tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post5267430527075337243..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: दूर के ढोल.....स्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-793138043899464722011-02-28T16:57:52.951+05:302011-02-28T16:57:52.951+05:30eh.....anandam anandam anandam.......
डालर की तो ...eh.....anandam anandam anandam.......<br /><br />डालर की तो बात ही छोड़ो<br />सेन्ट भी दाँत से दबाये हैं...... t a l i y a n . . . .<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-41538031784383869922011-02-28T15:32:08.880+05:302011-02-28T15:32:08.880+05:30जो यहां हैं वो भी और जो वहां हैं वो भी ! इस पछतावे...जो यहां हैं वो भी और जो वहां हैं वो भी ! इस पछतावे ने कोई स्पेस तो छोड़ा होता ! वहां आप परदेस गईं यहां लोग अपने अपने देस से बाहर दुखी हैं :)<br /><br />स्वभाव है या नियति या फिर उद्यम ? बस सकारात्मक सोचिये !<br /><br />एक गीत याद आया है कभी इसे भी गाइयेगा ! शब्दों में कन्फ्यूज हूं सुधार लीजियेगा !<br /><br />जग सारा गया महक महक ये किसने गीत छेडा ,<br />डाली डाली गई लचक लचक ..............उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-92064505606291540142011-02-27T22:33:41.805+05:302011-02-27T22:33:41.805+05:30इस रचना की भाषा मुझे बहुत अच्छी लगी.रचना एकदम बोलत...इस रचना की भाषा मुझे बहुत अच्छी लगी.रचना एकदम बोलती हुई है .गाना आपकी आवाज़ में है, ज़ाहिर है कि melodious है.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-4043683346825404122011-02-27T21:29:45.998+05:302011-02-27T21:29:45.998+05:30@ प्रिय अविनाश,
तुम्हारे लिए तो हमारा आशीर्वाद हमे...@ प्रिय अविनाश,<br />तुम्हारे लिए तो हमारा आशीर्वाद हमेशा है..ख़ुश रहो..<br />तुम्हें पसंद आया, बस काफ़ी है हमारे लिए..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-27608762364202546542011-02-27T21:28:04.178+05:302011-02-27T21:28:04.178+05:30@ अरे का बात कहतीं हैं वाणी जी...
पोस्ट पुरानी है ...@ अरे का बात कहतीं हैं वाणी जी...<br />पोस्ट पुरानी है तो का हुआ..आपकी इस टिप्पणी से नई तो कोई टिप्पणी हैं ही नहीं जी हमरे पास...<br />और खूबसूरत भी है...<br />आप बहुते धन्यवादित हुईं..:)स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-83846484813799110072011-02-27T21:04:53.656+05:302011-02-27T21:04:53.656+05:30:)
मैंने भी पहली बार पढ़ा है इसे, अच्छा लगा।
और गा...:)<br />मैंने भी पहली बार पढ़ा है इसे, अच्छा लगा।<br />और गाना हमेशा की तरह, लाजवाब।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-5160691395018722762011-02-27T21:02:52.415+05:302011-02-27T21:02:52.415+05:30ठीक है जी ...नए पाठकों से ही ले लीजिये टिप्पणी...)...ठीक है जी ...नए पाठकों से ही ले लीजिये टिप्पणी...):वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-70808347326048495882011-02-27T16:07:40.143+05:302011-02-27T16:07:40.143+05:30@ सुनील जी,
आपका धन्यवाद..
@ देवेन्द्र जी..
आपको ...@ सुनील जी,<br />आपका धन्यवाद..<br /><br />@ देवेन्द्र जी..<br />आपको पसंद आया..<br />आभारी हूँ..<br /><br />@ मनु जी,<br />अब यही है जो भी है..<br />शुक्रिया..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-39291963039053237012011-02-27T08:00:33.309+05:302011-02-27T08:00:33.309+05:30दूर के ढोल सुहाने लगते हैं..वाह! नसीहत देती कमाल क...दूर के ढोल सुहाने लगते हैं..वाह! नसीहत देती कमाल की अभिव्यक्ति।<br />आपकी आवाज में गीत कुछ अधिक प्यारा लगा।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-45372433337879949052011-02-26T22:44:38.893+05:302011-02-26T22:44:38.893+05:30और पुराने पाठकों के लिए भी कुछ नया....!!
???????...और पुराने पाठकों के लिए भी कुछ नया....!!<br /><br /><br />?????????manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-75147304327122397692011-02-26T22:10:12.148+05:302011-02-26T22:10:12.148+05:30मैं पहली बार पढ़ रहा हूँ, सीधी साधी भाषा में गंभीर...मैं पहली बार पढ़ रहा हूँ, सीधी साधी भाषा में गंभीर बात कहने का ढंग , अच्छा लगा बधाईSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-69125514295119371542011-02-26T21:50:12.167+05:302011-02-26T21:50:12.167+05:30@ दराल साहेब,
हा हा हा ...आज तो हमरी 'हाँ नही...@ दराल साहेब,<br />हा हा हा ...आज तो हमरी 'हाँ नहीं तो..!' सही मायने में सार्थक हुई है...<br />अरे डागदर साहेब ...ऐसी हमरी तकदीर कहाँ...जो मजे उड़ायें....मजदूर इन्सान हैं ..रोज कूआं खोदते हैं और रोज पानी पीते हैं...<br />हाँ नहीं तो..!!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-3170878265830894302011-02-26T21:44:05.806+05:302011-02-26T21:44:05.806+05:30@ का संजय जी...
