tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post8136786768911334945..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: हम तो शेरों को कुछ नहीं समझते फिर गीदड़ों की क्या बिसात....स्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-64576528783167461202010-06-09T08:11:55.862+05:302010-06-09T08:11:55.862+05:30hamaari wo gayaa karti thi kabhi hamaare liye...
...hamaari wo gayaa karti thi kabhi hamaare liye...<br /><br />apni dono aankhein band kar ke.....<br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />hamein ab tak yaad hai...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-83299357990072267222010-06-08T10:28:36.122+05:302010-06-08T10:28:36.122+05:30सुन्दर विचार हैं, भास्कर जी कि तो आपने बहुत ही निर...सुन्दर विचार हैं, भास्कर जी कि तो आपने बहुत ही निर्ममता से धुलाई कर दी, ठीक ही है ऐसे लोगों के साथ ऐसा ही होना चाहिए, आँखे बंद करके गाना तो सुना लेकिन सिर्फ आप ही नज़र आये हमें तो!nilesh mathurhttps://www.blogger.com/profile/15049539649156739254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-5708095228828207012010-06-07T21:32:06.965+05:302010-06-07T21:32:06.965+05:30अच्छा लिखें व अच्छा पढ़ें । अच्छी टिप्पणियाँ भी लि...अच्छा लिखें व अच्छा पढ़ें । अच्छी टिप्पणियाँ भी लिखें ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-1336073768703773202010-06-07T21:11:01.434+05:302010-06-07T21:11:01.434+05:30मैं भी उन्हीं में से हूँ जो टिप्पणी अक्सर नहीं करत...मैं भी उन्हीं में से हूँ जो टिप्पणी अक्सर नहीं करते, आपके यहाँ भी नहीं।<br />आपका आज का अलेख इतना रुचा कि बरबस सहमति जतानी पड़ी। हाँ वहाँ टिप्पणी ज़रूर करता हूँ जहाँ लगता है कि हौसला अफ़्ज़ाई से कुछ बेहतर की उम्मीद बनेगी। मुझे अब तो "नाइस" सबसे अच्छा कमेण्ट लगने लगा है। :)<br />गुटबन्दी की बात जहाँ तक है, तो एक गुट तो ज़रूर है जिसमें मैं शामिल होने को सबका आह्वान करना चाहूँगा - और वो गुट वो है जिस बारे में अमरेन्द्र ने टिप्पणी में इशारा करके छोड़ दिया।<br />मेरा पैग़ाम मुहब्बत है…<br />और यक़ीनन, मैं इस गुट में शामिल हूँ।Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-49448481797711269262010-06-07T17:21:39.492+05:302010-06-07T17:21:39.492+05:30सटीक कहा ...
आपकी इस गीत में इतना खो गये की और कुछ...सटीक कहा ...<br />आपकी इस गीत में इतना खो गये की और कुछ याद ही नही रहा .... आँखें अब भी बंद हैं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-39068913502791383952010-06-07T17:02:08.751+05:302010-06-07T17:02:08.751+05:30जोदी तोमार डाक शुने केऊ ना आशे तोबे तुमि एकला चोलो...जोदी तोमार डाक शुने केऊ ना आशे तोबे तुमि एकला चोलो रे......<br />....aapki hi baat.arvindhttps://www.blogger.com/profile/15562030349519088493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-32738917995337053342010-06-07T16:59:54.164+05:302010-06-07T16:59:54.164+05:30अगर आप अच्छा लिखते हैं तो लोग आपको पढेंगे ही...apn...अगर आप अच्छा लिखते हैं तो लोग आपको पढेंगे ही...apne lakh take ki baat kah di. ye dukh ki baat hai ki aajkal bloggers tippani ki or bhag rahe hai.arvindhttps://www.blogger.com/profile/15562030349519088493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-88966994949142011532010-06-07T15:22:22.071+05:302010-06-07T15:22:22.071+05:30jo aap kah gayi wo hamne bhi suna raha magar socht...jo aap kah gayi wo hamne bhi suna raha magar sochte hi rahe aesa kyo ?<br />karm pradhaan hai in baato se dil jalaya nahi jaata ,nahi jalana chahiye .ati sundar .shukriya blog par aai ,khushi hui .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-60031982762054145712010-06-07T13:29:24.420+05:302010-06-07T13:29:24.420+05:30जी :)
