tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post8230568210742705171..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: मैं जोड़ रहीं हूँ धज्जियां कुछ फटे गिरेह्बानों की....स्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-16312317471477675982010-08-28T17:52:35.971+05:302010-08-28T17:52:35.971+05:30अदा जी,
बहुत सुन्दर कविता
आज कल आप कुछ अलग सा तो ल...अदा जी,<br />बहुत सुन्दर कविता<br />आज कल आप कुछ अलग सा तो लिख रही हैं लेकिन ये नदाज़ भी निराला है,<br />बधाई !Unknownhttps://www.blogger.com/profile/06587620497676437010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-26909046890434063532010-08-27T23:50:50.498+05:302010-08-27T23:50:50.498+05:30क्या बात है अदा दी...
ये बुझी बुझी सी सोच क्यों ह...क्या बात है अदा दी...<br /><br />ये बुझी बुझी सी सोच क्यों है.<br />उडती उडती सी ये राख क्यों है ??<br /><br />खूबसूरत गज़ल...दिल का हाल बयान कर रही है.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-32453987037005165732010-08-27T21:55:13.351+05:302010-08-27T21:55:13.351+05:30हर शमा तो बुझती ही रही हर महफ़िल में 'अदा'
...हर शमा तो बुझती ही रही हर महफ़िल में 'अदा'<br />और राख भी उड़ती रही कुछ जले हुए परवानों की <br /><br />बहुत सुन्दर ...समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-5707589307445433352010-08-27T21:38:12.966+05:302010-08-27T21:38:12.966+05:30sundar lekhan, madhur aawaz.sundar lekhan, madhur aawaz.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-67770139595713201012010-08-27T17:44:12.744+05:302010-08-27T17:44:12.744+05:30@ cmpershad ji,
आपका बहुत शुक्रिया...
मैंने सचमुच ...@ cmpershad ji,<br />आपका बहुत शुक्रिया...<br />मैंने सचमुच ध्यान ही नहीं दिया था ...<br />अब बदल दिया है...शायद कोई बात बने..देखिएगा ज़रा..<br /><br />नहीं उतरा था चाँद कभी सागर में नहाने के लिए<br />पर मौजों से हुई गुफ़्तगू कुछ बेनाम तूफानों कीस्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-57281338673501413412010-08-27T17:08:14.307+05:302010-08-27T17:08:14.307+05:30पर मौजों को थी हड़बड़ी तूफाँ को बात बताने की
काफ...पर मौजों को थी हड़बड़ी तूफाँ को बात बताने की<br /><br /><br />काफ़िया नहीं मिल रहा है... ज़रा देख लीजिए॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-8095624901249408122010-08-27T16:43:29.585+05:302010-08-27T16:43:29.585+05:30कहाँ उतरा था चाँद कभी सागर में नहाने के लिए
पर मौज...कहाँ उतरा था चाँद कभी सागर में नहाने के लिए<br />पर मौजों को थी हड़बड़ी तूफाँ को बात बताने की<br /><br /><br />itni pyari panktiyon ko aaap jaise AADAkara hi gadh sakta hai.....:)<br /><br />bahut sundar!!मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-64342123444095915152010-08-27T14:59:12.692+05:302010-08-27T14:59:12.692+05:30बहुत ही सुन्दर कहानी अरमानों की।बहुत ही सुन्दर कहानी अरमानों की।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-55166706679337706972010-08-27T13:26:40.239+05:302010-08-27T13:26:40.239+05:30खूब अभिव्यक्ति!खूब अभिव्यक्ति!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-87044134756915870262010-08-27T12:51:28.389+05:302010-08-27T12:51:28.389+05:30waahwaahरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-55186060876362238962010-08-27T11:58:29.165+05:302010-08-27T11:58:29.165+05:30बहुत सुन्दर भाव ...बस जोडती रहें ...सुन्दर कलाकृति...बहुत सुन्दर भाव ...बस जोडती रहें ...सुन्दर कलाकृति बनेगी ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-81522543011528308992010-08-27T10:53:54.113+05:302010-08-27T10:53:54.113+05:30चाँद सागर में उतरे या न उतरे, सागर को गागर में बखू...चाँद सागर में उतरे या न उतरे, सागर को गागर में बखूबी उतार लेती हैं आप।<br />शमां को तो जलकर बुझना ही है लेकिन बुझने से पहले महफ़िल तो रोशन कर ही जाती है वो । और परवाने, एक बार भक्क सी आवाज होती है जी बस्स फ़िर तो राख ही उड़ती होगी उनकी। सच में बहुत अजीब रिश्ता है शमां और परवानों का -<br />कितने परवाने जल गये ये राज पाने के लिये<br />शमां जलने के लिये है या जलाने के लिये।<br />शानदार और जानदार पोस्ट लगी जी, हमेशा ही लगती है इसमें नया क्या है? हा हा हा।<br />नया ये है कि प्लेयर नहीं चल रहा है हमारे सिस्टम पर, पुरानी पोस्ट में ढूंढकर सुन लेंगे - तारीफ़ एडवांस में रख लीजिये। बहुत अच्छा गाती हैं आप।<br />सदैव आभारी।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-87968044071654700842010-08-27T09:36:05.594+05:302010-08-27T09:36:05.594+05:30गम से दिल क्यों लगाए 'मजाल',
सुने क्यों ब...गम से दिल क्यों लगाए 'मजाल',<br />सुने क्यों बात दो पल के मेहमानों की.Majaalhttps://www.blogger.com/profile/08748183678189221145noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-45329800669757596512010-08-27T09:31:26.799+05:302010-08-27T09:31:26.799+05:30बहुत खूब !!बहुत खूब !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-72260725375951430312010-08-27T09:22:28.682+05:302010-08-27T09:22:28.682+05:30सुन लो मेरी दास्ताँ कुछ मिटे हुए अरमानों की
मैं जो...सुन लो मेरी दास्ताँ कुछ मिटे हुए अरमानों की<br />मैं जोड़ रहीं हूँ धज्जियां कुछ फटे गिरेह्बानों की<br /><br /><br />लाजबाब शेर अदा जी !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-13232823933002616192010-08-27T08:47:39.407+05:302010-08-27T08:47:39.407+05:30adbhut shabd-srijan, bahut badhiya, shubhkaamnaaye...adbhut shabd-srijan, bahut badhiya, shubhkaamnaayen.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-60760393077393384592010-08-27T07:57:15.624+05:302010-08-27T07:57:15.624+05:30जोडती रहे धज्जियाँ ....
