tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post4539745548874288985..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: रिन्दों की है पाँत लगी और दौर चला पैमानों कास्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-31868501138850288572009-11-18T18:29:53.404+05:302009-11-18T18:29:53.404+05:30शम्मा भी अब सोने चली!
ऐसी भी शम्मायें होती हैं क़िब...शम्मा भी अब सोने चली!<br />ऐसी भी शम्मायें होती हैं क़िबला ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-88537186175036259822009-11-16T18:15:18.873+05:302009-11-16T18:15:18.873+05:30कोई मरे है राम पर कोई अल्लाह को जाँ नवाजे
मुर्दों...कोई मरे है राम पर कोई अल्लाह को जाँ नवाजे <br />मुर्दों को दरकार कहाँ दुनिया के इबादतखानो का<br /><br />wah lagta hai koi professonial writer banne wala hai...<br /><br /><br />Ek baat batao jab aapki kitab chapegi to usmein mera naam bhi 'Acknowledgments' main hoga naa?<br /><br />Mujhe to lagta hai hoga...<br /><br />Aur haan manu ji ke comment ko wo last wale mote page main zarror daalna...<br /><br />aur haan ek baat aur royalti main 2-3 % mujhe bhi dena.<br />hahahaha<br />:)<br /><br />मयखाने में साकी को अब क्या है ज़रुरत रहने की <br />रिन्दों की है पाँत लगी और दौर चला पैमानों का <br /><br />ismein manu ji ka comment mera maana jaiye.<br /><br />Bachwa.दर्पण साहhttps://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-35676319397439578312009-11-16T12:44:04.829+05:302009-11-16T12:44:04.829+05:30---बहुत खूब, आदाब---अर्ज है--
"या रब तेरी दुन...---बहुत खूब, आदाब---अर्ज है--<br />"या रब तेरी दुनिया में क्या ऐसा भीकोई तौर है,<br />रिन्दों को भी ज़न्नत मिले जब रुखसते पयाम हो।" shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-90838379668320913402009-11-15T10:36:10.716+05:302009-11-15T10:36:10.716+05:30"धज्जी-धज्जी है पैरहन आँखों में है खुमारी सी ..."धज्जी-धज्जी है पैरहन आँखों में है खुमारी सी <br />मजनूँ सी सीरत लेकर क्या होगा तुम दीवानों का"<br /><br />इन दो पंक्तियों{शेर नहीं कहूंगा} पे करोड़ों दाद देता हूं मैम। महावीर जी को अपनी टिप्पणी में इस लाजवाब रचना के लिये ब्रैकेट में ग़ज़ल को प्रश्नवाचक चिह्न के साथ लिख छोड़ना देख कर आपसे लड़ने-झगड़ने का मन मरने लगता है मैम...<br /><br />आप समझ रही हैं ना क्यूं? इन बेमिसाल मिस्रों को ग़ज़ल के फार्मेट पर न बिठाना ज़ुल्म है इन मिस्रों के साथ...गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-72978957040968898532009-11-15T04:11:38.637+05:302009-11-15T04:11:38.637+05:30Bahut dino baad aaya hun, poori ghazal bahut sunda...Bahut dino baad aaya hun, poori ghazal bahut sundar hain<br />Badhaai.Nikhilnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-31189466832823478762009-11-14T17:30:40.415+05:302009-11-14T17:30:40.415+05:30कोई मरे है राम पर कोई अल्लाह को जाँ नवाजे
मुर्दों...कोई मरे है राम पर कोई अल्लाह को जाँ नवाजे <br />मुर्दों को दरकार कहाँ दुनिया के इबादतखानो का ...<br /><br />kamal ka sher hai ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-29537627767487647272009-11-14T16:52:52.904+05:302009-11-14T16:52:52.904+05:30वाह !
बहुत सुंदर लिखा है...
"हमने जिसको शहर स...वाह !<br />बहुत सुंदर लिखा है...<br />"हमने जिसको शहर समझा जंगल है वो मकानों का"Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-28469550597602441082009-11-14T11:00:13.575+05:302009-11-14T11:00:13.575+05:30कोई दोस्त है न रकीब है
तेरा शहर कितना अजीब है...
