tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post3823784404854521360..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: सरकारी नौकर नहीं,.... दामाद/बहू इस तरह से काम करते हैं....स्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-30222292016745905672010-10-07T14:43:13.532+05:302010-10-07T14:43:13.532+05:30सरकारी नौकर हूँ इसलिए यह ज़रूर कहूँगा की कुछ विभाग...सरकारी नौकर हूँ इसलिए यह ज़रूर कहूँगा की कुछ विभाग ऐसे भी होते हैं जहाँ काम बहुत अधिक और बहुत कठिन होता है. जिन विभागों में पब्लिक डीलिंग ज्यादा होती है वहां वाकई बुरे हाल हैं पर उनसे इतर विभागों में ख़ामोशी से अधिकांश लोग काम करते मिलते हैं.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-43375665196810183912010-10-07T10:30:56.577+05:302010-10-07T10:30:56.577+05:30uri baba...a rakam bolo na....bahi hoye gaye chhe....uri baba...a rakam bolo na....bahi hoye gaye chhe..<br /><br />apnar lekha jokha khoob bhalo...<br /><br />pranamसञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-23111704875248656092010-10-07T08:30:24.141+05:302010-10-07T08:30:24.141+05:30@अदा जी,
आप तो वाकई बच्चों की जान लेंगी...
@पाबला...@अदा जी,<br />आप तो वाकई बच्चों की जान लेंगी...<br /><br />@पाबला जी,<br />दस्सो भला, राति दो-दो वजे तक जागकर देश-विदेश कॉल मिलाओ तां ऐ अदा जी चाहंदे ने दिण विच आफिस वी आराम न करिए...(बड़े दिनां बाद पंगा)<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-49146491539141223472010-10-07T07:30:00.566+05:302010-10-07T07:30:00.566+05:30सरकारी दफ्तरों की खूब पोल खोली आपने ...!सरकारी दफ्तरों की खूब पोल खोली आपने ...!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-67798682652427670982010-10-07T00:22:41.516+05:302010-10-07T00:22:41.516+05:30वाट लगा दी आपनें बेचारे दामाद बहुओं की :)वाट लगा दी आपनें बेचारे दामाद बहुओं की :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-38167643111084065922010-10-06T23:40:29.089+05:302010-10-06T23:40:29.089+05:30सही मायने में काम करते हैं...
कहाँ?
कब?
कैसे?सही मायने में काम करते हैं...<br /><br />कहाँ?<br />कब? <br />कैसे?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-40586612497848524602010-10-06T22:48:30.548+05:302010-10-06T22:48:30.548+05:30अब क्या बच्चे की जान लेंगी इतना काम काफी नहीं है क...अब क्या बच्चे की जान लेंगी इतना काम काफी नहीं है क्या पूरा देश सिर्फ इसी काम के भरोसे चल रहा है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-72425361193138668272010-10-06T22:24:26.878+05:302010-10-06T22:24:26.878+05:30हर दिन के 24 घंटे में से 2/3 तो आप निकालना ही भूल ...हर दिन के 24 घंटे में से 2/3 तो आप निकालना ही भूल गईं :)<br />(जब बाबू लोग काम पर नहीं होते)Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-11587378858948551382010-10-06T22:22:40.803+05:302010-10-06T22:22:40.803+05:30दामाद और बहुओं को क्यों बदनाम कर रही हैं, वो तो इस...दामाद और बहुओं को क्यों बदनाम कर रही हैं, वो तो इससे कहीं अधिक कार्य करते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-60664108842283370702010-10-06T21:33:45.770+05:302010-10-06T21:33:45.770+05:30क्षमा करें अदा जी !
आप ये तो भूल ही गईं कि
* कम...क्षमा करें अदा जी !<br /><br />आप ये तो भूल ही गईं कि <br /><br />* कम से कम ४० दिन क्रिकेट देखने में भी खर्च होते हैं<br />* ४ दिन ऑफिस में आँख मटक्का भी खा जाता हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-67337765127026692562010-10-06T21:20:49.878+05:302010-10-06T21:20:49.878+05:30@ संजय जी...
मैं ब्लॉग्गिंग की बात लिखने लगी थी .....@ संजय जी...<br />मैं ब्लॉग्गिंग की बात लिखने लगी थी ...लेकिन हिसाब में (-)३६५ आने लगा ...<br /><br />सच में..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-35965430625112651482010-10-06T21:08:21.707+05:302010-10-06T21:08:21.707+05:30@ शायद कुछ रह भी गया हो...बताइयेगा ज़रा.
@दीदी,
ह...@ शायद कुछ रह भी गया हो...बताइयेगा ज़रा.<br /><br />@दीदी,<br />हाँ कहने को रहा गया है ....<br /><br />"हा हा हा हा हा हा हा हा <br />हा हा हा हा हा हा हा हा <br />हा हा हा हा हा हा हा हा <br />हा हा हा हा हा हा हा हा "<br /><br />बस कह दिया :) अब इसके अलावा कहने को बचा ही क्या है ? :)<br /><br />आपने तो छोटी सी पोस्ट में पूरी पोल खोल दी , ऐसा गजब क्यों किया ?? :)))एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-44260247708099219322010-10-06T21:05:40.206+05:302010-10-06T21:05:40.206+05:30@ शरद जी...