धज्जियाँ उड़ने से हर हाल मे...जोडती रहे धज्जियाँ ....<br />धज्जियाँ उड़ने से हर हाल में बेहतर काम है ये ...<br /><br />और जब कह दिया की कोई जबरदस्ती नहीं है सुनने की तब तो गीत सुनकर ही मानेंगे ...<br />" तेरे आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है "...<br />प्रेम मुहब्बत से दूर रहने वाले इतने सुंदर गीतों का चयन कैसे कर लेते हैं ...आश्चर्य ...<br /><br />गिरिजेश जी के ब्लॉग पर पढ़ा ...माँ बाबा कनाडा आ रहे हैं आपके पास ...प्रणाम कहियेगा हमारा भी ..!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/10839893825216031973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-46793660752077188102010-08-27T07:49:06.394+05:302010-08-27T07:49:06.394+05:30आज सबसे पहले गाने की बात
ऐसा महसूस हो रहा है &qu...आज सबसे पहले गाने की बात <br /><br />ऐसा महसूस हो रहा है " कुछ तो नयी बात है " संभवतया आपकी आवाज में पहली बार सुना हो <br /> <br />ये गीत "कानों में मिश्री घोलना " वाली बात को सार्थक कर रहा है [खास तौर से बीच और अंत में ]<br /><br />कहाँ उतरा था चाँद कभी सागर में नहाने के लिए<br />पर मौजों को थी हड़बड़ी तूफाँ को बात बताने की<br /><br />आपकी कविता में सब जीवित और बात करने वाला लगता है , चाँद , मौजे , तूफाँ सारी नेचर बस एक दूसरे से बात करती नजर आती है <br />बहुत उंचाई है इन भावों में , पढ़ के मन प्रसन्न हो जाता है <br /><br />"ब्लागस्पाट.कॉम" का भी धन्यवाद देने का मन करता है जो हमें आपसे बात करने देता है <br /><br />फोटो गजब है [हमेशा की तरह ]एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-75636031943233470332010-08-27T06:46:14.805+05:302010-08-27T06:46:14.805+05:30हर शमा तो बुझती ही रही हर महफ़िल में 'अदा'
...हर शमा तो बुझती ही रही हर महफ़िल में 'अदा'<br />और राख भी उड़ती रही कुछ जले हुए परवानों की <br />बहुत खूब , मुवारक होSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-22258212287952610932010-08-27T06:41:12.155+05:302010-08-27T06:41:12.155+05:30पहले लगा कि आज हौसले पस्त करके ही छोडेंगी आप ! पर ...पहले लगा कि आज हौसले पस्त करके ही छोडेंगी आप ! पर जी उठा इक आस लेकर "मैं जोड़ रहीं हूँ धज्जियां कुछ फटे गिरेह्बानों की"<br /><br />आपके कविता संसार में ये आस हमेशा बनी रहे ! दुआयें !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-17881199213037857342010-08-27T06:30:55.494+05:302010-08-27T06:30:55.494+05:30बहुत सुंदर
कहाँ उतरा था चाँद कभी सागर में नहाने के...बहुत सुंदर<br />कहाँ उतरा था चाँद कभी सागर में नहाने के लिए<br />पर मौजों को थी हड़बड़ी तूफाँ को बात बताने कीAsha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-19153219550248580182010-08-27T05:43:45.033+05:302010-08-27T05:43:45.033+05:30बहुत बढ़िया.बहुत बढ़िया.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-32565181215238968642010-08-27T04:44:03.421+05:302010-08-27T04:44:03.421+05:30कहाँ उतरा था चाँद कभी सागर में नहाने के लिए
पर थी ...कहाँ उतरा था चाँद कभी सागर में नहाने के लिए<br />पर थी मौजों को हड़बड़ी तूफाँ को बात बताने की<br />अद्भुत! लाजवाब।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com