सभी चेष्टा करें. सब अच्छा होगा.जी :)<br /><br />सभी चेष्टा करें. सब अच्छा होगा.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-5658452161879267092010-06-07T11:29:42.777+05:302010-06-07T11:29:42.777+05:30किसी एक जैसी विचारधारा के लोग एक दूसरे को पढने-समझ...किसी एक जैसी विचारधारा के लोग एक दूसरे को पढने-समझने, जानने लगते हैं और किसी विचार पर सहमत होते हैं तो उनको गुटबाज कहना संकीर्ण सोच है।<br /><br />आपकी यह पोस्ट बहुत-बहुत ज्यादा अच्छी लगी, धन्यवाद<br />प्रणाम स्वीकार करेंअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-38335130316708186492010-06-07T11:25:23.353+05:302010-06-07T11:25:23.353+05:30मैं भी आपको और बहुत सारे ब्लाग्स प्रतिदिन पढता हूं...मैं भी आपको और बहुत सारे ब्लाग्स प्रतिदिन पढता हूं, लेकिन टिप्पणी कभी-कभार ही कर पाता हूं<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-49222460998964937682010-06-07T11:24:09.873+05:302010-06-07T11:24:09.873+05:30जिस तरह से फोटो में सहचरी सुना रही है, उसी तरह तो ...जिस तरह से फोटो में सहचरी सुना रही है, उसी तरह तो हम भी सुनते रहते हैं जी। बिल्कुल आंख मूंद कर<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-69858185630636571452010-06-07T10:16:09.292+05:302010-06-07T10:16:09.292+05:30आपका कथन सार्थक है ।
गुटबाजी से लाभ है - जिन्हे ल...आपका कथन सार्थक है ।<br />गुटबाजी से लाभ है - जिन्हे लिखना नही आता उनको काम मिल जाता है . समय कट जाता है ।<br />टिप्पणियाँ खुद बोलती हैँ जिससे टिप् करने का उद्देश्य पता चल जाता है ।अरुणेश मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14110290381536011014noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-8279773561927398072010-06-07T08:57:28.672+05:302010-06-07T08:57:28.672+05:30किये गये कार्य के एवज में कुछ पाने की अभिलाषा रखना...किये गये कार्य के एवज में कुछ पाने की अभिलाषा रखना स्वाभाविक है। अतः टिप्पणियाँ पाने की अभिलाषा रखने को भी अनुचित नहीं कहा जा सकता। किन्तु टिप्पणियाँ पाने के लिये तरह-तरह के हथकंडे अपनाने को उचित कदापि नहीं कहा जा सकता।<br /><br />आपके कंठस्वर में "तुम्हीं मेरे मन्दिर..." गीत सुनकर बहुत अच्छा लगा। इसे सुनकर याद आया कि फिल्म 'खानदान' के इस लोरी को स्क्रीन पर सुनील दत्त के लिये नूतन ने गाया था। इस फिल्म के प्रदर्शित होने के कुछ दिनों बाद फिल्म 'मिलन' आया था जिसमे सुनील दत्त ने नूतन के लिये "राम करे ऐसा हो जाये मेरी निंदिया तोहे मिल जाये...." लोरी गाया था। तब हम मजाक में कहा करते थे कि सुनील दत्त पर नूतन की एक लोरी उधार थी जिसे उसने छुटा दिया। :-)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-67824311872739617602010-06-07T08:08:05.125+05:302010-06-07T08:08:05.125+05:30बजा फरमाया आपने. अजी आजकल के शेर तो चूहों से भी बद...बजा फरमाया आपने. अजी आजकल के शेर तो चूहों से भी बदतर हैं. लगता है जैसे लोग उर्दू के अप्रचलित शब्दों को बिठाकर शायरी करने लगे हों. हम तो अब शेरो-शायरी की परवाह छोड़कर कव्वाली सुनने लगे हैं.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-165217158931382262010-06-07T07:22:53.167+05:302010-06-07T07:22:53.167+05:30सभी को प्रयास करना होगा.सभी को प्रयास करना होगा.