tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post5158886853037958625..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: प्रभु मुझे शकुनी सा मामा देनास्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-66011682095721017612013-02-02T15:34:59.428+05:302013-02-02T15:34:59.428+05:30Anonymous Ji,
जिस स्त्री को उसका पति ही जूए में दा...Anonymous Ji,<br />जिस स्त्री को उसका पति ही जूए में दांव पर लगा दे, उस पत्नी के प्रति उसके पति के हृदय में कितना सम्मान था, ये समझने वाली बात है। सम्मान हरण तो युधिष्ठिर कर चुके थे, वस्त्रहरण की बात तो बाद में आती है। <br />स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-88567361474722768912010-05-05T18:00:53.505+05:302010-05-05T18:00:53.505+05:30Vakai Me Bahut hi achha likha hai Aapne, Aapne sab...Vakai Me Bahut hi achha likha hai Aapne, Aapne sabse Alag Hatke Sochne ka najariya Pesh kiya hai, aapke is lekh se ek Bahut badi Seekh mili hai Koi Achha hai ya bura Ye us baat Par Nirbhar hai ki Hum usko Kis najariye se Dekhte hai. aapne sakuni mama ki achhayi ke bare me soch kar usko ahha bana diya. aapke next message ka intzar rahega.Ajay Singh Rathorehttps://www.blogger.com/profile/07522540786150571862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-42268175531682660132009-10-27T04:56:26.098+05:302009-10-27T04:56:26.098+05:30सकुनी तो दुर्योधन को हमेशा गलत रास्ता दिखाता रहा |...सकुनी तो दुर्योधन को हमेशा गलत रास्ता दिखाता रहा | दुर्योधन प्रेम मैं द्रौपदी का वस्त्र हरण, ये प्रेम तो नहीं हो सकता, क्या इसे प्रेम कह सकते हैं ?| सकुनी अच्छी तरह जानता था पांडव वस्त्र हरण का बदला ले के रहेंगे ... फिर भी वस्त्र हरण करवाया ... मतलब साफ़ सकुनी वास्तव मैं दुर्योधन का विनाश कर रहा था ... क्या सकुनी जैसा कुटिल ये नहीं नहीं जानता था की वो क्या कर रहा है ... ?<br /><br />अदा जी एक टीवी सीरियल की तरह आपने यदि ये कविता लिखी है तो सही है ... | पर इतिहास के संधर्भ मैं किसी भी द्रिस्तिकों से सकुनी का दुर्योधन के प्रति प्रेम नहीं था ... <br /><br />वैसे आज के युग मैं ... लोगों को सकुनी का कुटिल प्रेम(?) ही चाहिए ... उस हिसाब से कविता ठीक है |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-8258788394380795992009-10-27T01:01:34.309+05:302009-10-27T01:01:34.309+05:30इनदोनो पात्रों पर पूरा उपन्यास लिखा जा सकता है ।इनदोनो पात्रों पर पूरा उपन्यास लिखा जा सकता है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-18368669684405223012009-10-26T23:50:29.583+05:302009-10-26T23:50:29.583+05:30शकुनी मामा कि खासियत आपने बखूबी बताई क्योकि वो कही...शकुनी मामा कि खासियत आपने बखूबी बताई क्योकि वो कही तो एकनिष्ठ था उसने जो ठाना और अपने लक्ष पर ध्यान दिया और जिनके लिए किया उन्हें कभी नही छला<br />नई महाभारत हमको तो भाई |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-91704894855445588382009-10-26T22:23:27.929+05:302009-10-26T22:23:27.929+05:30आदरणीय मनु जी,
प्रणाम,
