tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post326951993031491055..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: आश्चर्यजनक किन्तु सत्य...स्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-30131982477503811732010-02-15T21:24:15.670+05:302010-02-15T21:24:15.670+05:30जानकारी के लिये धन्यवाद।जानकारी के लिये धन्यवाद।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17201380931447059389noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-33339047089128709472010-02-11T01:46:42.486+05:302010-02-11T01:46:42.486+05:30बिल्कुल सही कहा आपने। हमारे छत्तीसगढ मे 1300 साल प...बिल्कुल सही कहा आपने। हमारे छत्तीसगढ मे 1300 साल पुराना ईंटो से बना लक्ष्मण मंदिर आज भी सीना ताने खड़ा है।यंहा नदी के बीचोबीच बना राजिम का महादेव मंदिर भी है जो सदियों से बाढ और गर्मी-बरसात झेलता खड़ा है।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-83059321351276899202010-02-11T01:02:43.454+05:302010-02-11T01:02:43.454+05:30अमरेन्द्र,
आपने बिलकुल सही कहा है यह इस्वी ही है ....अमरेन्द्र,<br />आपने बिलकुल सही कहा है यह इस्वी ही है ..ईसा पूर्व नहीं<br />भूल सुधार के लिए धन्यवाद..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-82066682013517044312010-02-11T00:28:46.407+05:302010-02-11T00:28:46.407+05:30di...behtareen jankari k liye
dhanyewad...papro k...di...behtareen jankari k liye <br />dhanyewad...papro k din hai mere bete k history knowlege me kaam ayegi. thanks.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-66054424648440775432010-02-10T23:27:23.404+05:302010-02-10T23:27:23.404+05:30.
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आदरणीय अदा जी,
अच्छी पोस्ट, पर कुछ भी आश्चर्....<br />.<br />.<br />आदरणीय अदा जी,<br />अच्छी पोस्ट, पर कुछ भी आश्चर्यजनक या रहस्यमय नहीं इस स्तंभ के बारे में...यह देखिये:-<br /><b>Mystery of Delhi's Iron Pillar unraveled</b><br />New Delhi, July 18: Experts at the Indian Institute of Technology have resolved the mystery behind the 1,600-year-old iron pillar in Delhi, which has never corroded despite the capital's harsh weather.<br />Metallurgists at Kanpur IIT have discovered that a thin layer of "misawite", a compound of iron, oxygen and hydrogen, has protected the cast iron pillar from rust.<br />The protective film took form within three years after erection of the pillar and has been growing ever so slowly since then. After 1,600 years, the film has grown just one-twentieth of a millimeter thick, according to R. Balasubramaniam of the IIT.<br />In a report published in the journal Current Science Balasubramanian says, the protective film was formed catalytically by the presence of high amounts of phosphorous in the iron—as much as one per cent against less than 0.05 per cent in today's iron.<br />The high phosphorous content is a result of the unique iron-making process practiced by ancient Indians, who reduced iron ore into steel in one step by mixing it with charcoal.<br />Modern blast furnaces, on the other hand, use limestone in place of charcoal yielding molten slag and pig iron that is later converted into steel. In the modern process most phosphorous is carried away by the slag.<br />The pillar—over seven metres high and weighing more than six tonnes—was erected by Kumara Gupta of Gupta dynasty that ruled northern India in AD 320-540.<br />Stating that the pillar is "a living testimony to the skill of metallurgists of ancient India", Balasubramaniam said the "kinetic scheme" that his group developed for predicting growth of the protective film may be useful for modeling long-term corrosion behaviour of containers for nuclear storage applications. <br /><br />Source: Press Trust of India <br />http://www.expressindia.com/fullstory.php?newsid=12824प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-27712845349997794232010-02-10T23:17:12.919+05:302010-02-10T23:17:12.919+05:30अदा साहिबा आदाब
