tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post4719999047716349690..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: हम हक़ीक़त के हाथों यूँ मरते रहे बढ़ के पेड़ों से बेलें हटाते रहेस्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-31275282220397286332009-12-05T23:59:27.205+05:302009-12-05T23:59:27.205+05:30वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर लोग प्रतिमा को लड...वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर लोग प्रतिमा को लड्डू चढ़ाते रहे<br />इक कली जिस गली में बलि चढ़ गयी वहीँ देवी का मंडप सजाते रहे....<br />jyada hi achhi ho gayi ye wali...Ambarishhttps://www.blogger.com/profile/10523604043159745100noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-37678078719424603272009-12-04T23:57:57.054+05:302009-12-04T23:57:57.054+05:30zindgi ko kaheeN qreeb se chhoo kar guzarti huee e...zindgi ko kaheeN qreeb se chhoo kar guzarti huee ek nayaab rachnaa....<br />har sher apna falasfaa khud bayaan kartaa huaa....<br />bhaav, shaili aur kathyaa ka anoothaa sangam....<br />m u b a r a k b a a d .daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-46209732346325619802009-12-04T23:13:18.117+05:302009-12-04T23:13:18.117+05:30ज़िन्दगी के लिए कुछ नए रास्ते हम बनाते रहे फिर मिट...ज़िन्दगी के लिए कुछ नए रास्ते हम बनाते रहे फिर मिटाते रहे <br />थी वहीँ वो खड़ी इक हंसीं ज़िन्दगी हम उससे मगर दूर जाते रहे <br />सच ज़िन्दगी,सामने खड़ी होती है और हम उसे पहचान नहीं पाते...सुन्दर ग़ज़ल....असलियत से रु-ब-रु करवाती हुई.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-21516459675318627942009-12-04T20:52:33.818+05:302009-12-04T20:52:33.818+05:30वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर लोग प्रतिमा को लड...वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर लोग प्रतिमा को लड्डू चढ़ाते रहे<br />इक कली जिस गली में बलि चढ़ गयी वहीँ देवी का मंडप सजाते रहे<br />बहुत सुंदर रचना, मै इसी लिये तो मंदिर नही जाता, क्योकि मुझे पता है भगवान तो वहा से कब का भाग गया है.अब वहा लडने वाले ओर पेसो के लालची रहते हैराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-72417625599164315432009-12-04T20:30:44.910+05:302009-12-04T20:30:44.910+05:30वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर लोग प्रतिमा को लड...वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर लोग प्रतिमा को लड्डू चढ़ाते रहे<br />इक कली जिस गली में बलि चढ़ गयी वहीँ देवी का मंडप सजाते रहे<br /><br />जिंदगी ऐसे ही हो गयी है जहाँ आदमी अपने जीने की जद्दोजहद में भूल जाता है की क्या अच्छा कर रहा है और क्या बुरा..<br />बहुत बढ़िया ग़ज़ल लिखा है आपने...पढ़ कर बहुत अच्छा लगा..विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-29149921385578921992009-12-04T19:26:24.983+05:302009-12-04T19:26:24.983+05:30वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर लोग प्रतिमा को लड...<i>वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर लोग प्रतिमा को लड्डू चढ़ाते रहे<br />इक कली जिस गली में बलि चढ़ गयी वहीँ देवी का मंडप सजाते रहे</i><br /><br />लोमहर्षकलोकेश Lokeshhttps://www.blogger.com/profile/12218007406634430572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-31249822234360062812009-12-04T17:19:32.208+05:302009-12-04T17:19:32.208+05:30बहुत खूब ग़ज़ल कही...सभी शे'र जेहन में हलचल पै...बहुत खूब ग़ज़ल कही...सभी शे'र जेहन में हलचल पैदा कर रहे हैं.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-76479771525818632812009-12-04T16:17:12.565+05:302009-12-04T16:17:12.565+05:30रात रोई थी मिल के गले चाँद से और अँधेरे अँधेरा बढ़ा...रात रोई थी मिल के गले चाँद से और अँधेरे अँधेरा बढ़ाते रहे<br />आँखें बुझने लगीं हैं चकोरी की अब दूर तारे खड़े मुस्कुराते रहे <br /><br />बहुत खूब ..