अच्छा हुआ आपने यह प्रश्न उठ...आदरणीय मनु जी,<br />प्रणाम,<br />अच्छा हुआ आपने यह प्रश्न उठाया है....<br />आपकी ही बात लेते हैं.....शकुनी शायद बहुत ही बुरे होंगे... लेकिन वो एक श्रेष्ठ 'मामा' थे...और मेरी कविता सिर्फ एक उसी रिश्ते की बात कर रही है.....उनके जैसा 'मामा' संसार में दूसरा शायद 'कंस' हुए हों.....और हमारे अगले 'नायक' भी वही है..... <br />कितनी अजीब बात है.....क्यूंकि हमारे ग्रंथों में उनको खलनायक कहा गया है इसका अर्थ यह नहीं कि उनमें अच्छाई नहीं थी.....कितनी आसानी से राम कि गलतियों को, कृष्ण कि बेईमानियों को ...'अभिनय' 'लीला' जैसे शब्दों का जामा पहना कर हमलोग उन्हें सही करार देने में जुट जाते हैं वहीँ दूसरे किसी पात्र विशेष को ऐसा कोई मौका भी देने के लिए तैयार नहीं रहते हैं.....मैं जब इन पत्रों के विषय में सोचती हूँ तो खुद को उनके स्थान पर रखती हूँ...और सोचती हूँ क्या मैं ऐसा करती.....जब हर तरफ से मान लेती हूँ कि जो उन्होंने ने किया वो अदम्य था.....सर्वथा स्वार्थहीन था......तब ही लिखती हूँ....<br />आप की असहमति कोई नयी नहीं है......यह असहमति तो सर्वत्र है .....शुरुआत तो सहमतियों की हुई है....चाहे वो मात्र एक ही क्यों न हो.....<br />और हाँ...दुर्योधन और दुह्शाशन पर लिखने की मेरी हरगिज भी मंशा नहीं है.....लेकिन 'कंस' जी हाँ ...मेरे विचार से उसका चरित्र भी काफी ऊँचा था.......स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-34538194945031527642009-10-26T22:00:37.527+05:302009-10-26T22:00:37.527+05:30अदा जी,
अच्छा लगता है
जब आप पौराणिक पात्रों के चरि...अदा जी,<br />अच्छा लगता है<br />जब आप पौराणिक पात्रों के चरित्र में नए नए आयाम खोजती हैं...<br />एक नया दृष्टिकोण देती हैं... उनके और भीतर झाँकने के लिए....<br /><br />लेकिन इस शकुनी नाम के जीव से हमें कोई प्रेम नहीं है.....<br />आपने उसका सिर्फ एक रूप देखा ... वो ये की उसे अपनी बहन से अटूट प्रेम था... और जीवन भर रहा.....<br />मान लिया....<br />इसका मतलब ये तो नहीं ...के किसी और को किसी से कोई प्रेम नहीं था..या वो प्रेम जीवन भर नहीं रहा...<br /><br />माफ़ी चाहूंगा हाथ जोड़कर...<br />पर मैं आपसे बिलकुल भी सहमत नहीं हो पा रहा हूँ...<br /><br />इस से पहले हमने 'ध्रतराष्ट्र' पर भी आपत्ति उठाई थी...!<br />कल को आप दुर्योधन, कंस पे लिखोगे तो उस पर भी उठाऊंगा..<br />आशा है आप माफ़ करेंगी...<br />सादर..<br />मनु....manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-58451011513830861182009-10-26T21:05:48.349+05:302009-10-26T21:05:48.349+05:30मैं आऊं और चला जाऊं ऐसा हो नहीं सकता
ग़ज़ल सुनके न...मैं आऊं और चला जाऊं ऐसा हो नहीं सकता<br />ग़ज़ल सुनके ना टिपियाऊं ऐसा हो नहीं सकता<br />अदा जी आपका अंदाज़ है सब से जुदा लेकिन<br />सभी को मैं ही बतलाऊं ऐसा हो नहीं सकता<br />--योगेन्द्र मौदगिलयोगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-52256302444756212242009-10-26T19:04:43.769+05:302009-10-26T19:04:43.769+05:30आपका अलग अंदाज़ भी कमाल का है ....... नया दृष्टिको...आपका अलग अंदाज़ भी कमाल का है ....... नया दृष्टिकोण है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-68393434391265228862009-10-26T17:59:07.212+05:302009-10-26T17:59:07.212+05:30प्रभु मुझे शकुनी सा मामा देना और मंथरा सी दासी...
