tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post2343515583878536229..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: क्या गाय या भैंस का दूध....शाकाहार है ??? स्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger57125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-26923282986118276452014-10-09T12:35:14.582+05:302014-10-09T12:35:14.582+05:30@ फेसबूक यू एल आर छोड़ रहे है यहा....
सचिन जी,
आपक...@ फेसबूक यू एल आर छोड़ रहे है यहा....<br /><br />सचिन जी,<br />आपका धन्यवाद !<br />वैसे ' यू एल आर ' नहीं होता, ये URL होता जिसका फुल फॉर्म है Uniform Resource Locator । 'अधीरता और अज्ञानता सगी बहनें हैं' । स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-58980811346444314942014-10-09T12:33:14.732+05:302014-10-09T12:33:14.732+05:30हां क्या गजब तर्क है दूध चूंकि मांसाहार है तो थोड़ी...हां क्या गजब तर्क है दूध चूंकि मांसाहार है तो थोड़ी तो हिंसा हो ही गई है हमसे।<br />फिर तो उस जीव यानी गाय या भैंस को मारकर खाने में भी क्या बुराई है?<br />और जब उन्हीं को मारकर खा सकते हैं तो फिर किसी इंसान को मारकर भी मांस खाया ही जा सकता है(सुना है चीन में तो अविकसित भ्रूण को खाया ही जाता है।)<br />फिर तो कोई माई का लाल न होगा हमसे तर्क करने वाला।<br />और धर्म की दुहाई?<br />लेकिन तब तो धर्म में या उसके नाम पर और भी बहुत कुछ होता था।<br />कमाल है। जिस वर्ग को धर्म से सबसे ज्यादा परेशानी रही है। वही इस मामले में धर्म को ढाल बना रहा है?<br />दुनिया बनाने वाले ये कैसी दुनिया बनाई।<br />हमका तो समझ ही ना आई ।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-43168133488970764362014-10-09T07:46:45.499+05:302014-10-09T07:46:45.499+05:30@अदा जी .... आपकी बाते हास्यास्पद है । आपको धर्म क...@अदा जी .... आपकी बाते हास्यास्पद है । आपको धर्म का, व धर्मशास्त्रो का इतना ही ज्ञान है जितना कि रेगिस्तान के सूखे रेत में तेल होता है ।<br /><br />सचिन जी,<br />कम से कम अपने नाम का कुछ तो मान रखा होता आपने :) इतना भी नहीं मालूम आपको, पूरी दुनिया को तेल रेगिस्तान वाले ही दे रहे हैं, सबसे बड़ा तेल का भण्डार रेगिस्तानों में ही है ।<br />चलिए अच्छा लगा जान कर मेरी बातों पर आपको कम से कम रोना नहीं आया, किसी को हँसाना बहुत कठिन काम माना जाता है। स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-22080676799438373042014-10-09T07:30:29.403+05:302014-10-09T07:30:29.403+05:30सचिन शर्मा जी,
वाल्मीकि रामायण के 'अरण्यकाण्डे...सचिन शर्मा जी,<br />वाल्मीकि रामायण के 'अरण्यकाण्डे त्रिचत्वारिंश: सर्ग:' के १९ वें सर्ग में यह लिखा है<br /><br />जीवनं यदि तेभ्येति ग्रहणम् मृगसत्तम:।<br />अजिनं नरशार्दूल रुचिरं तु भविष्यति<br />अर्थात, सीता राम से कहती हैं 'हे पुरुषसिंह ! यदि कदाचित यह श्रेष्ठ मृग जीते-जी न पकड़ा जा सके तो इसका चमड़ा ही बहुत सुन्दर होगा ॥ १९ ॥<br /><br />आगे २० वें सर्ग में जो है देखिये :<br />निहतस्यास्य सत्त्वस्य जाम्बूनदमयत्वचि<br />शष्पबृस्यामं विनितायामिच्छाम्यहमुपासितुम् ||२०॥