tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post8609763033315911946..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: मुझे 'भोग्या' शब्द से सख्त आपत्ति है....!स्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-84554947434792543902012-12-22T23:34:43.697+05:302012-12-22T23:34:43.697+05:30यह शब्द आपत्ति के ही काबिल है।यह शब्द आपत्ति के ही काबिल है।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-22859294026086831292012-12-21T19:35:57.865+05:302012-12-21T19:35:57.865+05:30मानसिकता एक वही तो चीज़ है जो हमारे समाज की कभी बदल...मानसिकता एक वही तो चीज़ है जो हमारे समाज की कभी बदलती नहीं ....यहाँ लड़कियों को सिखाया जाता है की रात को बहार मत जाओ,ऐसे कपडे मत पहनो ,ये मत करो वो मत करो तुम्हारी सुरक्षा के लिए अच्छा है ...पर कभी लडको को ये क्यूँ नहीं सिखाते की लड़की भी इन्सान है और आदरणीय है ....कोई भोग की वस्तु नहीं ......क्यूँ उन्हें नहीं सिखाते की रेप करना गलत है ......<br /><br />और कभी कोई लड़की इस हवानियत का शिकार भी हो जाये तो भी दोषी वही मानी जाती है ..............और पुलिस और समाज उसे ही चरित्रहीन साबित करने की मुहीम में जुट जाते है ........... ऐसी मानसिकता वाले समाज में ..... लडकियों की सुरक्षा और पीड़िताओं को इन्साफ मिलने की कितनी उम्मीद की जा सकती है somalihttps://www.blogger.com/profile/02791579961616444107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-69213433639922579802012-12-21T19:04:53.861+05:302012-12-21T19:04:53.861+05:30काजल जी,
स्त्री प्रधान समाज ?? आप किस युग की बात क...काजल जी,<br />स्त्री प्रधान समाज ?? आप किस युग की बात कर रहे हैं ?<br />पिछले 2012 वर्षों में तो स्त्री-प्रधान समाज तथाकथित सभ्य दुनिया में तो नज़र नहीं आया है ....जंगल-उंगल में शायद होगा ऐसा समाज।<br />पुरुषों ने बहुत साल तक राज कर के समाज की भद्द पीट ली, अब स्त्री-पुरुष बराबरी की धरातल पर आ जायें, तभी कल्याण होगा।<br />आप आईडिया बहुत अच्छा देते हैं :)स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-72793385128922062672012-12-21T18:43:48.089+05:302012-12-21T18:43:48.089+05:30रचना जी,
'पूरक' तो बहुत सही शब्द है ..स्त्...रचना जी,<br />'पूरक' तो बहुत सही शब्द है ..स्त्री-पुरुष एक-दुसरे के पूरक हैं, जब ऐसा कहा जाता है तो कम से कम 50-50, 40-60, 90-10, 10-90 कुछ तो contribution नज़र आता है स्त्री का। लेकिन भोग्या ?? मेरे हिसाब से तो यह बहुत ही निकृष्ट शब्द है। भोग का अर्थ खाना भी होता है। इस शब्द को आगे लिए चलती हूँ, पुरुष को भोगी माना जाता है और स्त्री को भोग्या ????? what a shame !!! एकदम disgusting है ये।<br /><br />आपकी बातों से आंशिक रूप से सहमत हूँ। ऐसा सिर्फ उन केसेस में होता है, जो छुपे रह जाते हैं। बल्कि उनके छुपाये जाने में, स्त्रियों का भी हाथ होता है। लेकिन जो रेप केस सामने आते हैं, उनका हश्र ये होता है कि अधिकतर रेपिस्ट हमारे सिस्टम का फायदा उठा कर बच निकलते हैं। हमारे देश का कानून ही इतना लचर और दुरूह है कि इस में कोई पड़ना ही नहीं चाहता। जो पड़ जाते हैं वो इसके दांव-पेंच में ही सर फोड़ते रहते हैं और उनको न्याय नहीं मिल पाता। सबसे पहली ज़रुरत है न्यायपालिका में सुधार लाने की। अगर ऐसे हादसों की पुष्टि हो जाती है और रेपिस्ट पकड़ा जाता है तो कानूनी कार्यवाही अविलम्ब होनी चाहिए। कठोर से कठोर दंड का प्रावधान होना चाहिए। कुछ महीने, या कुछ साल सुधार गृह जैसी जगह में भेजने से काम नहीं चलेगा। बहुत सीवियर पनिशमेंट की ज़रुरत है। ताकि खौफ़ खाएं लोग ऐसी हरक़त के अंजाम से । स्कूल, कोलेजेस में, सड़कों पर, पुब्लिक प्लेसेज में, ओफ़िसेस में इसके अंजाम के पोस्टर्स लगने चाहिए। बच्चों को जब सेक्स की शिक्षा दी जा रही है स्कूल्ज में तो , सेक्स के दुरूपयोग की भी शिक्षा मिलनी चाहिए। अभी सरकार को बहुत अच्छा मौका ( मौका कहना बहुत गलत है लेकिन यहाँ कह रही हूँ ) मिला है, यही समय है कि कुछ ठोस कदम उठाये जाएँ।