...प्रभु मुझे शकुनी सा मामा देना और मंथरा सी दासी...<br /><br />bahut dino baad aaiya hoon apke blog main (Any mouse 007)<br /><br />waise meri bhi dili iccha hai prabhu mujhe aDaDi jaisi 'Ladaka' di mat dena....<br />...aisa bhi koi tippani karta hai bhala apne bhai ke blog main?<br /><br /><b>waise main us comment kitna accha feel kar raha hoon...<br />...aapko to pata hi hai !!</b><br />isliye apni latest post (hehehe) aapko dedicate karta hoon !!<br /><br />इतने सारे पात्रों में मुझे बस एक पात्र ही भाया है <br />शकुनी ने हर हाल में अपनी बहन से प्रेम निभाया है <br />to aaj se mujhe shakuni hi kehna aDaDi....Any Mouse 007 Reloadedhttp://www.youtube.com/watch?v=cR1zgNHUusEnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-49026263466960299982009-10-26T16:47:20.396+05:302009-10-26T16:47:20.396+05:30बिलकुल सही कहा अदा जी! वैसे नए परिवेश अमिन नई सोच ...बिलकुल सही कहा अदा जी! वैसे नए परिवेश अमिन नई सोच के साथ नया महाभारत लिखा ही जाना चाहिए आप ही लिख डालिए...... मुझे पसंद आई आपकी बात.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-11283057183953754552009-10-26T14:50:00.994+05:302009-10-26T14:50:00.994+05:30Ada ji aapne to mahabharat ko padne ki bhi nahi ad...Ada ji aapne to mahabharat ko padne ki bhi nahi ada sikhaayi hai...<br />jinhe samajhti rahi yeh duniya galat unki galtiyo mein bhi sahi ki roshni dikhayi hai...<br /><br />-SheenaShrutihttps://www.blogger.com/profile/07572621242447318996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-21845639261349182232009-10-26T14:37:16.620+05:302009-10-26T14:37:16.620+05:30di.. ek ek kar aap saare pauranik paatron ki vyakh...di.. ek ek kar aap saare pauranik paatron ki vyakhya kar rahi hain aur bilkul alag andaaz mein.. ye bhi to ek naya granth hi ban jayega!!!Ambarishhttps://www.blogger.com/profile/10523604043159745100noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-38706928992367153652009-10-26T12:58:31.672+05:302009-10-26T12:58:31.672+05:30ये भी एक नई दृष्टि डली इस पात्र पर. बहुत बढिया.
र...ये भी एक नई दृष्टि डली इस पात्र पर. बहुत बढिया.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-25513954234453977022009-10-26T12:03:54.634+05:302009-10-26T12:03:54.634+05:30हे राम इस लडकी की अदायें तौबा ।पता नहीं कहाँ से नई...हे राम इस लडकी की अदायें तौबा ।पता नहीं कहाँ से नई बात निकाल लाती है। बहुत सुन्दर रचना है बधाई।ढेरों शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-32717835761474506232009-10-26T10:50:17.412+05:302009-10-26T10:50:17.412+05:30सुन्दर कविता !!
