tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post7282626399121916377..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: यहाँ मैं अजनबी हूँ.....स्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-63308718186115698722010-07-29T23:07:21.010+05:302010-07-29T23:07:21.010+05:30हमेशा की तरह आपकी कलम से एक और खूबसूरत रचना निकली।...हमेशा की तरह आपकी कलम से एक और खूबसूरत रचना निकली। आखिरी चार पंक्तियों ने मूड बदल कर रख दिया। ’लाल पत्थर’ का गाना याद आ गया - <br />गीत गाता हूँ मैं, गुनगुनाता हूँ मैं।<br />और शिकारे वाले का गीत भी टू मच है जी।<br />सदैव आभारी।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-75567571910633369982010-07-29T18:33:25.904+05:302010-07-29T18:33:25.904+05:30Gaurav ne kaha:
दीदी,
बहुत ही सुन्दर रचना है
[स...Gaurav ne kaha:<br /><br />दीदी,<br /><br />बहुत ही सुन्दर रचना है <br />[सुबह ठीक से पढ़ नहीं पाया था इसलिए अब जवाब दे रहा हूँ ]<br />आपकी रचना पढ़ कर मन ठहर जाता है <br />इसे शेयर करने के लिए आपका आभार <br />आपका ब्लॉग सचमुच नए ब्लोगर्स के लिए प्रेरणा है <br /><br />शुभकामनाएंस्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-54486660941185576952010-07-29T13:25:32.695+05:302010-07-29T13:25:32.695+05:30प्रज्ञं, ज्ञानी, धीमान की तरह,
यति बन कर
अनुसन्ध...प्रज्ञं, ज्ञानी, धीमान की तरह, <br />यति बन कर <br />अनुसन्धान करते रहे तुम<br /><br />मन के विरोधाभास विचारों को खूबसूरती से सहेजा है...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-56646920253395766192010-07-29T12:51:11.603+05:302010-07-29T12:51:11.603+05:30bahut dino ke baad yaha aana huaa....
aate hi amr...bahut dino ke baad yaha aana huaa....<br /><br />aate hi amritpaan ......<br /><br />kunwar ji,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-29426912938145451322010-07-29T12:08:44.426+05:302010-07-29T12:08:44.426+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति।बहुत अच्छी प्रस्तुति।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-27232008848673476142010-07-29T12:06:48.938+05:302010-07-29T12:06:48.938+05:30खुशी का यह व्रत..आनन्द की वर्षा करता रहे!खुशी का यह व्रत..आनन्द की वर्षा करता रहे!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-33370419239194322942010-07-29T11:16:09.098+05:302010-07-29T11:16:09.098+05:30उत्तम विचार लिए हुए रचना।उत्तम विचार लिए हुए रचना।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-55791108662782114022010-07-29T10:07:11.204+05:302010-07-29T10:07:11.204+05:30चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों,
तारूफ़ ...चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों, <br />तारूफ़ रोग हो जाए तो उसको भूलना बेहतर,<br />ताल्लुक बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा,<br />वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन,<br />उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा,<br /><br />चलो इक बार फिर से...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-22334258517933123232010-07-29T09:08:11.242+05:302010-07-29T09:08:11.242+05:30ज्ञान के घेरे में प्रेम की अकुलाहट बढ़ जाती है।ज्ञान के घेरे में प्रेम की अकुलाहट बढ़ जाती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-79018854358795217172010-07-29T08:39:34.051+05:302010-07-29T08:39:34.051+05:30मेरा स्वर्ग मेरे हाथों में देकर
तुमने त्याग-पत्र द...मेरा स्वर्ग मेरे हाथों में देकर<br />तुमने त्याग-पत्र दे दिया है<br /><br />मैंने भी तब से ख़ुश रहने का<br />व्रत ले लिया है.....!! <br /><br />सचमुच बहुत सुन्दर ...!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-50644963872303482512010-07-29T08:29:26.291+05:302010-07-29T08:29:26.291+05:30अहा! आनन्दम!! आनन्दम!!अहा! आनन्दम!! आनन्दम!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-21040679043769474642010-07-29T08:13:32.234+05:302010-07-29T08:13:32.234+05:30अच्छी कविता
रफ़ी साहब का गीत सुनाने के लिए
आभार...अच्छी कविता <br /><br />रफ़ी साहब का गीत सुनाने के लिए <br /><br />आभारब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-63982864062750954782010-07-29T08:09:52.155+05:302010-07-29T08:09:52.155+05:30ओह..