<br /><br />अर्थात आगे सीता कहती हैं,<br />घास-फूस की बनी हुई चटाई पर मरे हुए मृग का स्वर्णमय चमड़ा बिछा कर मैं इसपर आपके साथ बैठना चाहती हूँ<br /><br />आप कहते हैं हिन्दू ग्रन्थों में जीव हत्या की बात नहीं हैं, टी वी सीरियल देखने का शौक मैं नहीं रखती । आप से भी अनुरोध है अपने ज्ञान का सही तरीके से परिमार्जन करें, वाल्मीकि रामायण का ही अध्ययन आप कर लें तो काफी होगा । वाल्मीकि रामायण के ३१ वें सर्ग में राम जी स्वयं लक्ष्मण से कहते हैं :<br /><br />मांसहेतोरपि मृगां विहार्थमं च धनविन:<br />ध्नन्ति लक्ष्मण राजानो मृगयायां महावने<br />जिसका अर्थ है :<br />लक्ष्मण ! राजा लोग बड़े-बड़े वनों में मृगया खेलते समय माँस के लिए, मृगचर्म के लिए और शिकार खेलने का शौक पूरा करने लिए धनुष हाथों में लेकर मृगों को मारते हैं ॥ ३१ ॥<br /><br />जहाँ तक दूध के माँसाहार होने का प्रश्न है, हमारे-आपके नहीं मानने से दूध का केमिकल कॉम्पोजिशन बदल नहीं जाएगा उसमें एनिमल फैट और एन्जाइम्स रहेंगे ही रहेंगे, वैसे आपको बता दूँ दुनिया की बहुत बड़ी आबादी इसे शाकाहार नहीं मानती।<br />एक बात और अहिंसा की दलील देने आये हैं आप फिर आपकी प्रवृति इतनी ....... :)<br /><br /><br />स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-81588310543981997222014-10-08T23:48:14.433+05:302014-10-08T23:48:14.433+05:30सनातन वैदिक धर्म के मूल ग्रंथो वेद , उपनिषद, ब्राह...सनातन वैदिक धर्म के मूल ग्रंथो वेद , उपनिषद, ब्राह्मणग्रंथ, दर्शन ग्रंथ आदि किसी भी आर्ष ग्रंथ में न तो पशु की हत्या का आदेश है न ही मांसभक्षण का , इसके विपरीत सभी प्राणियों से प्रेम करने, उनकी रक्षा करने , मांस न खाने के आदेश असंख्यों भरे पड़े है । फिर भी ऐसे अज्ञानी जिन्हौने धर्म को जाना ही नहीं, जिन्हौने कभी शास्त्रो के पन्ने पलटकर नहीं देखे, वृथा जीभ हिलाकर कुछ भी कपोलकल्पित अज्ञान उड़ेला करते है। और ये जानवरो को काटकर मांस नोचने वाले, हड्डीया चूसने वाले पापी नराधाम , अपने इस कुकर्म को सही साबित करने के लिए , कैसे कैसे बेतुके तर्क दिया करते है । गाय का दूध मांसाहार है , फल मांसाहार है :) इनकी मूर्खता का तो कहना ही क्या ...। फेसबूक यू एल आर छोड़ रहे है यहा.... जो जो बौद्धिक व्यभिचारी है ... वो आकर इस पर बहस कर ले .... उनकी मूर्खता का उन्हे बोध अवश्य हो जाएगा। जय श्री राम । सचिन शर्माhttps://www.facebook.com/sachinkmsharmanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-9601758076570235352014-10-08T23:41:50.973+05:302014-10-08T23:41:50.973+05:30@अदा जी ---- मृगछाला जो आपको ऋषि मुनीयो शिव आदि के...@अदा जी ---- मृगछाला जो आपको ऋषि मुनीयो शिव आदि के पास दिखाई थी आपने केवल उसे चित्र में देखकर ही मृग की खाल मान लिया ? वो बुनकरो द्वारा तैयार की जाती थी , ऐसा वेदार्थ पारिजात आदि कई ग्रंथो मे स्पष्ट वर्णित है , इसके अतिरिक्त ये मृग को मारकर उसकी खाल से बनाई जाती थी ऐसा वर्णन किसी भी वैदिक ग्रंथ में नहीं है । केवल चित्रकारों के बनाए चित्रो से ही आपने ये सत्यबोध प्राप्त किया वाह । दूसरा ------- दशरथ जी के शिकार की बात तो - आपके घर मे डेंगू के मच्छर हो और आप उन्हे मार दे तो क्या वो हिंसा या पाप कहलाएगा ? वो हिंसक पशु थे जो मनुष्य की फसल को ही नहीं बल्कि स्त्री वृद्ध बालको आदि पर भी नियमित आघात किया करते थे, ऐसे एक उत्पाती पशु को ही महाराज दशरथ मारने गए थे, रामायण यही कहती है । अब आपकी मुख्य बात --- सीता जी ने मृगछाला मांगी थी और श्री राम ने इसलिए उस जानवर को मारा था ? :) देखो इस प्रसंग को जाकर वाल्मीकि रामायण मे पढ़िये आप ताकि ऐसी हास्यास्पद बात न कहे आगे से ---- रामायण के अनुसार ---- माता सीता मृग के साथ खेलना, उसे लाड़ करना आदि चाहती थी व उसे वनवास की समाप्ती पर अयोध्या भी ले जाना चाहती थी , उनके ऐसे निवेदन पर श्री राम उस हिरण को जीवित