकन ठहर गयी, न माथे से ये बल जाता है...................वाह बहुत खूब .बहुत अच्छा लिखा है आपने

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  20. तू ऐसे मत देख मुझे, हैं कई सवाल तेरी आँखों में
    रुख की शिकन ठहर गयी, न माथे से ये बल जाता है..............bahut hi khub lagi yah panktiya ....sahajata our saralata hai aapake panktiyo me.........

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  21. अक्सर कोशिशें ही कामयाब होती हैं
    लेखन गद्य में हो, पद्य में हो, कविता हो , ग़ज़ल हो ...
    या कोई आलेख ही ......
    मन से कही हुई बात हमेशा मंजिल तक पहुँच जाती है
    लेखन में इमानदारी और सच्चाई खुद बोलती है

    खैर....एक achhi और सार्थक कोशिश पर
    बधाई स्वीकारें .

    मन की गहराई से जब भी बात कोई कह जाता है
    अपने आप असर लफ्जों का महफिल पर छा जाता है

    ---मुफलिस---

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  22. मुड़ कर देखा जब ख़ुद को, खालीपन था चेहरे पर
    पाने से ज्यादा कुछ खोने की, कई कहानी कह जाता है


    Waah ! waah ! waah ! Kya baat kahi aapne.....Bahut hi sundar rachna...bada aanand aaya padhkar...aabhar.

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  23. रिमझिम सी फुहार हैं छाई, भीज रहे अंगना, अंगनाई
    देखो न सब भीज गए हैं इक मेरा मन रह जाता है

    अदा जी बहुत सुंदर लिखा है आपने

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  24. kisi aur ke kahne me hi jab itni ada hai...to khud ka tasawoor me ada ki baarish hogi...
    nayab tarike se piroya hai shabdo ko kaside me...har moti hi khud ko mala samjhti hain...

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  25. अच्छा प्रयास है...इतने सुंदर भाव लिये मिस्रे बस थोड़ी सी मेहनत से ग़ज़ल में बैठ सकती है....

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  26. रिमझिम सी फुहार हैं छाई, भीज रहे अंगना, अंगनाई
    देखो न सब भीज गए हैं इक मेरा मन रह जाता है

    ... बेहद प्रभावशाली !!!

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  27. तू ऐसे मत देख मुझे, हैं कई सवाल तेरी आँखों में
    रुख की शिकन ठहर गयी, न माथे से ये बल जाता है
    ************************************
    कोई कहाँ से लायेगा जवाब ढूंढ़ के ,
    तेरे हर सवाल का जवाब भी तू ही खुद है ,

    ढूँढीये अंदर से उठे सवालों के जवाब भी वहीँ होते हैं ,
    बसा के एक शहर ख्वाहिशों का हम उसी में खो जाते हैं ,

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  28. वाह!
    सुन्दर रचना के लिये आपको मुबारकबाद,

    "कुछ कुछ के बाद क्या कहूं,बाकी न बचा कुछ.
    दिल ये के अज़ीब शै है,कहता है बहुत कुछ."

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  29. निःशब्द। आज फिर ये शब्द लिखते हुए मुझे बड़ी खुशी हुई, मैंने पहले भी ये शब्द आपकी रचनाओं में लिखे हैं। क्या करूं। अच्छी रचना की तारीफ किसी शब्द से हो ही नहीं सकती न इसलिए।

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  30. ada ji,
    main Nadeem bhai ki baaton se sahmat hun,,,,,
    bilkul nishabd ho gaya hun,,,,

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