tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post4055211792189738715..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: पर दिल के पत्थर पर आकर कई याद के खंज़र टूटे हैंस्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-45512984384509057572009-12-06T00:11:59.512+05:302009-12-06T00:11:59.512+05:30शिकवों का दस्तूर नहीं ना है गिलों का ही रिवाज
नेह...शिकवों का दस्तूर नहीं ना है गिलों का ही रिवाज <br />नेह की वो सारी कोंपल बस कागज़ के गुल-बूटे हैं<br /><br />shandaar gajal... aur ye kavita prasad ji ki aapke swar mein mere laptop mein pahle se tha.. (kaise ye aap janiye..) par han, padhkar abhi prasad ji ki kitaab khoj raha hun apne puraane books ke khajane mein!!!Ambarishhttps://www.blogger.com/profile/10523604043159745100noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-79578189867840007812009-12-04T17:39:59.376+05:302009-12-04T17:39:59.376+05:30अरुण यह मधुमय देश हमारा
प्रसाद जी की अमर कृति यह ...अरुण यह मधुमय देश हमारा<br /><br />प्रसाद जी की अमर कृति यह काव्य गीत सुनकर मैं भाव विभोर हो गया.<br />अगर इसकी MP3 file ईमेल कर दे या डाउनलोड लिंक दे दें तो<br />तो मुझे बार बार सुनने में सुविधा होगी. मैं अपनी छोटी बहन को भी यह song भेजना चाहूँगा.<br /><br /><br />मैं पहली बार गीत के रूप में सुना आपने इस कविता को इस प्रकार गाकर सचमुच एक महान कार्य किया है.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-10799255952596020782009-12-04T04:14:45.566+05:302009-12-04T04:14:45.566+05:30geet aaj nahi sun paaunga, lekin sununga zaroor, v...geet aaj nahi sun paaunga, lekin sununga zaroor, vaise is geet ko pahle bhi sun chuka hun.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/06587620497676437010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-89768741788302158942009-12-04T04:14:45.567+05:302009-12-04T04:14:45.567+05:30टूटे हैं जो रिश्ते आज वो लगते हैं बस झूठे हैं
प्र...टूटे हैं जो रिश्ते आज वो लगते हैं बस झूठे हैं <br />प्रीत डगर के काँटों से मेरे पाँव के छाले फूटे हैं <br />sach kahti hain jo rishte jhoothe hote hain wahi tootate hain, sacche rishte jeewan bhar nahi tootate.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/06587620497676437010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-17237484536418522382009-12-03T22:25:09.313+05:302009-12-03T22:25:09.313+05:30झीनी सी ख़ामोशी 'अदा' वो पाँव से लिपटी तन्ह...झीनी सी ख़ामोशी 'अदा' वो पाँव से लिपटी तन्हाई <br />मुझे गुमसुम से कुछ राह मिले पर जाने क्यूँ वो रूठे हैं<br />इस ग़ज़ल को पढ़ कर मैं वाह-वाह कर उठा।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-4475752712918825892009-12-03T21:30:29.734+05:302009-12-03T21:30:29.734+05:30बहुत खुब...