ही पकड़ने गए थे न कि शिकार करने , किन्तु जब उन्हे स्पष्ट हुया कि वह मृग नहीं अपितु मायावी राक्षस है जो छल कर रहा है , तब उन्हौने बाण चलाया ..... । आप शास्त्रो या भगवान या धर्म पर ऐसी टिप्पणी करने से पहले उनमे ही जाकर देखा कीजिये । चित्र देखकर और टीवी मे रामायण देखकर यही हाल होता है । सचिन शर्माhttps://www.facebook.com/sachinkmsharmanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-74439383108293834572014-10-08T23:33:53.830+05:302014-10-08T23:33:53.830+05:30अदा जी .... आपकी बाते हास्यास्पद है । आपको धर्म का...अदा जी .... आपकी बाते हास्यास्पद है । आपको धर्म का, व धर्मशास्त्रो का इतना ही ज्ञान है जितना कि रेगिस्तान के सूखे रेत में तेल होता है । आपने जो हिन्दू धर्म , शास्त्र व ऋषि मुनि भगवान आदि पर आक्षेप लगाए है, उनके उत्तर अगले कमेंट मे दे रहे है ......... सचिन शर्माhttps://www.facebook.com/sachinkmsharmanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-46444278147327792902012-11-23T14:19:18.293+05:302012-11-23T14:19:18.293+05:30sahi hai boss jai ho!!!!!!!!!!!!!sahi hai boss jai ho!!!!!!!!!!!!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-11763658758754552182012-11-14T19:34:49.882+05:302012-11-14T19:34:49.882+05:30ये तो ऊंची बहस वाली पोस्ट हो गयी। जय हो ! ये तो ऊंची बहस वाली पोस्ट हो गयी। जय हो ! अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-56685322728569500402012-10-31T19:48:34.712+05:302012-10-31T19:48:34.712+05:30सुधार……
हिन्दु धर्म में जीवहिंसा के आदेश तो रत्ति ...सुधार……<br />हिन्दु धर्म में जीवहिंसा के आदेश तो रत्ति भर भी नहीं है। <br />_______________________________________<br /><br />तथापि धर्म का आधार कथा-वस्तु से अधिक उसमें प्रस्तुत आध्यात्म और दर्शन होता है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-51365523589186957692012-10-31T14:37:17.771+05:302012-10-31T14:37:17.771+05:30अदा जी,
प्रश्न छोटा सा है उत्तर विस्तृत हो जाता ह...अदा जी,<br /><br />प्रश्न छोटा सा है उत्तर विस्तृत हो जाता है। तथापि कुछ मुद्दे लिखता हूँ यदि बात पहुँचे… :)<br /><br />1- धर्म-कथाएँ बहुत ही प्रचीन युग की है, आवश्यक नही हूबहू घटनाक्रम आज हमारे समक्ष हो।<br />2- महापुरूषों के कृत्व और कारण को उसी अभिप्राय में समझना हमारे लिए सम्भव ही नहीं।<br />3- समय काल परिस्थिति अनुसार भाष्य और व्याख्याओं में अन्तर आना स्वभाविक है।<br />4- यकिन से तो नही कह सकते किन्तु मृगछाला स्वभाविक मृत्यु से भी प्राप्य हो सकती है।<br />5- इस युग में चित्रों मूर्तियों में दर्शाए परिधान और मुद्राएं सदाकाल की नहीं है।<br />6- उनके प्रत्येक कार्य अनुकरणीय नहीं है, आज्ञा और उपदेश धर्म के आधार होते है। उनके चार चार हाथों में आयुद्ध है तो इसका अर्थ यह नही कि हिन्दु धर्म का पालन करने वाले सभी को आयुद्ध धारण करने चाहिए, भगवान परशुराम ने क्षत्रियों का नाश किया इसका तत्पर्य यह नहीं कि फोलोअर को परशु लेकर निकल पडना चाहिए। :) नरसिंहा अवतार यदि अपने नाखूनों से अधर्मी का सीना चीर दिए तो सभी को अपनी धारणा अनुसार अधर्मी को देखते ही सीना चीरने निकल पड़ना चाहिए…।<br />7- सभी महापुरूष भी हत्या या जीवहिंसा हो जाने के बाद प्रायच्छित अवश्य करते है, इसी से ज्ञात होता है कि वह कार्य क्षमा-प्रायच्छित के लायक था, अनुकरणीय नहीं था। और हिन्दु धर्म जीवहिंसा के आदेश तो रत्ति भर भी नहीं है। <br />सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-62188018258664641022012-10-31T00:10:19.897+05:302012-10-31T00:10:19.897+05:30कोई दुहता भैंस को , कोई दुहता गाय