तभी तो ...
८ दिन-सिगरेट/गप्प
लिखा है.....@ शरद जी...<br />तभी तो ...<br />८ दिन-सिगरेट/गप्प<br />लिखा है...आम के आम गुठलियों के दाम<br />जिनको बीड़ी सिगरेट पीना है वो, वो पीते हैं और जिनको गप्प मारना है वो गप्प मारते हैं..<br />हाँ नहीं तो..!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-34807100673300727982010-10-06T21:01:28.859+05:302010-10-06T21:01:28.859+05:30यह बहू वाला विशेषण तो पहली बार सुना । हाँ माफ कीजि...यह बहू वाला विशेषण तो पहली बार सुना । हाँ माफ कीजियेगा , बहू वाले समय मे से 8 दिन सिग्रेट वाले हटा दें । और बाकी तो आप खुद समझदार है और हम भी ... हाहाहा ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-77421066751310912242010-10-06T21:00:00.481+05:302010-10-06T21:00:00.481+05:30यह हिसाब भी खूब रहा ....यह हिसाब भी खूब रहा ....मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-56479159207308708752010-10-06T20:04:39.223+05:302010-10-06T20:04:39.223+05:30बहुत ही सही हिसाब किताब सामने रखा है आपने.......सा...बहुत ही सही हिसाब किताब सामने रखा है आपने.......साथ ही <br />गोदीयाल जी और दराल जी की बातों से पूरी तरह सहमत........... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-7958168681238427692010-10-06T19:34:14.007+05:302010-10-06T19:34:14.007+05:30सही पोल खोली जी हमारी।
इतने ठाठ की नौकरी हो रही थी...सही पोल खोली जी हमारी।<br />इतने ठाठ की नौकरी हो रही थी, अब किसी न किसी की नजर जरूर लगेगी।<br />कार्यसमय में ब्लॉगिंग में लगने वाला वक्त नहीं शामिल किया आपने, अगर वो भी कर लेती तो शायद घंटे ऋणात्मक संख्या में पहुंच जाते।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-72197054463532601382010-10-06T18:06:36.077+05:302010-10-06T18:06:36.077+05:30फिर भी कहते हैं --भई क्या करें समय ही नहीं मिलता ।...फिर भी कहते हैं --भई क्या करें समय ही नहीं मिलता ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-33438088714477814022010-10-06T18:02:33.108+05:302010-10-06T18:02:33.108+05:30अगर दफ्तर में कैमरे लगे हो तो क्लाइंट ( मुर्गा ) ...अगर दफ्तर में कैमरे लगे हो तो क्लाइंट ( मुर्गा ) से घूस लेने के लिए, ऑफिस के गेट के बाहर अथवा पान की दूकान तक आना =४४.५० दिन :)पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-84243660736490593272010-10-06T17:57:29.679+05:302010-10-06T17:57:29.679+05:30आपने तो कई दिन नहीं जोड़े "खेल" की वजह से...आपने तो कई दिन नहीं जोड़े "खेल" की वजह से दो दिन का अवकाश भी तो है, और बारिश भी और रोज दो घंटे तक गप शप<br /><br />इसे पढ़े और अपने विचार दे :-<br /><a href="http://oshotheone.blogspot.com/2010/10/blog-post.html" rel="nofollow"> कुछ अनसुलझे रहस्य ...१ </a>ओशो रजनीशhttps://www.blogger.com/profile/02490589981699767958noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-83431989460849332352010-10-06T17:42:50.121+05:302010-10-06T17:42:50.121+05:30बिलकुल सही कहा आपने ,देश और समाज की हालत इन निकम्म...बिलकुल सही कहा आपने ,देश और समाज की हालत इन निकम्मों ने बर्बाद कर दी है इनके काम की निगरानी और इनकी जिम्मेवारी तय करने की व्यवस्था पूरी तरह ख़त्म हो चुकी है इसलिए अनुशासन हीनता बढती ही जा रही है ...सरकारी नौकरी आज मुफ्त की रोटी का दूसरा नाम बन गया है ,हालाँकि कुछ अपवाद हैं जिनकी ईमानदारी और कर्तव्य के प्रति समर्पण भाव की वजह से व्यवस्था बर्बाद होने के बाद भी चल रही है ....honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-23690692479432277552010-10-06T17:30:42.455+05:302010-10-06T17:30:42.455+05:3044.5 दिन...आप तो बच्चे के प्राण हर लेंगी..इतना भी ...44.5 दिन...आप तो बच्चे के प्राण हर लेंगी..इतना भी काम कराता है क्या कोई..कुछ तो आराम का समय दिजिये.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com