tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post7059810844450447757..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: एक और अहल्या...स्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-58197750431635172422010-10-21T07:44:39.307+05:302010-10-21T07:44:39.307+05:30अहल्या प्रसंग जानते तो थे, लेकिन इस पोस्ट के और फ़...अहल्या प्रसंग जानते तो थे, लेकिन इस पोस्ट के और फ़िर कमेंट्स के माध्यम से बहुत कुछ और जानने को मिला।<br />वैसे जितनी उत्कंठा से अहल्या ने राम का इंतज़ार किया, मुझे लगता है स्वयं दशरथपुत्र भी उतने ही लालायित रहे होंगे, कर्तव्य था उनका।<br />और आज की अहल्या की भावनायें दर्शाती कविता, मर्मस्पर्शी।<br />आभार आपका।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-61802864317389690702010-10-17T21:09:58.668+05:302010-10-17T21:09:58.668+05:30विजयादशमी पर्व की आपको और आपके पूरे परिवार को हार्...विजयादशमी पर्व की आपको और आपके पूरे परिवार को हार्दिक शुभ कामनायें।<br />बहुत अच्छी पोस्ट लगी आपकी। छोटी,मगर सब कुछ बता दिया इसमें। कविता भी बहुत सुन्दर और पहले की तरह ही इस बार भी चित्र का सिलैक्शन लाजवाब है।<br />धन्यवाद।ankithttps://www.blogger.com/profile/01740466540260131092noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-36295584797788289172010-10-17T19:01:56.784+05:302010-10-17T19:01:56.784+05:30धन्यवाद्. आप सब को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रत...धन्यवाद्. आप सब को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीकात्मक त्योहार दशहरा की <a href="http://aqyouth.blogspot.com/2010/10/blog-post_16.html" rel="nofollow">शुभकामनाएं.</a> आज आवश्यकता है , आम इंसान को ज्ञान की, जिस से वो; झाड़-फूँक, जादू टोना ,तंत्र-मंत्र, और भूतप्रेत जैसे अन्धविश्वास से भी बाहर आ सके. <a href="http://aqyouth.blogspot.com/2010/10/blog-post_16.html" rel="nofollow">तभी बुराई पे अच्छाई की विजय संभव है.</a>S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-12088279192174135952010-10-17T18:56:16.204+05:302010-10-17T18:56:16.204+05:30अली साहेब..
आपकी उपस्थिति के लिए हृदय से आभार..अली साहेब..<br />आपकी उपस्थिति के लिए हृदय से आभार..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-88150459917215861792010-10-17T17:58:32.408+05:302010-10-17T17:58:32.408+05:30कथा की अहिल्या पर प्रतिक्रिया देता ज़रुर पर आशीष श...कथा की अहिल्या पर प्रतिक्रिया देता ज़रुर पर आशीष श्रीवास्तव की टिप्पणी पर विचारण किये बगैर यह उचित नही होगा !<br /><br />फिलहाल मेरी हाज़िरी ही कुबूल फर्माइये !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-9732081623386197212010-10-17T13:57:10.422+05:302010-10-17T13:57:10.422+05:30अब न कोई अहिल्या बनता है न कोई अहिल्या किसी राम के...अब न कोई अहिल्या बनता है न कोई अहिल्या किसी राम के चरणों के स्पर्श की प्रतीक्षा करती है । ज़माना बदल चुका है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-39214839543169337212010-10-17T13:34:50.278+05:302010-10-17T13:34:50.278+05:30बहुत सुन्दर कविता, कथानक संग न्याय करती हुयी।बहुत सुन्दर कविता, कथानक संग न्याय करती हुयी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-61236735330690739942010-10-17T12:16:08.177+05:302010-10-17T12:16:08.177+05:30विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें।
आपकी रचनात्मक ,...विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें।<br /><br />आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br /> प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (18/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br /> देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा।<br />http://charchamanch.blogspot.comvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-77410725942842352422010-10-17T11:36:53.522+05:302010-10-17T11:36:53.522+05:30सुंदर रचना!