अरे शेरनी को कभी...कोई दुहता भैंस को , कोई दुहता गाय<br />अरे शेरनी को कभी, दुहकर जरा बताय <br />दुहकर जरा बताय,सदा कमजोर मरा है<br />जो साधन सम्पन्न, हमेशा हरा-भरा है<br />बछड़ा भूखा देख - देख कर ममता रोई<br />बेजुबान का दर्द , भला क्या जाने कोई ||अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-52132599115141458702012-10-30T23:28:08.633+05:302012-10-30T23:28:08.633+05:30ष्ट्री=श्री
vartani ki galati hui hai kshamaprart...ष्ट्री=श्री <br />vartani ki galati hui hai kshamaprarthi hun..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-10913895639315504532012-10-30T23:26:24.657+05:302012-10-30T23:26:24.657+05:30डॉ . गुप्ता,
सही कहते हैं आप, हम भारतीयों के लिए स...डॉ . गुप्ता,<br />सही कहते हैं आप, हम भारतीयों के लिए संवेदनशीलता फ़ालतू की चीज़ ही है। सिर्फ शाकाहारी होना ही काफी है।स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-11356564502340187102012-10-30T23:22:52.015+05:302012-10-30T23:22:52.015+05:30सुज्ञ जी,
मेरा एक बहुत ही छोटा सा प्रश्न है ....
ह...सुज्ञ जी,<br />मेरा एक बहुत ही छोटा सा प्रश्न है ....<br />हमारे कई देवता (शंकर), ऋषि-मुनि (गौतम, परशुराम) मृगछाला पहने हुए नज़र आते हैं। वो उनको कैसे प्राप्त होता था, बिना किसी का वध किये हुए ?<br />माँ सीता ने मृगछाला ही माँगा था ष्ट्री राम से, और श्री राम निकल भी गए थे लाने ...इस बात के लिए श्री राम ने मना नहीं किया था कि ये जीव हत्या है, उन्होंने इस बात के लिए मना किया था कि यह स्वर्णमृग स्वाभाविक नहीं है। ये जीव हत्या की श्रेणी में आता है या नहीं ?<br />रामायण हिन्दू धर्म के आधारों में से एक है। इस बात से आप इनकार नहीं कर सकते।स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-88943369941179039822012-10-30T20:10:40.016+05:302012-10-30T20:10:40.016+05:30हरगिज़ नहीं मैंने तओ इस दुनियाँ में किसी भी चीज़ क...हरगिज़ नहीं मैंने तओ इस दुनियाँ में किसी भी चीज़ को पूरी तरह शाकाहारी मानती ही नहीं खासकर दूध या उसे बनी बाकी चीज़ें तो ज़रा भी शाकाहारी नहीं कह लानी चाहिए रही बा पहले प्रशन की तो आपकी बात से सौ प्रतिशत सहमत हूँ यह बिलकुल गलत है माँ का दूध केवल उसके बच्चे के लिए ही होना चाहिए बाकी किसी अन्य के लिए नहीं... Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-85619379050230318382012-10-30T16:50:12.511+05:302012-10-30T16:50:12.511+05:30आजकल तो मिल रहे मानव के प्रोडक्ट
प्रोडक्शन है दूध ...आजकल तो मिल रहे मानव के प्रोडक्ट<br />प्रोडक्शन है दूध का,काजू का प्रोडक्ट ।<br />काजू का प्रोडक्ट, कर रहा सब मानव ही,<br />पापड़, घी, मक्खन, अचार एवं रोटी भी ।<br />न एनीमल प्रोडक्ट न कुछ भी वेजीटेबल,<br />सब कुछ यारो है मानव प्रोडक्ट आजकल ।। <br /> shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-90567585581300556782012-10-30T16:38:16.856+05:302012-10-30T16:38:16.856+05:30jeevit praanee to dal kaa daanaa va pattee bhee ho...jeevit praanee to dal kaa daanaa va pattee bhee hotee hai bhaaee....har koshikaa jeevit hote hai.... maans ek alag vastu hai.... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-59643696390459648282012-10-30T16:36:01.440+05:302012-10-30T16:36:01.440+05:30ati-sundar ....ati-sundar .... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-41920939185536923022012-10-30T16:33:19.978+05:302012-10-30T16:33:19.978+05:30---हाँ ये सब नॉन-वेज हैं परन्तु सामिष नहीं, एग न ...---हाँ ये सब नॉन-वेज हैं परन्तु सामिष नहीं, एग न वेज है न सामिष ...इसी लिए उन्हें खाने वाले एगीटेरियन कहलाते हैं।<br /><br />----फास्टिंग पीरिअड में नही खाते ,,,अर्थात अंध विश्वासी हैं ... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-27366543841920320492012-10-30T16:26:18.489+05:302012-10-30T16:26:18.489+05:30सही कहा सुज्ञ जी --- सत्य तो यही है की मांसाहार ....सही कहा सुज्ञ जी --- सत्य तो यही है की मांसाहार ....निरामिष आहार के भाँति ....मन ,वचन, भाव व् कर्म एवं रासायनिक भाव से शुद्ध नहीं होता ....अतः यदि निरामिष भोजन उपलब्ध है तो वही खाया जाना चाहिए,,,, आपत्तिकाले मर्यादा नास्ति ...के अनुसार यदि वह उपलब्ध नही है तो जीवन रक्षा हेतु आप कुछ भी खा सकते हैं,,, सर्प , वानर से लेकर मानव तक,,, परन्तु स्वाद हेतु नहीं ,,,, shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-79185173958699345502012-10-30T16:19:13.988+05:302012-10-30T16:19:13.988+05:30Falatoo kee samvedansheelataa ke liye sthaan nahen...Falatoo kee samvedansheelataa ke liye sthaan nahen hai bharat ke paas ... sosaaity aadi-- faalatoo logon ke kaam hain.... bhaarat men to har jagah shaakaahaar prachalit hai society kyaa karegee.... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-45205146322590458372012-10-30T16:16:43.491+05:302012-10-30T16:16:43.491+05:30वाह क्या तर्क है ....खरगोश सिरफ घास खाता है अतः उ...वाह क्या तर्क है ....खरगोश सिरफ घास खाता है अतः उसका शरीर कैसे सामिष होगया ... वह तो घास से बना है ...शेर आदि का शरीर सामिष है ..उस को खाया जाय यदि असली मांस का शौक है तो shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-28990941197539181932012-10-30T16:10:05.867+05:302012-10-30T16:10:05.867+05:30अदा जी आपने मेरी टिप्पणी पढी - नहीं --- आपको साम...अदा जी आपने मेरी टिप्पणी पढी - नहीं --- आपको सामिष व निरामिष शब्द का अर्थ नही पता----- पहले ही कहा जाचुका है दूध ..प्राणी उत्पाद है --शहद आदि की भाँति परन्तु वह न तो मांस है, न मांस से बनता है , तो सामिष क्यों हुआ,,, <br />------दूध प्राप्ति में कोइ क्रूरता नहीं है .... गाय धाय की भाँति दूध उपलब्ध कराती है ..इसीलिये उसे माता कहा जाता है ..यदि गाय का दूध निकाला नही जाएगा तो वह रोगी होजायागी ,,, ऐसा ही स्त्रियों में भी होता है ,,,मांसाहार तो स्पष्ट क्रूरता है ...चाहे वह मजबूरी वश हो shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-63652791878284964092012-10-30T13:40:17.443+05:302012-10-30T13:40:17.443+05:30वास्तव में अगर हम भी फ़ास्ट फ़ूड के ही निर्माण की प...वास्तव में अगर हम भी फ़ास्ट फ़ूड के ही निर्माण की प्रक्रिया और उसमें प्रयुक्त को में देख लें तो कुछ खाना छोड़ दें . या भैस जिसका भी दूध हो बच्चे का पेट काट कर लेट हैं बेचने वाले .घर के जानवर पर हम दया दिखा सकते हैं लेकिन घर वाले उसके भी पूरे पूरे दूध को बछड़े को नहीं पिला सकते हैं। अब गाय दूध देना बंद कर देती है तो उसको घर में बंधने के स्थान पर खुला छोड़ देते हैं।रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.com