सुन्दर लिखा है आपने शुक्रियारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-13823828865265628802009-12-04T13:02:04.091+05:302009-12-04T13:02:04.091+05:30वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर लोग प्रतिमा को लड...वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर लोग प्रतिमा को लड्डू चढ़ाते रहे<br />इक कली जिस गली में बलि चढ़ गयी वहीँ देवी का मंडप सजाते रहे<br />क्या बात है अदा जी.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-7539798562021551902009-12-04T12:56:22.652+05:302009-12-04T12:56:22.652+05:30zindagi ki itni gehri baatein itne asaan shabdo me...zindagi ki itni gehri baatein itne asaan shabdo mein keh diya aapne..<br /><br />har ek sher apne mein kuch khaas hai..<br />ज़िन्दगी के लिए कुछ नए रास्ते हम बनाते रहे फिर मिटाते रहे<br />थी वहीँ वो खड़ी इक हंसीं ज़िन्दगी हम उससे मगर दूर जाते रहेShrutihttps://www.blogger.com/profile/07572621242447318996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-76020117652071872772009-12-04T11:16:24.330+05:302009-12-04T11:16:24.330+05:30रात रोई थी मिल के गले चाँद से और अँधेरे अँधेरा बढ़ा...रात रोई थी मिल के गले चाँद से और अँधेरे अँधेरा बढ़ाते रहे<br />आँखें बुझने लगीं हैं चकोरी की अब दूर तारे खड़े मुस्कुराते रहे<br /><br />बिखरे-बिखरे थे मेरे वो सब फासले हम करीने से उनको सजाते रहे<br />अब समेटेंगे हम अपनी नजदीकियां दूरियों को गले से लगाते रहे<br />अदा जी आप भी क्या गज़ब कर रही हैं । अरे इनको पढते हुये किसी ब्लाग पर जाने का मन ही नहीं हो रहा। बहुत बहुत बधाईनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-80650378769873371562009-12-04T09:31:28.157+05:302009-12-04T09:31:28.157+05:30रात रोई थी मिल के गले चाँद से और अँधेरे अँधेरा बढ़ा...रात रोई थी मिल के गले चाँद से और अँधेरे अँधेरा बढ़ाते रहे <br />आँखें बुझने लगीं हैं चकोरी की अब दूर तारे खड़े मुस्कुराते रहे <br /><br />Ati Sundar !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-54737002439447967072009-12-04T08:49:25.610+05:302009-12-04T08:49:25.610+05:30"वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर ..."
...<b>"वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर ..."</b><br /><br />पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक,<br />चल रहा लकुटिया टेक,<br />मुट्ठी-भर दाने को, भूख मिटाने को<br />मुँह फटी पुरानी झोली को फैलाता –<br />दो ड़ूक कलेजे के करता, पछताता, पथ पर आता।<br />सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-71490430525875647082009-12-04T07:58:41.479+05:302009-12-04T07:58:41.479+05:30ना तो हिंदी में लिखा जा रहा था और ना ही...आई . दी....ना तो हिंदी में लिखा जा रहा था और ना ही...आई . दी. नहीं खुल पा रही थी ..<br />इसी लिए अनाम कमेंट्स की माफ़ी चाहूँगा....<br />बहुत बहुत सही लिखा है....<br />९९.९९ % बह्र में है....१०० % भी हो जायेगी ...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-9527544261221761372009-12-04T07:42:43.852+05:302009-12-04T07:42:43.852+05:30अब समेटेंगे हम अपनी नजदीकियां दूरियों को गले से लग...अब समेटेंगे हम अपनी नजदीकियां दूरियों को गले से लगाते रहे <br /><br />वो पेड़ों के झुरमुट से अहसास थे और ख्वाबों की बेलें लिपटती रहीं <br /><br />bahut khub...!!!!<br /><br />इक कलि जिस गली में बलि चढ़ गयी वहीँ देवी का मंडप सजाते रहे<br /><br />ye jiski taarif parimal ji ne ki hai abhi..<br />wo bhi behad sunder ban padaa hai...<br /><br />manu..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-56595149059001312092009-12-04T07:41:38.712+05:302009-12-04T07:41:38.712+05:30वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर लोग प्रतिमा को लड...वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर लोग प्रतिमा को लड्डू चढ़ाते रहे<br />इक कलि जिस गली में बलि चढ़ गयी वहीँ देवी का मंडप सजाते रहे...<br /><br />कलम की धार कहर बरपा रही है आज कल ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-81432770364229307112009-12-04T07:39:38.254+05:302009-12-04T07:39:38.254+05:30by god.....!!!!!!!!!!!