एक चर्चा यहाँ भी हुई थी -
http://pa...सुंदर रचना!<br /><br /><br />एक चर्चा यहाँ भी हुई थी - <br />http://pasand.wordpress.com/2008/05/24/ahlya-haiku-ramayan/प्रेमलता पांडेhttps://www.blogger.com/profile/11901466646127537851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-47578801861904927932010-10-17T10:27:59.516+05:302010-10-17T10:27:59.516+05:30बहुत सुंदर
आपको विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनायेबहुत सुंदर <br /><br />आपको विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनायेdeepti sharmahttps://www.blogger.com/profile/10113945456813271746noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-30809775139261965382010-10-17T10:12:45.714+05:302010-10-17T10:12:45.714+05:30मन को छूती हुई बेहतरीन रचना....मन को छूती हुई बेहतरीन रचना....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-76099600380069039002010-10-17T08:41:12.485+05:302010-10-17T08:41:12.485+05:30सारगर्भि्त भूमि्का के साथ सुंदर रचना
विजयादशमी पर...<i><b> <br />सारगर्भि्त भूमि्का के साथ सुंदर रचना<br /><br />विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं<br /><br /><a href="http://lalitdotcom.blogspot.com/2010/10/blog-post_17.html" rel="nofollow">दशहरा में चलें गाँव की ओर-प्यासा पनघट<br /></a> </b></i>ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-75359652169738473082010-10-17T08:25:39.959+05:302010-10-17T08:25:39.959+05:30आज भी हमारे समाज में न जाने कितनी निर्दोष अहल्याये...आज भी हमारे समाज में न जाने कितनी निर्दोष अहल्यायें, ऐसे हादसों से गुज़र कर, पत्थर सी ही बनी हुई हैं...<br /><br />बहुत ही सुन्दर कहा आपने ...लेकिन ऐसी कथा कहानियों से यह भी आभास होता है की राजा चाहे देवताओं का हो या इंसान का वह कुकृत्य का पर्याय भर होता है ..इसलिए जनतंत्र सबसे अच्छी व्यवस्था है लेकिन इसमें जबरदस्ती कोई महारानी या जबरदस्ती कोई महाराज ना बने तब ....honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-6615197249593599432010-10-17T06:10:58.370+05:302010-10-17T06:10:58.370+05:30इन्द्र ने स्वर्ग में पहुंचकर समस्त देवताओं को यह ...इन्द्र ने स्वर्ग में पहुंचकर समस्त देवताओं को यह बात बतायी, साथ ही यह भी कहा कि ऐसा अधम काम करके गौतम को श्राप देने के लिए बाध्य कर, इन्द्र ने गौतम के तप को क्षीण कर दिया है। इन्द्र का अंडकोष नष्ट हो गया था। अत: देवताओं ने मेष (भेड़ा) का अंडकोष इन्द्र को प्रदान किया। तभी से इन्द्र मेषवृण कहलाए तथा वृषहीन भेड़ा अर्पित करना पुष्कल-फलदायी माना जाने लगा। वनवास के दिनों में राम-लक्ष्मण ने, तपोबल से प्रकाशमान, आश्रम में अहल्या को ढूंढ़कर उसके चरण-स्पर्श किए। अहल्या उनका आतिथ्य-सत्कार कर शापमुक्त हो गयी तथा गौतम के साथ सानंद विहार करने लगी। *<br /><br />sabhaar..<br />http://hi.brajdiscovery.org/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BEस्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-10928273479102450272010-10-17T06:09:43.149+05:302010-10-17T06:09:43.149+05:30आशीष जी ..
आपकी बात अक्षरसः सही है...
गौतम अपनी पत...आशीष जी ..<br />आपकी बात अक्षरसः सही है...<br />गौतम अपनी पत्नी अहल्या के साथ तप करते थे। एक दिन गौतम की अनुपस्थिति में इन्द्र ने मुनिवेश में आकर अहल्या से संभोग की इच्छा प्रकट की। अहल्या यह जानकर कि इन्द्र स्वयं आए हैं और उसे चाहते हैं- इस अधम कार्य के लिए उद्यत हो गयी। जब इन्द्र लौट रहे थे तब गौतम वहां पहुंचे। गौतम के शाप से इन्द्र के अंडकोश नष्ट हो गये और अहल्या अपना शरीर त्याग, केवल हवा पीती हुई सब प्राणियों से अदृश्य होकर कई हज़ार वर्ष के लिए उसी आश्रम में राख के ढेर पर लेट गयी। गौतम ने कहा कि इस स्थिति से उसे मोक्ष तभी मिलेगा जब दाशरथी राम यहाँ आकर उसका आतिथ्य ग्रहण करेंगे। गौतम स्वयं हिमवान् के एक शिखर पर चले गये और तपस्या करने लगे।