tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post1790233438155911398..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: चित्त भी मेरी, पट भी मेरी और अंटा मेरे बाप का....हाँ नहीं तो ..!!स्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-40994046737752170992010-10-10T07:33:28.095+05:302010-10-10T07:33:28.095+05:30...... फिर भी हम तो यही कहेंगे
"भारतीय स......... फिर भी हम तो यही कहेंगे <br /><br /> "भारतीय संस्कृति जिंदाबाद" :)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-68818970413640289772010-10-09T16:41:28.964+05:302010-10-09T16:41:28.964+05:30---संतान--पुत्र -पुत्री तो माता के ही होते हैं । म...---संतान--पुत्र -पुत्री तो माता के ही होते हैं । माता को ही पता होता है कि इसका पिता कौन है। दूध भी माता का ही होता है।<br />----माता तो एक ही होती है पर पिता ५ होते हैं---जन्मदाता, विद्यादाता , संस्कारदाता, अन्नदाता( पालक ) व सुरक्षा दाता । इसीलिये प्राचीन भारतीय व्यवस्था में मूलतः माता-पिता दोनों के ही नाम से ही सन्तान पुकारी जाती थी क्योंकि उस समय परिवार में अहं, मेरा-तेरा का भाव ही नहीं था ,माता के नाम से पुकारने के महत्व का एक कारण वहुविवाह व्यवस्था भी थी ।<br />---परावर्ती मध्य कालों में--युद्ध, संहार से समाज/संस्क्रिति के पतन व स्त्रियों और संपत्ति पर स्वामित्व झगडों के कारण पुरुष-सत्तात्मक स्थिति आने पर सिर्फ़ पिता का नाम प्रयोग में आने लगा। shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-51762555138146520472010-10-09T12:28:26.954+05:302010-10-09T12:28:26.954+05:30सत्य तो यही है कि पुत्र माँ का है, पिता का तो विश्...सत्य तो यही है कि पुत्र माँ का है, पिता का तो विश्वास ही है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-37371405641282397862010-10-09T01:28:37.517+05:302010-10-09T01:28:37.517+05:30बहुत ही कमाल की बात कही आपने ..दक्षिण भारत के इतिह...बहुत ही कमाल की बात कही आपने ..दक्षिण भारत के इतिहास में एक शातकर्णी वंश हुआ करता तो जिनके शासक अपने नाम के आगे अपनी माता का नाम लगाते थे जैसे गौतमी पुत्र शातकर्णी ...सही कहा आपने और मुझे तो लगता है कि ये नाम की खूबसूरती को और भी बढा देता हैअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-42473130747377543442010-10-08T23:11:05.137+05:302010-10-08T23:11:05.137+05:30बिल्कूल सही कहा बच्चे पर माँ का हक़ ज्यादा बनता है...बिल्कूल सही कहा बच्चे पर माँ का हक़ ज्यादा बनता है पर वो हक़ हमें मिलता नहीं | उत्तर भारत में तो नहीं पर मुंबई से लेकर दक्षिण भारत में अपने नाम के साथ पिता का नाम लगाने का प्रचलन है माँ का नहीं | हा मै खुद एक दो लोगों को जानती हु जो अपने पिता के साथ ही माँ का नाम भी जोड़ते है और इसके अलावा एक ऐसे व्यक्ति को भी जानती हु जो अपने नाम के साथ सिर्फ माँ का नाम ही लगते है स्वार्थ के कारण क्योकि उन्होंने अपने पिता की जगह माँ के प्रोफेशन को चुना है और माँ उस क्षेत्र में जानी पहचानी जाती है | मतलब की समाज में माँ का नाम ज्यादा जाना पहचाना जाये तो ये परिपाटी भी शुरू हो सकती है स्वतः | यानी पहले माँ को अपनी पहचान बनानी होगी |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-22237956299522128842010-10-08T21:46:40.056+05:302010-10-08T21:46:40.056+05:30अरे अदा जी ! किसने मना किया है जिसका मर्जी नाम लगा...अरे अदा जी ! किसने मना किया है जिसका मर्जी नाम लगाइए .मेरे बच्चे मेरा सरनेम लगाते हैं :) हाँ नहीं तो :).shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-41829950701774854982010-10-08T19:13:47.495+05:302010-10-08T19:13:47.495+05:30gaurav kI shubhkaamanaae lete hue