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-32245425242000903332010-06-07T07:17:15.701+05:302010-06-07T07:17:15.701+05:30अकेले मंजिल की और बढ़ते लोग जुड़ जाते हैं , कारवां...अकेले मंजिल की और बढ़ते लोग जुड़ जाते हैं , कारवां बन जाता है ...<br />हाँ ...सायास भीड़ जुटाने का प्रयत्न नहीं होना चाहिए ...<br /><br />गीत मधुर है हमेशा की तरह ...<br />अब लोग चालीस पर दो होने के बाद ही सठियाने लगे तो हम तो चार पार कर चुके हैं ..हां ..नहीं तो ...क्या ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/10839893825216031973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-40548122699037866982010-06-07T06:19:40.957+05:302010-06-07T06:19:40.957+05:30मुझे लगता है की ब्लॉग की उम्र बढ़ने के साथ साथ टिप...मुझे लगता है की ब्लॉग की उम्र बढ़ने के साथ साथ टिपण्णी पाने की लालसा में कमी आनी चाहिए<br />शुरुआत में अगर कुछ हो रहा है तो कोई विशेष बात नहीं है पर अगर ये जारी रहता है तो चिंता का विषय है<br />वैसे आपकी इस पोस्ट का हर पेराग्राफ दमदार है<br />दो नए ब्लोग्स से परिचय करवाने के लिए शुक्रिया<br />हर बार की तरह इस बार भी आपकी आवाज बहुत अच्छी लगी (ऑंखें बंद करने का प्रयोग बिलकुल सही रहा ) <br />(मैंने अपनी पोस्ट पर आपके कहने के अनुसार सुधार कर दिए हैं समय मिले तो देखिएगा )एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-34705888830783464182010-06-07T01:32:04.611+05:302010-06-07T01:32:04.611+05:30हम आँख मींच कर सुन्दर सा गाना सुन रहे हैं बस ...हम आँख मींच कर सुन्दर सा गाना सुन रहे हैं बस ...shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-49875203811340298602010-06-07T01:28:44.623+05:302010-06-07T01:28:44.623+05:30लगता है कमेंट ही करना भूल गया हूं...
सही कहा आपने...लगता है कमेंट ही करना भूल गया हूं...<br /><br />सही कहा आपने, जिस तरह ब्लॉगिंग पर निरंकुशता हावी हो रही है, उसे देखकर कभी सोचता हूं कि यहां से भागिंग कर ली जाए, वही अच्छा है...लेकिन विषम परिस्थितियों में भी जिस तरह आप लेखन का उच्च स्तर बनाए रखती हैं, उससे फिर कुछ अच्छा लिखने की ऊर्जा मिलती है...ये भी ध्यान आता है कि कमल हमेशा कीचड़ में ही खिला करते हैं...<br /><br />लता जी का सदाबहार गीत सुनाने के लिए शुक्रिया...आपसे सुन-सुन कर संतोष जी को भी ये गीत कंठस्थ हो गया होगा...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-56331239904048426582010-06-06T23:27:17.170+05:302010-06-06T23:27:17.170+05:30भास्कर बच्चे (नाम तक अपना नहीं है तुम्हारे पास )
म...भास्कर बच्चे (नाम तक अपना नहीं है तुम्हारे पास )<br />मैं पैसों में काम नहीं करती dollar में काम करती हूँ...और ५ million dollar के नीचे के तो मैं प्रोजेक्ट ही नहीं लेती बच्चे...हिंदी ब्लॉग जगत के २०००० ब्लॉग मिला कर भी ५ million के नहीं होंगे , तो फिर मुझे पैसा देने की सोच भी कौन सकता है....तुम्हारी तो फ़ोकट के ब्लॉग की भी औकात नहीं है....मुझे बहुत अफ़सोस हुआ जान कर की तुम सड़क पर हो.....बताना अगर कुछ मदद कर पाऊं तो...<br />हा हा हा हा ....स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-62070395824548940982010-06-06T23:13:16.822+05:302010-06-06T23:13:16.822+05:30एक शेर की पंक्ति इस प्रकार है ;
