tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post7994550244872473114..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: उफ़क से ये ज़मीन क्यूँ रूबरू नज़र आए ....स्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-85193802684863664392010-07-27T14:03:12.704+05:302010-07-27T14:03:12.704+05:30फासलों में क़ैद हो गए ये दो बदन हमारे
उफ़क से ये ...फासलों में क़ैद हो गए ये दो बदन हमारे <br />उफ़क से ये ज़मीन क्यूँ रूबरू नज़र आए<br /><br />ग़ज़ब का शेर है .. आपने तो कमाल ही कर दिया ... लाजवाब ग़ज़ल है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-62644791846799399752010-07-26T11:57:19.076+05:302010-07-26T11:57:19.076+05:30मंगलवार 27 जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के ...मंगलवार 27 जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ .... आभार <br /><br /> http://charchamanch.blogspot.com/संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-25702819835397843682010-07-24T11:13:09.215+05:302010-07-24T11:13:09.215+05:30ग़ज़ल तो बहुत ही बढ़िया रही!ग़ज़ल तो बहुत ही बढ़िया रही!संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-55127001498572198982010-07-23T15:21:38.817+05:302010-07-23T15:21:38.817+05:30अदा जी
यह रचना तो बेहतरीन और विमर्श योग्य थी ही......अदा जी<br />यह रचना तो बेहतरीन और विमर्श योग्य थी ही.....पुरानी पोस्ट भी पढ़ी जिसमे ग़ज़ल लिखी गयी थी....<br /><br />तेरा जमाल मुझे क्यूँ हर सू नज़र आए<br />इन बंद आँखों में भी बस तू नज़र आए<br />वाह....वाह.<br /><br />सजदा करूँ मैं तेरी कलम को बार-बार <br />हर हर्फ़ से लिपटी मेरी आरज़ू नज़र आए <br />हर्फ़ और आरजू का यह संगम बहुत ही प्यारा बन पड़ा है.....<br /><br />फासलों में क़ैद हो गए ये दो बदन हमारे <br />उफ़क से ये ज़मीन क्यूँ रूबरू नज़र आए<br />जिंदाबाद.....!Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-28091209701396930942010-07-22T21:09:13.152+05:302010-07-22T21:09:13.152+05:30गुज़र रही हूँ देखो इक ऐसी कैफ़ियत से
ख़ामोशियों का ...गुज़र रही हूँ देखो इक ऐसी कैफ़ियत से<br />ख़ामोशियों का मौसम, गुफ़्तगू नज़र आए<br /><br />ग़ज़ल तो सुन्दर है ही । कई सुन्दर लफ्ज़ भी सीखने को मिले । आभार इस बढ़िया रचना के लिए ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-73614473447399265492010-07-22T20:39:05.138+05:302010-07-22T20:39:05.138+05:30मो सम कौन जी,
अच्छा हुआ आपने ये सवाल पूछ लिया ...
...मो सम कौन जी,<br />अच्छा हुआ आपने ये सवाल पूछ लिया ...<br />मेरी तमाम कवितायें...आभासी दुनिया के आभास से ही बुनी गयीं हैं....<br />लोग अपनी-अपनी अक्ल लगाते होंगे ..लेकिन सही मायने में मेरी रचनाएँ ज्यादातर कल्पना से ही प्रेरित होती हैं...<br />या कभी किसी से कोई बात हो रही हो या टेलीविजन पर कुछ देखते हुए एक पंक्ति ज़हन में बैठ गयी .... फिर उसके इर्द-गिर्द जो भी बन पाता है ..लिख देती हूँ..<br />लोग अक्सर आपकी रचना को आपके व्यक्तित्व से जोड़ देते हैं...लेकिन सच पूछा जाए तो हर रचना आपके अपने बारे में नहीं होती...उसका उद्गम कुछ भी हो सकता है....कुछ भी का अर्थ कुछ भी....<br />परन्तु लोगों उसे हमेशा आपसे ही जोड़ देते हैं...इसमें उनका दोष भी नहीं है....<br />हाँ हाँ ...जानती हूँ ...आपने बात की ईर घाट की और हम पहुँच गए पीर घाट....<br />ये तो आपका बड़प्पन है कि आप पसंद करते हैं मेरी रचनाएँ....<br />अब सही जवाब..:<br />युंकी...यूँहीं.....लिख जाता है...<br />हाँ नहीं तो...!!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-66754026747411968352010-07-22T18:43:51.552+05:302010-07-22T18:43:51.552+05:30एक सवाल पूछना है, "कैसे सोच, लिख लेती हैं आप ...एक सवाल पूछना है, "कैसे सोच, लिख लेती हैं आप इतना कुछ और वो भी इतनी खूबसूरती से?"<br />कविता या गज़ल जो भी है, बहुत सुन्दर लगी और तस्वीर भी।<br />आभार।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-74404652087134976762010-07-22T14:38:01.742+05:302010-07-22T14:38:01.742+05:30खूबसूरत ग़ज़ल...