आप तो ऐसे न थे..!@ का संजय जी...<br />आप तो ऐसे न थे..!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-40231991038687943522011-02-26T21:43:12.260+05:302011-02-26T21:43:12.260+05:30@ उस्ताद जी,
अब आप जब उस्ताद ही हैं तो हम्हारा कुछ...@ उस्ताद जी,<br />अब आप जब उस्ताद ही हैं तो हम्हारा कुछ कहना कहाँ बनता है भला !<br />आपको गीत पसंद आए तो मेरा हौसला बढ़ गया है...<br />आपका धन्यवाद..<br /><br />@ प्रवीण जी,<br />ई तो once upon a time लिखी थी ना..इसी खातिर आप नहीं पढ़ पाए...<br />चलिए देर से ही सही..आपकी नज़रों से गुज़री तो सही ये कविता..<br />कुछ और भी आएँगी जिन्हें आपने शायद ना पढ़ी हो...उम्मीद करती हूँ आप अपने विचारों से अवगत करायेंगे..<br />शुक्रिया...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-60067579332982765952011-02-26T21:41:39.023+05:302011-02-26T21:41:39.023+05:30अदा जी , काहे पुरानी कविता सुनाये हैं
अब तो ज़रूर ...अदा जी , काहे पुरानी कविता सुनाये हैं<br />अब तो ज़रूर फ़ौरन के मज़े उडाये हैं ।<br /><br />हाँ नहीं तो । :)डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-41344926218333822042011-02-26T21:35:03.532+05:302011-02-26T21:35:03.532+05:30@ प्रसाद जी...
ऊ तो हम तब भी कहे थे जब बियाह कर चा...@ प्रसाद जी...<br />ऊ तो हम तब भी कहे थे जब बियाह कर चार फर्लांग पर गए थे...:):)<br /><br />@ sagebob जी ,<br />आपका असली नाम तो हम जानते ही नहीं हैं ना..<br />अच्छा लगा जान कर आप गमरी पीढ़ा समझ पाए..<br />शुक्रिया..<br /><br />@ ktheLeo जी,<br />ई तो आपका बड़प्पन है..<br />जो पुरानी कविता भी पसंद आ गई..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-22472563429384584042011-02-26T21:22:43.229+05:302011-02-26T21:22:43.229+05:30आपकी आवाज में यह गीत भी बहुत अच्छा लगा। आभार स्वीक...आपकी आवाज में यह गीत भी बहुत अच्छा लगा। आभार स्वीकार करें।<br /><br />कविता पर कमेंट भी नये पाठक ही करेंगे, हाँ.......!!संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-26074978163241446762011-02-26T20:35:42.008+05:302011-02-26T20:35:42.008+05:30मैं पहली बार पढ़ रहा हूँ, सरल भाषा में बड़ी बातें ...मैं पहली बार पढ़ रहा हूँ, सरल भाषा में बड़ी बातें कह दी हैं आपने।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-59867854001536804352011-02-26T19:56:19.524+05:302011-02-26T19:56:19.524+05:30आपकी तुकबंदी ने मुस्कुराने पे मजबूर कर दिया
बहुत ...आपकी तुकबंदी ने मुस्कुराने पे मजबूर कर दिया <br />बहुत बढ़िया <br /><br />किशोर कुमार का गाया गाना आपकी मीठी आवाज में सुनना अच्छा लगा. पिछली पोस्ट पे गया था. आपने "नैनों में बद्र छाये ..." जैसे डिफिकल्ट गाने को बखूबी गाया है .... बहुत पसंद आया <br />बधाई व शुभ कामनाएंउस्ताद जीhttps://www.blogger.com/profile/03230688096212551393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-77097089324298311972011-02-26T19:18:04.483+05:302011-02-26T19:18:04.483+05:30पुराने पाठकों को भी भाई यह कविता, पहले की तरह ही!पुराने पाठकों को भी भाई यह कविता, पहले की तरह ही!ktheLeo (कुश शर्मा)https://www.blogger.com/profile/03513135076786476974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-34539659377643533382011-02-26T19:04:40.812+05:302011-02-26T19:04:40.812+05:30सच्चाई ब्यान कर दी आपकी रचना ने.
मेरी बहन भी विदेश...सच्चाई ब्यान कर दी आपकी रचना ने.<br />मेरी बहन भी विदेश में है.<br />आप के दर्द को बखूबी समझ सकता हूँ मैं.<br />सलाम.विशालhttps://www.blogger.com/profile/06351646493594437643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-46904361968964271952011-02-26T18:26:18.405+05:302011-02-26T18:26:18.405+05:30‘वीजा जिस दिन मिला था हमको
कितना हम एंठाए थे’
अब ...‘वीजा जिस दिन मिला था हमको<br />कितना हम एंठाए थे’<br /><br />अब गाते हैं.... बाबुल मोरा नैहर छूटो हॊ जाय :(चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.com