<br /><br />रेप विक्टिम के प्रति भी समाज के नज़रिए में बदलाव आना चाहिए। इस बदलाव के बिना भी काम नहीं चलेगा। रेप विक्टिम नारी और भी ज्यादा vulnerable होती है। वो खुद व्यक्तिगत रूप से होती ही है सामजिक रूप से भी होती है। सच पूछिए तो सामाजिक बहिष्कार रेप हुई नारी का ही होता है, रेप करने वाले का नहीं। यही मूल समस्या है और इसे हर हाल में बदलना होगा। समाज परिवार ऐसे हास्दों से गुजरी नारियों को सहज रूप में ले, उनको अपनाए, उन्हें किसी हाल में भी कम न आँका जाए। उनको बार-बार इस दुर्घटना से जोड़ा न जाए।<br /><br />पुरुषों को अपनी मानसिकता, अपनी नैतिकता के बारे में आकलन करना होगा। अधिकतर पुरुष रेप को बहुत सहज लेते हैं। बल्कि कई जगहों में तो रेप करना मर्दानगी की निशानी मानी जाती है। उनको अपनी सोच बदलनी होगी, तभी कुछ हो सकता है, वर्ना तो हम सभी हमेशा की तरह चीख पुकार करेंगे और एक नए हादसे का इंतज़ार करेंगे।स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-79071008261070655972012-12-21T17:54:38.210+05:302012-12-21T17:54:38.210+05:30अदा
भोग्या , पूरक इत्यादि सब शब्द भ्रान्ति हैं क्य...अदा<br />भोग्या , पूरक इत्यादि सब शब्द भ्रान्ति हैं क्युकी ये केवल और केवल स्त्री को पुरुष की कामवासना की तृप्ति का साधन मानते हैं . विरोध करिये आपत्ति करिये , हम सब कर रहे हैं पर बदल कुछ नहीं रहा क्युकी जब सामाजिक बहिष्कार की बात होती हैं तो पुरुष को कोई ना कोई स्त्री अपने आँचल की छाव देती हैं और उसकी गलतियों की माफ़ करने की बात करती हैं . माँ , बहिन दोस्त पत्नी सब अपने रिश्ते के पुरुष को बचाती हैं इसलिये वो दूसरी स्त्री का दमन कर के भी पाक दामन बना रहता हैं रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-35652247190898500772012-12-21T17:46:27.049+05:302012-12-21T17:46:27.049+05:30this is told to all woman who learn self defense b...this is told to all woman who learn self defense because this way they can save the brutal attack as that happened in delhi <br /><br />this is the first lesson in saving oneself from criminal assualt <br /><br />just clarifying रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-51326503610999249992012-12-21T16:25:27.343+05:302012-12-21T16:25:27.343+05:30जब भी किसी बलात्कारी को मौत की सजा या जननांग काटने...जब भी किसी बलात्कारी को मौत की सजा या जननांग काटने की सज़ा, की बात की जाती है, कुछ लोग फुर्ती से इन बातों को, अमानवीय, अनुचित और न जाने क्या क्या कह कर जस्टिफाई करने की कोशिश करते हैं । ऐसी फटाफट दलील का मकसद समझ में नहीं आता है। ....<br /><br /><br />..<br /><br /><br />इन्हें ज़िंदा छोड़ने का मतलब है इन्ही के द्वारा और नए काण्ड को अंजाम देने की अपने हाथों शुरुआत करना ...<br /><br />मुझे यकीन है की ये काण्ड भी इन लोगों के लिए पहला नहीं रहा होगा .....manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-70910471395263442022012-12-21T16:14:58.342+05:302012-12-21T16:14:58.342+05:30एक कहावत है,"When the rape is inevitable, enj...एक कहावत है,"When the rape is inevitable, enjoy it " इसका निहितार्थ चाहे जो हो पर इसे बनाने वाले और इसका प्रयोग करने वालों की मानसिकता वैसी ही होगी, जैसा तुमने पोस्ट में वर्णित किया है। rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-8170317139270159722012-12-21T15:03:50.527+05:302012-12-21T15:03:50.527+05:30सबका दोष बराबर दिखता,
किससे सीखा, किससे पाया,
साहस...सबका दोष बराबर दिखता,<br />किससे सीखा, किससे पाया,<br />साहस यह सब करने का,<br />लाज न आयी, दया न आयी,<br />सबका दोष बराबर दिखता।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-89743553005610551652012-12-21T15:02:13.856+05:302012-12-21T15:02:13.856+05:30समाज कभी पुरूष प्रधान होता है तो कभी स्त्री प्रधा...समाज कभी पुरूष प्रधान होता है तो कभी स्त्री प्रधान.... समानता का अभाव ही शायद इस प्रकार की मानसिक वृत्तियों को जन्म देता हैKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-17458039838933110892012-12-21T13:24:37.764+05:302012-12-21T13:24:37.764+05:30.बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावनात्मक अभिव्....बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति <a href="http://shalinikaushik2.blogspot.com" rel="nofollow">फाँसी : पूर्ण समाधान नहीं </a>Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com