एक नई जानकारी का सिलसिला चला, और क...अदा साहिबा आदाब<br />एक नई जानकारी का सिलसिला चला, और कमेंट के माध्यम से मिले तथ्य काफ़ी रोचक हैं.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-37613085352710563692010-02-10T22:45:03.061+05:302010-02-10T22:45:03.061+05:30आश्चर्यजनक और रोचक पोस्ट।आभार।आश्चर्यजनक और रोचक पोस्ट।आभार।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-3636366569814465502010-02-10T21:15:52.051+05:302010-02-10T21:15:52.051+05:30संजय जी, अमरेन्द्र जी और गिरिजेश जी,
मेरे इस आलेख ...संजय जी, अमरेन्द्र जी और गिरिजेश जी,<br />मेरे इस आलेख में आप लोगों ने जो सुधार किया है ..वह बहुत बड़ा योगदान है..'अशोक स्तम्भ' कहना सर्वथा गलत था...<br />यह गलती मुझसे हुई है गूगल में कुछ तलाश करते समय...वहां इसे अशोक स्तम्भ ही कहा गया था..<br />संजय जी की बात से सहमत हूँ..और भूल सुधर दिया है..<br />सच पूछिए तो अब पाठकों को भी अच्छी तरह से याद रहेगा की यह अशोक स्तम्भ नहीं है..<br />आप तीनों का ह्रदय से आभार..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-44292295095527001232010-02-10T19:53:05.364+05:302010-02-10T19:53:05.364+05:30पोस्ट के जरिये और टिप्पणियों के जरिये भी बहुत सारी...पोस्ट के जरिये और टिप्पणियों के जरिये भी बहुत सारी जानकारी मिल गयी....शुक्रियाrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-25964300839676525142010-02-10T18:36:58.869+05:302010-02-10T18:36:58.869+05:30Thanks Ada for sharing this knowledge
-SheenaThanks Ada for sharing this knowledge<br /><br />-SheenaShrutihttps://www.blogger.com/profile/07572621242447318996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-41399639595173089572010-02-10T18:01:23.028+05:302010-02-10T18:01:23.028+05:30गिरिजेश जी ने कहा :
विभिन्न प्रकार के धातु - विभि...गिरिजेश जी ने कहा :<br /><br />विभिन्न प्रकार के धातु - विभिन्न प्रकार की धातुएँ<br />कला में सृजन समाया हुआ है इसलिए 'धातु कला के सृजन' से 'के सृजन' हटा दीजिए।<br />द्वीतीय - द्वितीय<br />प्रसंकरण - प्रसंस्करण<br />इसका अशोक से कुछ नहीं लेना देना इसलिए इसे 'अशोक स्तम्भ' नहीं 'लौह<br />स्तम्भ' ही कहना ठीक है।<br />इसका क्षरणरोधी स्वभाव इसके लोहे में फास्फोरस और गन्धक की सूक्ष्म<br />मात्राओं और वातावरण में नमी के ऋतु चक्र से जुड़ा हुआ है।<br />मूलत: यह विदिशा में विष्णु मन्दिर के आगे 'विष्णु ध्वज' के रूप में<br />स्थापित था। इसके उपर गरुड़ के बजाय विष्णु चक्र की स्थापना थी जो<br />दिल्ली लाते हुए गुम हो गया। इस स्तम्भ के प्रस्तर चित्र आज भी वहाँ हैं।<br />विष्णु स्तम्भ, चक्र और विदिशा स्थान के चयन का खगोलीय महत्त्व था ।<br />यह स्तम्भ यह दर्शाता है कि सांकेतिक सम्प्रेषण ने एक तरह से नुकसान भी<br />किया। बाद की पीढ़ियाँ सब कुछ भूल गईं।<br />अब आइए कथित क़ुतुबमिनार पर। यह मिनार भी मूलत: ऐबक की बनवाई हुई नहीं<br />है। उसने कुछ इस्लामिक संशोधन भर किए। यह भी खगोलीय प्रेक्षण के लिए<br />बनवाई गई थी। कतिपय लोगों ने इसे भी गरुड़ स्तम्भ भी बताया है।<br />उल्लेखनीय है कि वेदों में सूर्य को ही विष्णु कहा गया है और पूरे भारत<br />में फैले सूर्य पूजा के केन्द्र ही बाद में विष्णु पूजा के केन्द्र बन<br />गए।<br /><br />आज कल ब्लॉग देखना कम हो पा रहा है। इसे ही मेरी टिप्पणी मान कर छाप दीजिएगा।<br />सादर,<br />गिरिजेशस्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-10191088894798921882010-02-10T14:21:30.893+05:302010-02-10T14:21:30.893+05:30बेहतरीन जानकारी.मैं भी इसे देख चुका हूँ. इसके अंकि...बेहतरीन जानकारी.मैं भी इसे देख चुका हूँ. इसके अंकित लेख में 'चन्द्र' नामक राजा का जिक्र आता है जिन्हें चन्द्र गुप्त द्वितीय माना जाता है. <br />आपने इसे दो बार अशोक स्तम्भ कहा है ऐसा क्यों? इसमें मौर्यकालीन अभिलेख तो हो नहीं सकता क्योंकि वो तो असंदिग्ध रूप से पूर्वकालिक है.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-33389479035227622492010-02-10T12:15:36.967+05:302010-02-10T12:15:36.967+05:30अदा जी !
