tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post3481467288509281738..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: एकादशानन.......रावण का ग्यारहवाँ चेहरा...स्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-21016873583203343972010-05-07T22:50:58.063+05:302010-05-07T22:50:58.063+05:30एक पंडित जी हैं, रामचरित मानस के बहुत अच्छे वक्ता ...एक पंडित जी हैं, रामचरित मानस के बहुत अच्छे वक्ता हैं......मैंने उनसे प्रश्न किया कि महाराज जब रावण इतना विद्वान् था, महान शिवभक्त था फिर भी उसने ऐसे दुष्कर्म करें , क्यूँ???<br />वो बोले --- रावण के कुल के लोग अर्थात असुर रावण का नाम लेकर पृथ्वी पर आतंक मचाने लग गये थे, रावण ने सोचा इस तरह तो पृथ्वी मैया का नाश हो जायेगा, इसलिए वो सीता माँ का अपरहण कर लाया और अपने कुल के विनाश का मार्ग खोल दिया<br /><br />अब चाहे जो भी हो, मुझे तो तर्क भा गयाYashwant Mehta "Yash"https://www.blogger.com/profile/02457881262571716972noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-19727976592774985212010-05-07T22:42:47.694+05:302010-05-07T22:42:47.694+05:30बहुत ही बढ़िया प्रवाह.......उत्तम रचना......बहुत ही बढ़िया प्रवाह.......उत्तम रचना......Yashwant Mehta "Yash"https://www.blogger.com/profile/02457881262571716972noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-30307791955481970642010-05-07T21:02:34.053+05:302010-05-07T21:02:34.053+05:30satyabodhit!satyabodhit!Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-59393626295132923402010-05-07T20:44:54.487+05:302010-05-07T20:44:54.487+05:30सम्पूर्ण रामायण को एक नए रूप में पढ़कर अच्छा लगा...सम्पूर्ण रामायण को एक नए रूप में पढ़कर अच्छा लगा । लेकिन हर क्यों का क्या ज़वाब है ?डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-11316220577641333092010-05-07T19:16:18.906+05:302010-05-07T19:16:18.906+05:30पता नही जी मै कभी इतने गहरे इन धर्म ग्रंथो को कभी...पता नही जी मै कभी इतने गहरे इन धर्म ग्रंथो को कभी पढा नही, वेसे कोई भी शक्ति शाली आदमी किसी से बिना लडए हार मान ले तो....वो मर्द नही होगाराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-55468799312278558262010-05-07T18:27:03.271+05:302010-05-07T18:27:03.271+05:30अदभुत, सोचने पर मजबूर कर दिया आपने।
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पड़ोस...अदभुत, सोचने पर मजबूर कर दिया आपने।<br />--------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">पड़ोसी की गई क्या?</a><br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">गूगल आपका एकाउंट डिसेबल कर दे तो आप क्या करोगे?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-37696375581260967642010-05-07T17:28:38.737+05:302010-05-07T17:28:38.737+05:30accha likha hain ,bahut sundar ,kya likha hain aap...accha likha hain ,bahut sundar ,kya likha hain aapne ,par main ye hi kehna chahunga ke saari baate suni hui hain kisi ne dekha nahi hain kuch bhi ,kuch baate agar sahi hain to kuch galat bhi hogi hi ,aur agar sab kuch sahi hoga to dono pahlu barabar kaise honge <br /> baise is bat par ek acchi argument ho sakti hain ,kaafi bada mudda uthaya hain aapne <br /> bahut khubBrajdeep Singhhttps://www.blogger.com/profile/07144257851334638478noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-7121210790101727242010-05-07T14:48:11.164+05:302010-05-07T14:48:11.164+05:30बहुत सही सवाल, लेकिन गिरिजेश जी के जवाब से इत्तेफ़...