itani sahi..?
be-khatkaa.....by god.....!!!!!!!!!!!<br /><br />itani sahi..?<br />be-khatkaa....!!!!!!!!!!!<br /><br />manu..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-28939260647895622212009-12-04T07:37:49.409+05:302009-12-04T07:37:49.409+05:30आपके शेर मन में अद्भुत भावों का सृजन और संचार करते...आपके शेर मन में अद्भुत भावों का सृजन और संचार करते हैं जिन्हें समटने में<br />सारी बची खुची बौद्धिक ऊर्जा निवेशित हो जाती है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-25990671876916950642009-12-04T07:32:07.808+05:302009-12-04T07:32:07.808+05:30देर से आना, जल्दी जाना
ए साहिब, ये ठीक नहीं
चाहने ...देर से आना, जल्दी जाना<br />ए साहिब, ये ठीक नहीं<br />चाहने वालों को यूं है सताना<br />ए साहिब, ये ठीक नहीं...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-76235935176876801682009-12-04T07:17:47.891+05:302009-12-04T07:17:47.891+05:30ग़ज़ल क़ाबिले-तारीफ़ है।ग़ज़ल क़ाबिले-तारीफ़ है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-53899003812238561192009-12-04T07:12:50.862+05:302009-12-04T07:12:50.862+05:30एक उम्दा रचना के लिए बधाई:
बिखरे-बिखरे थे मेरे वो...एक उम्दा रचना के लिए बधाई:<br /><br />बिखरे-बिखरे थे मेरे वो सब फासले हम करीने से उनको सजाते रहे<br />अब समेटेंगे हम अपनी नजदीकियां दूरियों को गले से लगाते रहे <br /><br />वाह!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-72216027400658430952009-12-04T07:07:03.072+05:302009-12-04T07:07:03.072+05:30आज के हालात को व्यक्त करती रचना...बहुत ही सही तस्व...आज के हालात को व्यक्त करती रचना...बहुत ही सही तस्वीर पेश करती है...बधाई..RAJNISH PARIHARhttps://www.blogger.com/profile/07508458991873192568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-9903253954700542282009-12-04T05:52:03.627+05:302009-12-04T05:52:03.627+05:30वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर
लोग प्रतिमा को ल...वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर<br /> लोग प्रतिमा को लड्डू चढ़ाते रहे<br />इक कलि जिस गली में बलि चढ़ गयी <br />वहीँ देवी का मंडप सजाते रहे<br /><br />बहुत सफाई से समाज को फटकार लगाई है आपने!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-61782865435334922012009-12-04T04:11:56.005+05:302009-12-04T04:11:56.005+05:30आज बहुत दिनों बाद आ पाया हूँ अदा जी,
पता नहीं कितन...आज बहुत दिनों बाद आ पाया हूँ अदा जी,<br />पता नहीं कितनी पोस्ट्स आपकी अभी पढ़नी है मुझे,<br />ये शेर सबसे जुदा है, अपने आस-पास की सच्चाई को बा-खूबी उकेरा है आपने,<br />वो तो भूखा मरा मंदिर के द्वार पर लोग प्रतिमा को लड्डू चढ़ाते रहे<br />इक कलि जिस गली में बलि चढ़ गयी वहीँ देवी का मंडप सजाते रहे<br />बहुत खूब !!Unknownhttps://www.blogger.com/profile/06587620497676437010noreply@blogger.com