कई रतजगे काटे हैं हर ख़्वाब को तब ही प...<b>बहुत खुब...<br /><br />कई रतजगे काटे हैं हर ख़्वाब को तब ही पाला था<br />पल भर को जो आँख लगी कोई ख़्वाब का लश्कर लूटे है <br /><br /><br />काफ़ी अच्छा लिखा है</b>काशिफ़ आरिफ़http://hamarahindustaan.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-63915673927436283942009-12-03T21:01:53.653+05:302009-12-03T21:01:53.653+05:30बहुत बढ़िया ग़ज़ल...धन्यवादबहुत बढ़िया ग़ज़ल...धन्यवादविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-83759481340010029022009-12-03T20:34:12.356+05:302009-12-03T20:34:12.356+05:30बहुत सुंदर गीत ओर सुंदर कविता के लिये आप का धन्यवा...बहुत सुंदर गीत ओर सुंदर कविता के लिये आप का धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-26080330330581984902009-12-03T18:17:24.785+05:302009-12-03T18:17:24.785+05:30शिकवों का दस्तूर नहीं ना है गिलों का ही रिवाज
नेह ...शिकवों का दस्तूर नहीं ना है गिलों का ही रिवाज<br />नेह की वो सारी कोंपल बस कागज़ के गुल-बूटे हैं<br /><br />करें क्या कोई, उनसे हम शिकवा <br />खता कोई कभी ,हमी से हुई होगी<br /><br />अरे, ये भी शेर बन गया।<br />बेहतरीन ,-- ये शेर नही,-- आपकी ग़ज़ल।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-14940553724365302852009-12-03T12:54:59.696+05:302009-12-03T12:54:59.696+05:30"टूटे हैं जो रिश्ते आज लगता है वो झूठे हैं
प्..."टूटे हैं जो रिश्ते आज लगता है वो झूठे हैं<br />प्रीत डगर के काँटों से मेरे पाँव के छाले फूटे हैं"<br /><br />आपके सारे शेर बहुत अच्छे हैं !Kusum Thakurhttps://www.blogger.com/profile/02345756853367472461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-48646251926801215622009-12-03T12:15:45.368+05:302009-12-03T12:15:45.368+05:30क्या कहें इसे..ग़ज़ल कहें....या गिले,शिकवे और दर्द...क्या कहें इसे..ग़ज़ल कहें....या गिले,शिकवे और दर्द से भरी दास्तान...बेहद ख़ूबसूरत रचना...उदासी भरी ये रचना थोडा उदास कर गयी...तस्वीर ने एक ग़ज़ल याद दिला दी..."हाथ छूटे, तो भी रिश्ते नहीं छूटा करते...'<br />मैंने तो पहली बार ये कविता पाठ सुना...मधुर आवाज़ ने कविता को नए मायेने दे दिए हैं.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-53919988893302224962009-12-03T10:04:14.951+05:302009-12-03T10:04:14.951+05:30शिकवों का दस्तूर नहीं अब ना गिलों का है रिवाज
नेह ...शिकवों का दस्तूर नहीं अब ना गिलों का है रिवाज<br />नेह की वो सारी कोंपल बस कागज़ के गुल-बूटे हैं <br />वाह वाह बहुत खूब पूरी गज़ल कमाल है गीत पहले ही सुन चुके हैं बधाईनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-81126335282307479892009-12-03T08:53:06.224+05:302009-12-03T08:53:06.224+05:30गज़ल बहुत उम्दा है लेकिन पहले और दूसरे मिसरे मे कु...गज़ल बहुत उम्दा है लेकिन पहले और दूसरे मिसरे मे कुछ वज़न का फर्क लग रहा है देखियेगा ..और प्रसाद का गीत ... यह भी आज मेरे यहाँ गूंज रहा है । अभी सुबह सुबह मॉर्निक वाक से आया हूँ ..ऊगता सूरज देखकर ..शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-91400899328533877992009-12-03T08:34:54.938+05:302009-12-03T08:34:54.938+05:30"सोच लिया था हमने तेरे नाम के निशाँ मिटा देंग...<b>"सोच लिया था हमने तेरे नाम के निशाँ मिटा देंगे<br />पर दिल के पत्थर पर आकर कई याद के खंज़र टूटे हैं"</b><br /><br />कल कुछ ऐसा हुआ मैं बहुत थक गया, इसलिये सुन के भी अनसुनी कर गया,<br />कितनी यादों के भटके हुए कारवां, दिल के जख्मों के दर खटखटाते रहे।<br /><br /><a href="http://agoodplace4all.com/?p=453" rel="nofollow">अजनबी शहर के अजनबी रास्ते, मेरी तन्हाई पे मुस्कुराते रहे।