अंतिम पंक्तियाँ पढ़कर स्तब्ध रह गए अदा जी......ओह..<br /><br />अंतिम पंक्तियाँ पढ़कर स्तब्ध रह गए अदा जी...<br /><br />मैंने भी तब से खुश रहने का व्रत ले लिया...<br />मन को छूती हुई रचना...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-35952945548004973272010-07-29T08:03:23.882+05:302010-07-29T08:03:23.882+05:30मैं अजनबी
अविदित सी
तुम प्रज्ञ,ज्ञानी
मेरा स्वर्...मैं अजनबी<br />अविदित सी <br />तुम प्रज्ञ,ज्ञानी <br />मेरा स्वर्ग मेरे हाथों में देकर<br />तुम त्याग पत्र देकर<br />दूर चले गए <br />........<br />........<br />मैने भी खुश रहने का <br />व्रत ले लिया<br /><br />यह अजनबीपन भी अच्छा लगा ...जो खुश रहने का हेतु बना ।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-69395106931997911062010-07-29T07:47:33.335+05:302010-07-29T07:47:33.335+05:30दिन अचम्भे लेकर आते हैं
उड़ते फिरते ख्वाब भले कभी ...दिन अचम्भे लेकर आते हैं<br />उड़ते फिरते ख्वाब भले कभी शक्ल में ढलें या न ढले<br />आपके यहाँ कुछ शब्द जरूर ख्वाबों को पकड़ कर उनकी सूरतें बना दिया करते हैं.<br /><br />मेरा स्वर्ग<br />मेरे हाथों में देकर<br />तुमने त्याग-पत्र दे दिया है, <br />मैंने भी तब से ख़ुश रहने का<br />व्रत ले लिया है.....!!<br /><br />और बात यहीं से शुरू होती है, लगता है मुझे कई बार कि फसानों के अंत जैसे पूरे किस्से के बारे में उलट कर पूछ रहे हों कि अब क्या कहोगे तुम ?<br />पढ़ कर कैसा फील कर रहा हूँ ? नो आईडियाके सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-46957103690832120202010-07-29T07:27:55.983+05:302010-07-29T07:27:55.983+05:30प्रज्ञं, ज्ञानी, धीमान की तरह,
यति बन कर
अनुसन्ध...प्रज्ञं, ज्ञानी, धीमान की तरह, <br />यति बन कर <br />अनुसन्धान करते रहे तुम<br /><br />khubsurat ... bahut khubsuratAvinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-61679644045847209532010-07-29T04:40:42.114+05:302010-07-29T04:40:42.114+05:30अदाजी
नमस्कार !
बहुत प्रभावशाली रचना है …
" ...अदाजी <br />नमस्कार !<br />बहुत प्रभावशाली रचना है …<br />" जाने कहाँ से तुम चले आए "<br /><br /><b>मेरा स्वर्ग मेरे हाथों में देकर<br />तुमने त्याग-पत्र दे दिया है</b> <br /><br /><b>मैंने भी तब से ख़ुश रहने का<br />व्रत ले लिया है.....!!</b> <br />सचमुच , अत्यंत संवेदनशील !<br /><br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">शस्वरं</a></b> पर आप भी आइए न , बहुत दिन हो गए … आपका हार्दिक स्वागत है !<br /><br />- राजेन्द्र स्वर्णकार <br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">शस्वरं</a></b>Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.com