<br /><br />आपका आभार इस योगदान के लिए...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-69832451241107751182010-10-17T05:34:00.971+05:302010-10-17T05:34:00.971+05:30आदिकवि श्री वाल्मीकि रचित रामायण के अष्टचत्वरिंशः ...आदिकवि श्री वाल्मीकि रचित रामायण के अष्टचत्वरिंशः सर्गः (48वे सर्ग) के श्लोक क्रमांक 17-19 के अनुसार स्पष्ट है कि अहल्या ने इन्द्र को पहचानने के पश्चात् ही अपनी स्वीकृति दी थी। देखियेः<br />तस्यान्तरं विदित्वा च सहस्त्राक्षः शचीपतिः।<br />मुनिवेषधरो भूत्वा अहल्यामिदमब्रवीत्॥17॥<br />एक दिन जब महर्षि गौतम आश्रम में नहीं थे तब उपयुक्त अवसर जानकर शचीपति इन्द्र मुनिवेष धारण कर वहाँ आये और अहल्या से बोले -<br />ऋतुकालं प्रतीक्षन्ते नार्थिनः सुसमाहिते।<br />संगमं त्वहमिच्छामि त्वया सह सुमध्यमे॥18॥<br />"रति की कामना रखने वाले प्रार्थी पुरुष ऋतुकाल की प्रतीक्षा नहीं करते। हे सुन्दर कटिप्रदेश वाली (सुन्दरी)! मैं तुम्हारे साथ समागम करना चाहता हूँ।"<br />मुनिवेषं सहस्त्राक्षं विज्ञाय रघुनन्दन।<br />मतिं चकार दुर्मेधा देवराजकुतुहलात्॥19॥<br />(इस प्रकार रामचन्द्र जी को कथा सुनाते हुये ऋषि विश्वामित्र ने कहा,) "हे रघुनन्दन! मुनिवेष धारण कर आये हुये इन्द्र को पहचान कर भी उस मतिभ्रष्ट दुर्बुद्धि नारी ने कौतूहलवश (कि देवराज इन्द्र मुझसे प्रणययाचना कर रहे हैं) समागम का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-71564678803526869102010-10-17T01:33:14.704+05:302010-10-17T01:33:14.704+05:30वाह गज़बवाह गज़बबाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-70060446258090126282010-10-17T01:26:33.847+05:302010-10-17T01:26:33.847+05:30ATI UTTAMATI UTTAMबाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-30138650023791440892010-10-17T00:14:28.083+05:302010-10-17T00:14:28.083+05:302.5/10
औसत
कुछ भी ख़ास नहीं है2.5/10<br /><br />औसत <br />कुछ भी ख़ास नहीं हैउस्ताद जीhttps://www.blogger.com/profile/03230688096212551393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-91711473592491877002010-10-16T23:15:42.362+05:302010-10-16T23:15:42.362+05:30कब आआोगे यही सवाल तो हम सब को है कब आओगे राम । कवि...कब आआोगे यही सवाल तो हम सब को है कब आओगे राम । कविता सुंदर है पर चंद्रमा की स्निग्धता शब्द थोडा अटपटा है यहां पर । शिला की जडता होना चाहिये । स्निग्धता तो राम के स्पर्श के बाद आई ना । अगर बुरा लगा हो तो मेरे ब्लॉग पर आकर गलतियां निकालें प्लीज ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-65941099672307322942010-10-16T22:34:44.126+05:302010-10-16T22:34:44.126+05:30ये कहानी पहले पढ़ी थी लेकिन वो इतनी विस्तारपूर्वक ...ये कहानी पहले पढ़ी थी लेकिन वो इतनी विस्तारपूर्वक नहीं थी. <br />कविता को जो शब्द मिले. काबिले तारीफ हैं.<br /><br />बहुत बहुत सुंदर रचना.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-3016341738284698342010-10-16T22:28:48.361+05:302010-10-16T22:28:48.361+05:30इस युग में अहल्याएं तो बहुत हैं, मगर राम कहां से ल...इस युग में अहल्याएं तो बहुत हैं, मगर राम कहां से लाओगे? क्या है कोई पुरुष जो मर्यादा पुरुषोत्तम का एक हज़ारवां हिस्सा भी हो.<br /><br />वैसे मीराजी नें सही कहा है, कि उस एक सर्वशक्तिमान पुरूष के सामने हम सभी स्त्री हैं. ( यहां स्त्री को प्रकृति भी माना जा सकता है)दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-69227388411512785702010-10-16T21:14:38.308+05:302010-10-16T21:14:38.308+05:30कविता पुरानी है लेकिन भूमिका में बाँधी गई कहानी नई...कविता पुरानी है लेकिन भूमिका में बाँधी गई कहानी नई है । काश !!! आधुनिक अहल्याओं को किसी राम का संवेदनशील स्पर्श मिल सके । मार्मिक कविता । <br /><br />विजयदशमी की हार्दिक की शुभकामनाएँमनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.com