</a><br /><br />बहुत सुन्दर गाया "जयशंकर प्रसाद" जी की अमर कविता को! मैंने पहली बार ही सुना है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-26885375933868590142009-12-03T08:28:48.870+05:302009-12-03T08:28:48.870+05:30जयशंकर प्रसाद की प्रतिभा को आपकी आवाज़ मिल गयी ......जयशंकर प्रसाद की प्रतिभा को आपकी आवाज़ मिल गयी ...और क्या चाहिए ...<br />मधुमय हो ही गया ये जग सारा ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-36953649178848335672009-12-03T08:25:25.124+05:302009-12-03T08:25:25.124+05:30टूटे हैं जो रिश्ते आज लगता है वो झूठे हैं
प्रीत डग...टूटे हैं जो रिश्ते आज लगता है वो झूठे हैं<br />प्रीत डगर के काँटों से मेरे पाँव के छाले फूटे हैं<br />बहुत खूब .....झूठे रिश्तो का टूट जाना बेहतर ही है ...<br /><br />पल भर को जो आँख लगी कोई ख़्वाब का लश्कर लूटे है...<br />मैं पलक ढांप रख लूं ..ना देखन दूँ ..ना देखूं ....कैसे लूटेगा कोई बंद आँखों से ख्वाब के लश्कर ....?<br /><br />बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल ...शेर सारे नगीने से जड़े हैं ग़ज़ल में ....बहुत सुन्दर ....!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-52293295797241394772009-12-03T08:22:20.512+05:302009-12-03T08:22:20.512+05:30अदा जी....
हिंदी में भी अब लिखा जा रहा है....
हिं...अदा जी....<br /><br />हिंदी में भी अब लिखा जा रहा है....<br />हिंद युग्म की बात करते ही हिंदी का फौंट खुद ही ठीक हो गया....<br />क्या कमाल है...!!!!!manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-48574464285544416012009-12-03T08:13:29.505+05:302009-12-03T08:13:29.505+05:30नेह की वो सारी कोंपल अब कागज़ के गुल-बूटे हैं
sab...नेह की वो सारी कोंपल अब कागज़ के गुल-बूटे हैं<br /><br />sabse sunder aur nayaa pan liye ye line....<br /><br />aur geet .....<br /><br />hamaare hind yugm waalaa....<br /><br />6 mahjne lahile sunaa tha....<br />aaj nahi suna jategaa....<br /><br />net problem......!!!<br /><br /><br />manu...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-72873534055485615792009-12-03T07:33:03.982+05:302009-12-03T07:33:03.982+05:30कितने अजीब रिश्ते है यहां पे,
दो पल मिलते हैं, साथ...कितने अजीब रिश्ते है यहां पे,<br />दो पल मिलते हैं, साथ-साथ चलते हैं,<br />जब मोड़ आए तो बच के निकलते हैं,<br />कितने अजीब रिश्ते हैं यहां पे...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-29168318255448739532009-12-03T07:22:29.349+05:302009-12-03T07:22:29.349+05:30टूटे हैं जो रिश्ते आज लगता है वो झूठे हैं
प्रीत ड...टूटे हैं जो रिश्ते आज लगता है वो झूठे हैं <br />प्रीत डगर के काँटों से मेरे पाँव के छाले फूटे हैं <br /><br />बढ़िया गीत है!<br />आपकी आवाज भी सुमधुर है!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-51629026432327453272009-12-03T06:33:21.361+05:302009-12-03T06:33:21.361+05:30भावभीनी गजल और जयशंकर प्रसाद की कविता का सुमधुर गा...भावभीनी गजल और जयशंकर प्रसाद की कविता का सुमधुर गायन<br />संतोष जी का संगीत कविता के अनुरूप है ! बढिया संगत है!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-70660195600537147832009-12-03T05:01:41.529+05:302009-12-03T05:01:41.529+05:30कई रतजगे काटे हैं हर ख़्वाब को तब ही पाला था
पल भर ...कई रतजगे काटे हैं हर ख़्वाब को तब ही पाला था<br />पल भर को जो आँख लगी कोई ख़्वाब का लश्कर लूटे है <br /><br /><br />-बेहतरीन!!<br /><br />गीत तो आपकी जुबां से हम सुन चुके हैं पहले ही. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com