म...कोई दोस्त है न रकीब है<br />तेरा शहर कितना अजीब है...<br />मैं किसे कहूं, मेरे साथ चल,<br />यहां हर सिर पे सलीब है...<br />तेरा शहर कितना अजीब है,<br />कोई दोस्त है न रकीब है...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-41288688764817964922009-11-14T08:35:45.917+05:302009-11-14T08:35:45.917+05:30मयखाने में साकी को अब क्या है ज़रुरत रहने की
रिन्...मयखाने में साकी को अब क्या है ज़रुरत रहने की <br />रिन्दों की है पाँत लगी और दौर चला पैमानों का <br /><br />सबसे प्यारा शे'र लगा अदा जी,<br />साकी क्या ....पीने वाले को तो पैमाने..सोडा वाटर, आइस-क्यूब ...... और वो मूंग की दाल वाली नमकीन.....!!!<br /><br /> हा हा हा हा हा ..... ( उसे हम बचपन में शराबियों वाली नमकीन कहते थे...)<br /><br />किसी भी चीज की जरूरत नहीं होती.....<br /><br />फिर भी साकी ...साकी ही होता है....<br />उसे ही पता होता है के कितनी पी चुका है..कब संभालना है पीने वाले को...<br />साकी बस...अच्छा होना चाहिए...<br /><br /><br /><br />धज्जी-धज्जी है पैरहन आँखों में है खुमारी सी <br />मजनूँ सी सीरत लेकर क्या होगा तुम दीवानों का <br /><br /><br />ये शे'र पढ़कर आपके ही ब्लॉग पर देखि मजनू-लैला की एक तस्वीर याद आ गयी.....<br /><br />और आप ही का एक शे'र भी...<br />ज़माना हो दीवाना कब ...ऐसे ही कुछ था...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-40578336569616268572009-11-14T07:54:08.962+05:302009-11-14T07:54:08.962+05:30Di.. kafi achchhi gazal ban padi hai... khaskar ke...Di.. kafi achchhi gazal ban padi hai... khaskar ke bhav saundarya ke to kya kahne.. <br />Jai Hind...दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-41049434608990340202009-11-14T07:20:21.233+05:302009-11-14T07:20:21.233+05:30हमने जिसको शहर समझा जंगल है वो मकानों का
और पहचान ...हमने जिसको शहर समझा जंगल है वो मकानों का<br />और पहचान कहाँ हो पाती है इंसान बने शैतानों का <br /><br />जंगल बने मकानों में इंसान के रूप में शैतानों को पहचाना ...बहुत खूब ...क्या लिखती हैं आप भी समसामयिक रचना ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-61547726778177717152009-11-14T02:54:48.392+05:302009-11-14T02:54:48.392+05:30बहुत खूब लिखती है आप , शुभकामनाएं !बहुत खूब लिखती है आप , शुभकामनाएं !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-813022551931655212009-11-14T00:46:04.575+05:302009-11-14T00:46:04.575+05:30बस इतना ही कहना है-
खुद में सिमटकर रहना छोडो, घर स...बस इतना ही कहना है-<br />खुद में सिमटकर रहना छोडो, घर से बाहर आओ तो,<br />और भी हैं फनकार बहुत 'शाहिद' गज़लों की दुनिया में <br />शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-92124952595166961752009-11-14T00:46:02.864+05:302009-11-14T00:46:02.864+05:30This comment has been removed by the author.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-73106243282910355352009-11-14T00:45:17.431+05:302009-11-14T00:45:17.431+05:30आपने बहुत अच्छा लिखा है। विचार और शिल्प प्रभावित क...आपने बहुत अच्छा लिखा है। विचार और शिल्प प्रभावित करते हैं। मैने भी अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-घरेलू हिंसा से लहूलुहान महिलाओं का तन और मन-मौका लगे तो पढ़ें और अपनी राय भी दें-<br /><br />http://www.ashokvichar.blogspot.com<br /><br />मेरी कविताओं पर भी आपकी राय अपेक्षित है। यदि संभव हो तो पढ़ें-<br /><br />http://drashokpriyaranjan.blogspot.comDr. Ashok Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01184710406024316074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-47614329341544818522009-11-14T00:06:42.222+05:302009-11-14T00:06:42.222+05:30आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ. निहायत आला और न...आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ. निहायत आला और नफ़ीस खयालात हैं आपके. पूरी रचना (ग़ज़ल?) बहुत ख़ूबसूरत है. ये पंक्तियाँ बहुत पसंद आईं:<br /><br />जिसको हमने शहर समझा जंगल है वो मकानों का<br />और पहचान कहाँ हो पाती है इंसान बने शैतानों का<br /><br />मयखाने में साकी को अब क्या है ज़रुरत रहने की<br />रिन्दों की है पाँत लगी और दौर चला पैमानों का <br /><a href="http://mahavirsharma.blogspot.com" rel="nofollow">महावीर शर्मा</a>महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-88521906079388767932009-11-13T23:48:55.068+05:302009-11-13T23:48:55.068+05:30ताजा हवा के एक झोंके समान ...इस ग़ज़ल को पढ़ कर मै...ताजा हवा के एक झोंके समान ...इस ग़ज़ल को पढ़ कर मैं वाह-वाह कर उठा।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-72045669748139431312009-11-13T23:20:48.647+05:302009-11-13T23:20:48.647+05:30waah....bahoot khoob likha hai...saadhuwad.waah....bahoot khoob likha hai...saadhuwad.nagarjunahttps://www.blogger.com/profile/17023873062790558915noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-33785641922695668702009-11-13T22:10:56.233+05:302009-11-13T22:10:56.233+05:30कोई मरे है राम पर कोई अल्लाह को जाँ नवाजे
मुर्दों...कोई मरे है राम पर कोई अल्लाह को जाँ नवाजे <br />मुर्दों को दरकार कहाँ दुनिया के इबादतखानो का<br /><br />बहुत खूब बहन मंजूषा। रचना पसन्द आयी।<br /><br />मंदिर को जोड़ते जो मस्जिद वही बनाते<br />मालिक है एक फिर भी जारी लहू बहाना<br /><br />सादर<br />श्यामल सुमन<br />09955373288<br />qqq.manoramsuman.blogspot.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-18686115486607619332009-11-13T20:56:19.971+05:302009-11-13T20:56:19.971+05:30कोई मरे है राम पर कोई अल्लाह को जाँ नवाजे
मुर्दों ...कोई मरे है राम पर कोई अल्लाह को जाँ नवाजे<br />मुर्दों को दरकार कहाँ दुनिया के इबादतखानो काभई आप की गजल का हर शॆर बबर शेर से कम नही. बहुत सुंदर<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-75775484275724318382009-11-13T20:18:24.899+05:302009-11-13T20:18:24.899+05:30मयखाने में साकी को अब क्या है ज़रुरत रहने की
रिन्...मयखाने में साकी को अब क्या है ज़रुरत रहने की <br />रिन्दों की है पाँत लगी और दौर चला पैमानों का <br /><br />ख़ूबसूरत अंदाजे बयां ..क्या कहने....समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-46617760906183454282009-11-13T20:02:33.535+05:302009-11-13T20:02:33.535+05:30जिसको हमने शहर समझा जंगल है वो मकानों का
और पहचान ...जिसको हमने शहर समझा जंगल है वो मकानों का<br />और पहचान कहाँ हो पाती है इंसान बने शैतानों का <br />jesa shahar vesa insaan..waah kyaa baat likhi he.<br />कोई मरे है राम पर कोई अल्लाह को जाँ नवाजे <br />मुर्दों को दरकार कहाँ दुनिया के इबादतखानो का<br />nishabd hoo adaji, baad me yadi tippani likh payaa to jaroor likhna chahunga..bahut behtreen gazal he.अमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-58517972772432946692009-11-13T18:53:38.958+05:302009-11-13T18:53:38.958+05:30जिसको हमने शहर समझा जंगल है वो मकानों का
और पहचान ...जिसको हमने शहर समझा जंगल है वो मकानों का<br />और पहचान कहाँ हो पाती है इंसान बने शैतानों का <br />मकानो के इस जंगल मे जंगली इंसान भी तो रहते है.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-55843237291919232402009-11-13T18:37:29.424+05:302009-11-13T18:37:29.424+05:30"और पहचान कहाँ हो पाती है इंसान बने शैतानों क...<b>"और पहचान कहाँ हो पाती है इंसान बने शैतानों का"</b><br /><br />सच है, देवताओं के बीच राहु भी तो नहीं पहचाना गया था।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.com