प्रभु मुझे अदा जी जैसी बहना देनासुन्दर कविता !!<br />प्रभु मुझे अदा जी जैसी बहना देनाMishra Pankajhttps://www.blogger.com/profile/02489400087086893339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-43340837315026466722009-10-26T10:50:00.495+05:302009-10-26T10:50:00.495+05:30ऐसा मामा कहो कभी कहीं भी तुम्हें नज़र आया
जिसने अपन...ऐसा मामा कहो कभी कहीं भी तुम्हें नज़र आया<br />जिसने अपना सम्पूर्ण जीवन भांजे के सुख में गँवाया<br />मुझे जो ऐसा मामा मिलता मैं स्वयं को धन्य कहाती<br />हर जन्म में यही मामा मिले ह्रदय से कामना कर जाती<br /><br />आप ख्वाब अच्छे देख लेती है !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-83633455190300722562009-10-26T10:27:13.683+05:302009-10-26T10:27:13.683+05:30अब भाई, मामा तो मामा ही होता है, आखिर कंस भी तो मा...अब भाई, मामा तो मामा ही होता है, आखिर कंस भी तो मामा ही था।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-52521652186585459652009-10-26T09:47:50.538+05:302009-10-26T09:47:50.538+05:30कमाल है
मिश्रा जी की बात भली लगी मुझे.कमाल है<br />मिश्रा जी की बात भली लगी मुझे.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-47931782604971888222009-10-26T09:38:38.346+05:302009-10-26T09:38:38.346+05:30आपकी ये निराली अदा भा गयी.
हास्य व्यंग के लिये ये...आपकी ये निराली अदा भा गयी.<br /><br />हास्य व्यंग के लिये ये अलग नज़रीया ठीक है, मगर वास्तविक जीवन में भी हम तर्क से हर चीज़ को सही या गलत करार दे सकते हैं क्योंकि यह सब्जेक्टिव मसला है.<br /><br />However, it is the sum total of goodness v/s badness in youself which should prevail. How grey you are and how much you thrive to be towards White.दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-78058491160736069822009-10-26T09:20:10.788+05:302009-10-26T09:20:10.788+05:30अदा जी,
एक मामे आजकल भारत की सड़कों पर भी नज़र आत...अदा जी,<br /><br />एक मामे आजकल भारत की सड़कों पर भी नज़र आते हैं...खाकी वर्दी में नुक्कड़-चौराहों पर उगाही करते हुए...नकद नारायण के लिए इन मामों की निष्ठा के आगे शकुनि और मंथरा क्या पानी भरेंगे...<br /><br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-5358016057247609742009-10-26T08:16:31.927+05:302009-10-26T08:16:31.927+05:30waani ji se poori tarah sahmat hoon.....
is ke sa...waani ji se poori tarah sahmat hoon.....<br /><br />is ke saath hi dhratraashtr duryodhan dushaasan jaisse paatr bhi..<br />hame kisi tarah manjoor nahi hain..Unknownhttps://www.blogger.com/profile/18200826341794508856noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-6487525907291053702009-10-26T07:17:20.296+05:302009-10-26T07:17:20.296+05:30ऐसा मामा कहो कभी कहीं भी तुम्हें नज़र आया
जिसने अपन...ऐसा मामा कहो कभी कहीं भी तुम्हें नज़र आया<br />जिसने अपना सम्पूर्ण जीवन भांजे के सुख में गँवाया.niceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-21384461629850842832009-10-26T07:01:36.467+05:302009-10-26T07:01:36.467+05:30शकुनी और कैकेयी का प्रेम व् निष्ठा जरुर एक उदहारण ...शकुनी और कैकेयी का प्रेम व् निष्ठा जरुर एक उदहारण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है ...मगर ये दोनों चरित्र आदर्श के रूप स्वीकारे जाने योग्य तो बिलकुल भी नहीं है ....<br />आपकी इस बात से सहमत हूँ की पूरी महाभारत ही छल प्रपंच, पाखंड, दुष्टता की मिसाल है मगर हम ये क्यों भूले की इन अवगुणों के कारण ही महाभारत रचा गया और एक उन्नत सभ्यता का अवसान हुआ ... !!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-88686926923115323322009-10-26T06:58:06.740+05:302009-10-26T06:58:06.740+05:30ये भी एक अदा ही कहलाई..जय हो!! आमीन!!ये भी एक अदा ही कहलाई..जय हो!! आमीन!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com