अफ़सोस होता है कि इतनी बड़ी बड़ी तथ्यात्म...अदा जी !<br />अफ़सोस होता है कि इतनी बड़ी बड़ी तथ्यात्मक गलतियों को लोग देखते ही नहीं <br />और टीप - दर - टीप किये जाते हैं .. इसे तो मैं सिर्फ कमेन्ट की रस्मअदायगी <br />कहूँगा .. मान लिया कि लिखने वाले से कोई गलती हो जाय तो कमेंट करने वालों को <br />तो बता देना चाहिए , पर हिन्दी - ब्लोगिंग तो '' बैठे ठाले का धंधा '' लगती है , मुझे <br />इसीलिये .. कुछ दायित्व भी बनता है न ! ....... <br />.<br />अब गलती कहाँ है , बताता हूँ ---- आपने लिखा है गुप्त काल के समय पर --- '' उत्तर भारत के <br />गुप्त वंश (३०४-२३२ ईसा पूर्व ) के समय का माना जाता है..............इस स्तम्भ को चन्द्रगुप्त द्वीतीय विक्रमादित्य ने <br />खड़ा करवाया था . ......... '' -----<br />--- पहली बात तो यह कि गुप्त काल इतने कम समय का नहीं है , कॉमन सेन्स से ही यह पकड़ में आ सकता है ..<br />--- दूसरी बात जिन चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने इसको बनवाया उनका समय ३७५-४१५ ईस्वी है न कि ईसा पूर्व ..<br />---- गुप्त काल का व्यापक काल खंड ३१९ ईसा से ५५० ईसा तक है , मोटे रूप से , शुरुवात होती है २७५ ईसा से <br />और यहाँ संथापक के रूप में श्रीगुप्त का नाम आता है ...<br />.<br />अदा जी ऐसी गलतियाँ न हो तो बेहतर , इतिहास का कांसेप्ट दिमाग में साफ़ साफ़ रहना चाहिए , ऐसी पोस्टें <br />लिखते समय .............<br />अजीब लगता है कि जी.के.अवधिया और हिमांशु भाई भी टीप चुके हैं और उन्होंने इसको देखना - टोकना उचित ही <br />न समझा ..<br />क्षमा चाहूँगा अगर कुछ गलत कहा हूँ तो पर --- '' हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः '' ........ ऐसी पोस्टें बनें यह जरूरी है <br />इसके लिए बधाई , पर ध्यान रख कर ......... आभार !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-26100611551585170232010-02-10T11:19:21.610+05:302010-02-10T11:19:21.610+05:30इतनी रोचक जानकारी देने के लिए बहुत बहुत ..शुक्रिया...इतनी रोचक जानकारी देने के लिए बहुत बहुत ..शुक्रियाDevhttps://www.blogger.com/profile/05009376638678868909noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-82663756947583511362010-02-10T11:07:43.058+05:302010-02-10T11:07:43.058+05:30बहुत सुंदर जानकारी, शुभकामनाएं.
रामराम.बहुत सुंदर जानकारी, शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-1798872577310791922010-02-10T09:47:25.171+05:302010-02-10T09:47:25.171+05:30सही मुद्दा इस जानकारी के माध्यम से उठाया आपने , यश...सही मुद्दा इस जानकारी के माध्यम से उठाया आपने , यशी तो हम भारतीयों की कमी है की हम बाबरी- मस्जिद का राग पिछले २० सालो से अलाप रहे है लेकिन जो हमारी वास्तविक धरोहरे है उनपर कोई गौर नहीं करता !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-5026394652406717022010-02-10T08:56:00.863+05:302010-02-10T08:56:00.863+05:30जहाँ तक मेरे संज्ञान में है यह 'अशोक स्तम्भ...जहाँ तक मेरे संज्ञान में है यह 'अशोक स्तम्भ' नहीं है,<br />वस्तुत यह चन्द्र नामक राजा को सम्बोधित है,चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य से इसका ताल मेल बिठाया जाता है ,<br />इस पर अंकित अभिलेख में पाठ है कि वह राजा परम भागवत था .<br />इस सम्बन्ध में विस्तृत वार्ता फिर कभी.<br />पोस्ट चित्रों के दृष्टिकोण से बेहद उम्दा.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-87025296256622460922010-02-10T08:01:22.371+05:302010-02-10T08:01:22.371+05:30कांसे जा जनक भी भारत है. बस इस जातिवादी प्रथा के च...कांसे जा जनक भी भारत है. बस इस जातिवादी प्रथा के चलते जो ज्ञान जिसके पास था उसके साथ ही चला गया (अगर उसने आगे नहीं बांटा तो)Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-78089179714920636182010-02-10T07:45:57.108+05:302010-02-10T07:45:57.108+05:30बहुत अच्छी प्रविष्टि !!