एक शेर और होता ..ग़ज़ल मुक्कम्मल ...खूबसूरत ग़ज़ल...एक शेर और होता ..ग़ज़ल मुक्कम्मल होतीसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-10188924720684885902010-07-22T09:23:24.064+05:302010-07-22T09:23:24.064+05:30तेरा जमाल मुझे क्यूँ हर सू नज़र आएइन बंद आँखों में ...<b>तेरा जमाल मुझे क्यूँ हर सू नज़र आएइन बंद आँखों में भी बस तू नज़र आए<br />सजदा करूँ मैं तेरी कलम को बार-बार हर हर्फ़ से लिपटी मेरी आरज़ू नज़र आए <br /><br /></b><br /><a href="http://pittpat.blogspot.com/2008/08/blog-post_28.html" rel="nofollow">जिधर देखूं फिजां में रंग मुझको दिखता तेरा है<br />अंधेरी रात में किस चांदनी ने मुझको घेरा है।</a>Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-75977690686988967372010-07-22T08:59:56.543+05:302010-07-22T08:59:56.543+05:30सजदा करूँ मैं तेरी कलम को बार-बार हर हर्फ़ से लिपटी...सजदा करूँ मैं तेरी कलम को बार-बार हर हर्फ़ से लिपटी मेरी आरज़ू नज़र आए ...<br /><br />आप तो ऐसी ना थी ...!<br /><br />गुज़र रही हूँ देखो इक ऐसी कैफ़ियत से ख़ामोशियों का मौसम, गुफ़्तगू नज़र आए...<br /><br />क्या बात है ...मुखर मौन इसी को कहते होंगे शायद ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-44856837647950002312010-07-22T08:51:52.726+05:302010-07-22T08:51:52.726+05:30सजदा करूँ मैं तेरी कलम को बार-बार हर हर्फ़ से लिपटी...सजदा करूँ मैं तेरी कलम को बार-बार हर हर्फ़ से लिपटी मेरी आरज़ू नज़र आए <br />aur kya kahen ?Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-51243117947350782492010-07-22T08:23:20.395+05:302010-07-22T08:23:20.395+05:30bahut khubsurat rachna..charon sherbahut khubsurat rachna..charon sherAvinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-83434629106912545222010-07-22T08:06:57.390+05:302010-07-22T08:06:57.390+05:30समझ नहीं आया क्या कोमल है। आपके भाव या आपकी रचना।समझ नहीं आया क्या कोमल है। आपके भाव या आपकी रचना।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-73512926685405644292010-07-22T07:56:14.296+05:302010-07-22T07:56:14.296+05:30पहली नज़र में दोनों रचनाये साधारण लगीं...एक दफा और...पहली नज़र में दोनों रचनाये साधारण लगीं...एक दफा और तवज्जो दी कविता पर..<br />और तस्वीर को क्लिक करके बड़ा किया..<br /><br />तो दिल दोनों में डूब गया...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-61235900149974681192010-07-22T07:31:57.582+05:302010-07-22T07:31:57.582+05:30खूबसूरत रचना!खूबसूरत रचना!हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-56601308941708538562010-07-22T07:30:40.343+05:302010-07-22T07:30:40.343+05:30आज की ग़ज़ल तो बहुत ही बढ़िया रही!आज की ग़ज़ल तो बहुत ही बढ़िया रही!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-18472627859585402492010-07-22T07:17:19.365+05:302010-07-22T07:17:19.365+05:30आप यूं फासलों से गुज़रते रहे,
दिल के कदमों की आहट ...आप यूं फासलों से गुज़रते रहे,<br />दिल के कदमों की आहट आती रही...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-17840534004639703932010-07-22T06:24:34.893+05:302010-07-22T06:24:34.893+05:30एक बारगी तो लगा कि कहीं ये फ़ारसी का तो कुछ नहीं. ...एक बारगी तो लगा कि कहीं ये फ़ारसी का तो कुछ नहीं. वाह बहुत सुंदर. :)Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-10120462722008522412010-07-22T04:46:02.848+05:302010-07-22T04:46:02.848+05:30चलिए आपने टिप्पणी बॉक्स खोल कर बहुत अच्छा किया.. ए...चलिए आपने टिप्पणी बॉक्स खोल कर बहुत अच्छा किया.. एक खूबसूरत रचना की दिल खोल कर तारीफ तो कर सकते हैं.. :)दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-33955015952389031422010-07-22T04:40:55.002+05:302010-07-22T04:40:55.002+05:30गुज़र रही हूँ देखो इक ऐसी कैफ़ियत से
ख़ामोशियों का...गुज़र रही हूँ देखो इक ऐसी कैफ़ियत से <br />ख़ामोशियों का मौसम, गुफ़्तगू नज़र आए<br />वाह .. बहुत सुन्दरM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.com