बहुत सही सवाल, लेकिन गिरिजेश जी के जवाब से इत्तेफ़ाक रखती हूं मैं भी. नरेन्द्र कोहली की रामावतार और महासमर दोनों ऐसी श्रृंखलाएं हैं, जिन्होंने रामायण और महाभारत काल से जुड़े कई अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर दिये हैं.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-5831227591839663432010-05-07T11:40:11.789+05:302010-05-07T11:40:11.789+05:30charcha manch ke thrugh yahaan tak pahuncha...achh...charcha manch ke thrugh yahaan tak pahuncha...achhi lagi rachna..charcha yogya hai .. is rachna ka kathya bahut mahtvapurn hai ..aur sabhi ko ispe sochna chahiye.. shuqriya ki apne likhaस्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-69719969099134831542010-05-07T11:30:08.678+05:302010-05-07T11:30:08.678+05:30बेहतरीन, उम्दा।बेहतरीन, उम्दा।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-17132627527199945572010-05-07T10:53:04.409+05:302010-05-07T10:53:04.409+05:30बहुत बढ़िया रचना !! आभार !बहुत बढ़िया रचना !! आभार !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-46659529416429010822010-05-07T10:27:33.550+05:302010-05-07T10:27:33.550+05:30@-महाज्ञानी रावण मेरे लिए तो सहानुभूति का पात्र नह...@-महाज्ञानी रावण मेरे लिए तो सहानुभूति का पात्र नहीं बन सकता ...!!<br /><br />Vani ji se sehmat hun !<br /><br />Beautiful creation !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-15522204074352233192010-05-07T10:01:33.363+05:302010-05-07T10:01:33.363+05:30व्यवहारिक प्रश्न, जनक के खेत तक जाने के प्रयत्न को...व्यवहारिक प्रश्न, जनक के खेत तक जाने के प्रयत्न को निष्फल नहीं होने देंगे ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-29993349688438795172010-05-07T09:13:55.156+05:302010-05-07T09:13:55.156+05:30जी मैंने तो ये पहली बार ही पढ़ी है!यदि सोचे तो .......जी मैंने तो ये पहली बार ही पढ़ी है!यदि सोचे तो .........<br /><br />हर बात 'क्यों' पर ही अटक जाती है!क्यों का जवाब नहीं है कोई!मै सोचता हूँ....<br /><br />कुंवर जी,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-28860530683863056942010-05-07T09:08:27.347+05:302010-05-07T09:08:27.347+05:30क्या छल-छद्म पर चलने वाले इतनी जल्दी झुक जाते हैं ...क्या छल-छद्म पर चलने वाले इतनी जल्दी झुक जाते हैं ?<br />मेरे विचार, फिर बार बार जनक के खेत तक जाते हैं<br />बहुत सुन्दर !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-53408630043822673222010-05-07T08:07:42.081+05:302010-05-07T08:07:42.081+05:30बहुत सुन्दर रचना है ... सवाल करना ज़रूरी है ... अं...बहुत सुन्दर रचना है ... सवाल करना ज़रूरी है ... अंधा विश्वास हर जगह काम नहीं आता है !<br />रामायण मिथक भी है और इतिहास भी ... इतिहास कोई आदमी ही लिखता है ... इसमें उसका अपना दृष्टिकोण भी होता है ... जो बाद में कई सवाल खड़ा कर सकता है!Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-50990745471298516262010-05-07T08:01:35.657+05:302010-05-07T08:01:35.657+05:30ये रचना बहुत दम रखती हैये रचना बहुत दम रखती हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-62683112101498867472010-05-07T07:48:26.171+05:302010-05-07T07:48:26.171+05:30पुनः प्रकाशन पर भी धमक वही..आनन्द आयापुनः प्रकाशन पर भी धमक वही..आनन्द आयाUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-5255294184579222662010-05-07T07:16:07.184+05:302010-05-07T07:16:07.184+05:30hnm...
bahut sunder..