तो आज तक वैज्ञानिक इसकी स...बहुत अच्छी प्रविष्टि !!<br /><b>तो आज तक वैज्ञानिक इसकी स्वयम संरक्षण के गुण के रहस्य का पता नहीं लगा पाए हैं...और ना ही आज तक इस लोहे के अवयवों की नक़ल की जा सकी है...<br /></b><br />पर यह इतना समर्थ तो है .. कि सामने खडा वैज्ञानिकों को चुनौती दे सके .. पर ज्योतिष को तो इतना समर्थ भी नहीं रहने दिया !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-28048605813888477192010-02-10T07:43:42.338+05:302010-02-10T07:43:42.338+05:30अदा जी,
हमारे लिए तो कुतुब मीनार से भी ऊंचा आपका ...अदा जी, <br />हमारे लिए तो कुतुब मीनार से भी ऊंचा आपका प्रोफाइल है...ये आपने किस कमबख्त से नाराज होकर अपना प्रोफाइल हटा दिया है...जल्दी उसे वापस अपनी जगह पर लौटाइए...नहीं मेरे आमरण अनशन का तो पता ही है न..<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-16769943993705668412010-02-10T07:41:28.440+05:302010-02-10T07:41:28.440+05:30बहुत अच्छी जानकारी!
हमारे देश का प्राचीन विज्ञान ...बहुत अच्छी जानकारी!<br /><br />हमारे देश का प्राचीन विज्ञान अत्यन्त उन्नत था। गोलकुंडा के किले में भी एक विचित्र यन्त्र है जो किले के प्रवेश द्वार में लगा है। इस यन्त्र के नीचे खड़े होकर बजाई गई ताली की आवाज पहाड़ी के ऊपर बने किले के छत पर सुनाई पड़ती है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-38547064450948566682010-02-10T07:15:04.276+05:302010-02-10T07:15:04.276+05:30अरे एकदम से रस परिवर्तन .....अच्छी जानकारी
चित्र ...अरे एकदम से रस परिवर्तन .....अच्छी जानकारी <br />चित्र भी शानदार हैंArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-77723957945227936332010-02-10T07:13:53.622+05:302010-02-10T07:13:53.622+05:30बहुत अच्छी जानकारी। धन्यवाद।बहुत अच्छी जानकारी। धन्यवाद।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-28955668312132136522010-02-10T07:07:36.730+05:302010-02-10T07:07:36.730+05:30बहुत अच्छी जानकारी दी आपने, आभार।
एक और मन्यता है ...बहुत अच्छी जानकारी दी आपने, आभार।<br />एक और मन्यता है कि इस स्तंभ का आलिंगन करने पर यदि आपके हाथ आपस में टच हो जाते हैं तो आपका भाग्य बहुत अच्छा है, हालांकि इस बात का आधार हमें समझ नहीं आया लेकिन बचपन में जब भी वहां जाना होता था तो देखते थे कि लोगों में इस बात की होड लगी होती थी कि बार-बार इस लाट के गले मिलते थे। पुरानी यादें फ़िर ताजा हो गईं। आप की पोस्ट ने हमारे लिये तो टाईम-मशीन का काम किया। पुन: आभार।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-71236455462680247072010-02-10T06:41:41.605+05:302010-02-10T06:41:41.605+05:30अच्छी जानकारी...आभार!!
रानीविशालअच्छी जानकारी...आभार!!<br />रानीविशालरानीविशालhttps://www.blogger.com/profile/15749142711338297531noreply@blogger.com