' उनका जो काम...एक शेर की पंक्ति इस प्रकार है ; <br />' उनका जो काम है वह अहले-सियासत समझें ' , अपना काम तो <br />अपनी निष्ठा के साथ जारी रहे बस !<br /><br />अब अचरज नहीं होता ब्लॉगवुड में किसी भी 'चिरकुट' कारनामे पर !<br />पहले दिल पर 'लोड' ले लेता था पर बाद में ( जब स्वयं भोक्ता बना <br />और व्यक्तिगत स्तरपर साक्षात्कार किया तो ) समझ में आया कि अचरज <br />की कोई बात ही नहीं , जिसका जो संकल्प है वह वही कर रहा है ! कोई <br />ग्रुप-बाजी , कोई अपनी दबी कुचली कुंठा ( यौन और यौनेतर भी ) की <br />अभिव्यक्ति अदेस-भदेस किसी भी ढंग से , कोई मार्केटिंग , कोई <br />ग्लैमरिंग , कोई कांटेकटिंग , आदि आदि ! सबकी अपनी सीमाएं और <br />स्वार्थ हैं ! जहां जो शक्तियां हैं उनका सम्मान करता हूँ ! देर-सबेर सबको <br />वयस-प्राप्ति हो ही जाती है अगर चाहे तो ! मुझे भी हुई ! <br /><br />अब निर्लिप्त-भाव में रहने की कोशिश करने लगा हूँ , शायद यही मुफीद रास्ता <br />भी है ! अफ़सोस यही होता है कि जब ब्लॉग की दुनिया में आया था तो कुछ साध्य <br />बनने लगे थे , अब उनमें वह गर्मजोशी नहीं रही ! अब टीपों में गर्मजोशी का <br />'प्राण' भर पाना बहुत कठिन हो गया है ! पर खुद से ईमानदार रहने का प्रयास <br />अभी भी रहता है इसलिए जहां-तहां ब्लोगों पर जाना बंद सा होने लगा है !<br />वहीं जाता हूँ जहां अपना अंदाजे-बयां बना रहे और सीखने व मनसायन के <br />लिए कुछ मिल सके ! सबसे बड़ी बात अपना मूड और वक़्त न जाया हो !<br />इन बातों के साथ अपनी भी सीमा को देखते हुए अब ब्लॉगों को लेकर 'सेलेक्टिव' <br />होना ही बेहतर है ! <br /><br />फिर भी अगर कहीं अपनी भूमिका को देखता हूँ तो जाने की कोशिश करता हूँ ,<br />यही सोचकर कि सकारात्मक-नकारात्मक जो भी अनुभव होगा पुष्ट ही करेगा !<br />पर इस क्रिया को सर्वथा प्राथमिकता तो नहीं दी जा सकती सो ऐसा कभी कभी !<br />आपकी इस बात पर अमल करने का यत्न किसी के लिए भी श्रेयकारी होगा ---<br />'' बहादुरी तब है जब वैसा लिख कर दिखायें जैसा बिरले ही कोई लिख गया हो...<br />फिर तो बात बनती हैं...और यह होगी बहादुरी की बात .... '' <br />--- इसकी चाहत शायद बहुत कुछ शोधित करेगी , बाह्य और आभ्यंतर भी !<br />सहज ही कबीर याद आते हैं ---<br />हद तजै सो मानवा , बेहद तजै सो साध | <br />हद बेहद दोउ तजै ताकै मता अगाध || <br />[ आपकी पिछली एक प्रविष्टि में मानव-देव-अमानव चर्चा में भी यह याद आया था !]<br /><br />आज आपकी पोस्ट पढ़ते हुए अनुभव उमड़े-घुमड़े , कुछ बक गया ! बोझिल लगेगा तो उपेक्षित <br />कर दीजिएगा ! <br />गाना बड़ा अच्छा लगा ! पर आख खोल के ही सुना :) ! जागृति का संगीत समझ ! सो अंत तक <br />आँख खोले ही रह गए -:)Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-56582546296725928712010-06-06T23:07:52.223+05:302010-06-06T23:07:52.223+05:30Ada ji kitne paise mile dusro ke blog ka link dene...Ada ji kitne paise mile dusro ke blog ka link dene ke liye........vaise aap likhti achhi hai......Bhaskarhttps://www.blogger.com/profile/06219354493572996331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-53907222314436564342010-06-06T23:06:15.235+05:302010-06-06T23:06:15.235+05:30ab end me to aankhe band kara di...to bhala rev.ka...ab end me to aankhe band kara di...to bhala rev.kaise du???????<br /><br />aaaah aankh band kar k likh rahi hu bas gaana sun k maza aa gaya.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-34453486868888357402010-06-06T22:52:21.430+05:302010-06-06T22:52:21.430+05:30अदा जी बहुत बढिया गीत बहुत बढिया सा गाया है लेकिन ...अदा जी बहुत बढिया गीत बहुत बढिया सा गाया है लेकिन आज की नारी समर्पिता नही होना चाहती और ये सही भी है.<br />एक बात ये कि आपने मजदूर और चपरासी को शराबी और जुआरी के साथ खडा किय है वो उचित नही है.<br /><br />लेख बहुत बढिया है <br />और जो हमने लिखा है उसपे नाराज नही हो जाना <br />हा नही तो... (आपसे ही साभार )Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.com