kaafi pahle suni thi.hnm...<br /><br /><br />bahut sunder..<br /><br />kaafi pahle suni thi.manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-7111451202687566422010-05-07T07:13:22.230+05:302010-05-07T07:13:22.230+05:30महाज्ञानी रावण मेरे लिए तो सहानुभूति का पात्र नहीं...महाज्ञानी रावण मेरे लिए तो सहानुभूति का पात्र नहीं बन सकता ...!!<br />वैसे आपकी कविता बहुत ही अच्छी लगी ....वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-77621367043782766072010-05-07T06:54:12.148+05:302010-05-07T06:54:12.148+05:30@ गिरिजेश राव:
गिरिजेश सर, मैं शायद नौंवी कक्षा म...@ गिरिजेश राव:<br /><br />गिरिजेश सर, मैं शायद नौंवी कक्षा में था जब नरेन्द्र कोहली लिखित सीरिज़ की ’दीक्षा’ कहीं से पुरस्कार में मिली थी। उसके बाद ’अवसर, संघर्ष की ओर, युद्ध’ सभी भाग ढूंढ कर पढ़े थे और उसके बाद भी कई बार लाईब्रेरी से लाकर पढ़ता रहा हूं। आपसे सहमत हूं कि इस विषय पर शायद सबसे व्याव्हारिक लेखन इसी सीरिज़ में है। पर सवाल तो यहीं से खड़े होने शुरू हुये थे, शायद तर्क के लिये उम्र बहुत कम थी उस समय। दोबारा तलाश शुरू करते हैं। आपका कमेंट अभी दिखा, इसीलिये दुबारा आया हूं।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-26292564486184861322010-05-07T06:49:38.681+05:302010-05-07T06:49:38.681+05:30ऐसा भारीभरकम पढ़ कर मुझ जैसे कमअक्लों को कमेंट करन...ऐसा भारीभरकम पढ़ कर मुझ जैसे कमअक्लों को कमेंट करने में बड़ी दिक्कत हो जाती है...<br /><br />क्योंकि अपने विचार तो बस मक्खन के गेराज तक ही जा पाते हैं...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-52132337519031845592010-05-07T06:43:41.059+05:302010-05-07T06:43:41.059+05:30अदा जी,
इतने तो नहीं पर ऐसे ही कुछ सवाल मुझे भी सा...अदा जी,<br />इतने तो नहीं पर ऐसे ही कुछ सवाल मुझे भी सालते रहे हैं। जवाब नहीं मिलते हैं, क्योंकि लोग या तो एकदम अंधविश्वासी हैं या एकदम अविश्वासी। या तो सिर्फ़ पूजने वाले मिलते हैं या सिर्फ़ गरियाने वाले।<br />बनी बनाई लीक पर चलना सरल होता है न।<br />और आज की पोस्ट पढ़कर सवाल और भी बढ़ गये है।<br />किसी बात को देखने का आप का अनूठा दृष्टिकोण प्रभावित भी करता है और हमारा कॉम्पलेक्स और बढ़ा देता है। क्या कहते हैं - मेस्मिराईज़िंग ही कहते हैं शायद।<br />आभार स्वीकार करें।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-29393148222346969532010-05-07T06:31:20.065+05:302010-05-07T06:31:20.065+05:30गहन चिंतन मनन के परिणाम स्वरूप ही ऐसे रचना का जन्म...गहन चिंतन मनन के परिणाम स्वरूप ही ऐसे रचना का जन्म होता है / ऐसे ही सोच से बुराई पर अच्छाई की विजय होती है / एक अदृश्य शक्ति की अदालत भी है ,जहाँ सिर्फ न्याय होता है बाकि किसी प्रकार का अन्याय नहीं /honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-12592074702206987762010-05-07T06:27:30.227+05:302010-05-07T06:27:30.227+05:30नरेन्द्र कोहली की रामावतार शृंखला पढ़िए। रक्त से भ...नरेन्द्र कोहली की रामावतार शृंखला पढ़िए। रक्त से भरे घड़े और खेत में पाई गई सीता का रहस्य समझ में आ जाएगा। 'महाज्ञानी' रावण के लिए कोई सहानुभूति भी नहीं बचेगी। <br />यह शृंखला सबको पढ़नी चाहिए।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.com