tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post2073893001524794043..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: खुशियाँ मुकर जातीं हैं हरेक हादसे के बाद....स्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-51306126173548651292010-07-24T11:14:51.938+05:302010-07-24T11:14:51.938+05:30Maaf kijiyga didi kai dino bahar hone ke kaaran ...Maaf kijiyga didi kai dino bahar hone ke kaaran blog par nahi aa skaaसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-89002241528090694762010-07-24T11:14:34.920+05:302010-07-24T11:14:34.920+05:30सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभक...सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-16471373828103869532010-07-23T05:50:19.141+05:302010-07-23T05:50:19.141+05:30@ Pyare Gaurav,
Tumhara apna nazariya hai aur use ...@ Pyare Gaurav,<br />Tumhara apna nazariya hai aur use vyakt karna bhi chahiye...ismein bura bhi kya manana...<br />ek number ke buddhu ho...<br />didi...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-31884141793517942892010-07-23T05:31:00.245+05:302010-07-23T05:31:00.245+05:30@हम चाहें तो भी इस घटना को स्त्री और पुरुष विभाजित...@हम चाहें तो भी इस घटना को स्त्री और पुरुष विभाजित नहीं कर सकते , ये सन्देश मानव( स्त्री पुरुष दोनों) को रहा है<br /><br />दीदी,<br />मुझे इस टिपण्णी के लिए क्षमा कर दें,मैं कुछ ज्यादा ही भावुक हूँ<br />मुझे कमेन्ट लिखना (और ब्लॉग लिखना) दोनों ही नहीं आता<br />ज्ञान और उम्र दोनों के हिसाब से आपसे छोटा हूँएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-28954228917390015492010-07-22T07:07:55.413+05:302010-07-22T07:07:55.413+05:30खुशियां मुकरा करती हैं, खुशदीप नहीं...
जय हिंद......खुशियां मुकरा करती हैं, खुशदीप नहीं...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-8737557041101187552010-07-21T17:13:50.636+05:302010-07-21T17:13:50.636+05:30"खुशियाँ मुकर जातीं हैं हरेक हादसे के बाद......."खुशियाँ मुकर जातीं हैं हरेक हादसे के बाद...."<br />Itna badiya title diya hai!!<br /><br />You are fantastic writer...<br />Amazing<br /><br />Regards,<br />DimpleDimplehttps://www.blogger.com/profile/04616482931140406425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-29011114331545053442010-07-21T11:52:31.341+05:302010-07-21T11:52:31.341+05:30पुरषोत्तम ?
छोड़ो वह अग्निपरीक्षा भी ,
वह सब तो बा...<i><br />पुरषोत्तम ?<br /><br />छोड़ो वह अग्निपरीक्षा भी ,<br />वह सब तो बाद की बारी है ।<br />क्यों भ्रूण में मारी जाती है ,<br />इसलिए की बस वह नारी है ?<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-28491512278553964072010-07-21T07:44:01.993+05:302010-07-21T07:44:01.993+05:30दूसरे की पतित को पावन करना...
और खुद की पावन को प...दूसरे की पतित को पावन करना...<br /><br />और खुद की पावन को पतित कहना...<br /><br /><br />वाह राम...!manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-75589820106065536402010-07-21T06:20:36.651+05:302010-07-21T06:20:36.651+05:30भगवान् जाने तुम कैसे पुरषोत्तम कहलाते हो ???
कवित...भगवान् जाने तुम कैसे पुरषोत्तम कहलाते हो ???<br /><br />कविता किसी को भी सोचने पर मजबूर कर सकती है<br />पर बात लक्ष्मण रेखा लांघने की है<br />पहले की लक्ष्मण रेखा तो फिर भी असरदार होती थी आज की का पता नहीं<br />रामायण में सबसे मर्यादित तरीके से प्रतीकात्मक रूप इस बात को बताया होगा की लक्ष्मण रेखा लांघने से क्या हो सकता है ???<br />लगता है इसीलिए राम पर सारा इलज़ाम आया है (आज के ज़माने में लक्ष्मण रेखा के मतलब बदल गए हैं ) <br />मैं ऐसा पूछना कभी सही नहीं मानूंगा की माँ सीता ने लक्ष्मण रेखा क्यों लांघी थी ?? (कारण कुछ भी रहे हों ) <br />हम चाहें तो भी इस घटना को स्त्री और पुरुष विभाजित नहीं कर सकते , ये सन्देश मानव( स्त्री पुरुष दोनों) को रहा हैएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-15242740191022072762010-07-20T23:56:11.514+05:302010-07-20T23:56:11.514+05:30तो दर खुल गया, माशाल्लाह,
कल के ही क़तआत आज भी दोह...<i><br />तो दर खुल गया, माशाल्लाह,<br />कल के ही क़तआत आज भी दोहरा रहा हूँ<br /><br />ज़हर पीता हूँ बनामे मैकशी तेरे बगैर<br />बेकरारी बन गयी आवारगी तेरे बगैर<br />यूँ तो तन्हा, झूठे वो ग़म ग़ुसारों का हुज़ूम<br />इक तमाशा बन गयी है ज़िन्दगी तेरे बगैर<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-66331217339193641762010-07-20T22:55:11.012+05:302010-07-20T22:55:11.012+05:30नज़ारे कब बदलते हैं जब खुलतीं हैं खिड़कियाँ
हाँ मौस...नज़ारे कब बदलते हैं जब खुलतीं हैं खिड़कियाँ <br />हाँ मौसम कुछ बदलता है पट बंद होने के बाद <br />kitni sachchi baat kahi ,man ko chhoo gayi .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.com