सबसे पहले तो नवर...gaurav kI shubhkaamanaae lete hue<br />सबसे पहले तो नवरात्रा स्थापना के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं ढेर सारी शुभकामनाएं आपको और आपके पाठकों को <br /><br />aapake bhaav ko pooraN samarthanसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-90818290379359486862010-10-08T19:06:40.748+05:302010-10-08T19:06:40.748+05:30इतिहास में ऐसे एक नहीं अनेक उदाहरण हैं, सत्यकाम जा...इतिहास में ऐसे एक नहीं अनेक उदाहरण हैं, सत्यकाम जाबाल एक ऐसा ही नवयुवक था, जिसकी पहचान उसकी माता के नाम से थी।<br />वैसे पिता का नाम देने का एक और भी कारण हो सकता है, जिसे सत्य और विश्वास में फ़र्क के माध्यम से एक चुटकुले में भी समझाया गया है।<br />बहरहाल, आईडिया बुरा नहीं है और अली साहब ने तो फ़ेहरिस्त भी पेश की है, नोश फ़रमाईये। After all charity begins at home.<br />माली और पेड़ का उदाहरण मस्त है।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-42651097213552318342010-10-08T18:15:01.475+05:302010-10-08T18:15:01.475+05:30और एक बात बोलूं इस तरह से अगर किसी को संबोधित किया...और एक बात बोलूं <b>इस तरह से अगर किसी को संबोधित किया जाये तो उस पर बेहद अच्छा साइकोजिकल इफेक्ट भी होता होगा<br />माँ का नाम अपने नाम के आगे सुनना बेहद ... बेहद सुन्दर अनुभव होता होगा , जो मन को शीतल करता है और भावनाओं को संतुलित .... </b> <br /><br />लेकिन दीदी लोग भारत की संस्कृति अपनाना ही कहाँ चाहते हैं , अगर कोई कहता/कहती है तो ऐसे बोलते हैं "भारतीय संस्कृति का रक्षक आ गया/गयी है " :(<br />जैसे तो कोई रूढ़ीवादी आ गया हो और कहने वालों को ना तो विज्ञान की समझ होती है न कोई विशेष ज्ञान<br />मैं अनुभव से कह रहा हूँ :(एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-19094796060240686342010-10-08T17:59:48.953+05:302010-10-08T17:59:48.953+05:30आपकी बातें बिल्कुल सही हैं। अब तो विद्यालयों की पं...आपकी बातें बिल्कुल सही हैं। अब तो विद्यालयों की पंजियों और अंक सूचियों में मां के नाम का भी उल्लेख अनिवार्य है।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-75920965461225804452010-10-08T17:39:51.252+05:302010-10-08T17:39:51.252+05:30दीदी ,
सबसे पहले तो नवरात्रा स्थापना के अवसर पर हा...<b><br />दीदी ,<br />सबसे पहले तो नवरात्रा स्थापना के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं ढेर सारी शुभकामनाएं आपको और आपके पाठकों को <br /><br />शानदार .. जानदार ...बेहतरीन ....... लेख<br />हमारा पूरा पूरा समर्थन है आपको </b>एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-35356315059192951692010-10-08T16:45:10.411+05:302010-10-08T16:45:10.411+05:30आपको नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएं .आपको नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएं .संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-72308407330441119282010-10-08T14:31:43.668+05:302010-10-08T14:31:43.668+05:30बहुत सोचपरक विचारणीय पोस्ट प्रस्तुति.....आभारबहुत सोचपरक विचारणीय पोस्ट प्रस्तुति.....आभारसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-74996129395718684182010-10-08T13:44:37.311+05:302010-10-08T13:44:37.311+05:30बढिया !!बढिया !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-24667950650169027472010-10-08T10:41:51.467+05:302010-10-08T10:41:51.467+05:30हा हा हा ..बिल्कुल सही कहा आपने...
आपको नवरात्र क...हा हा हा ..बिल्कुल सही कहा आपने...<br /><br />आपको नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएं ....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-83182298462383913632010-10-08T10:33:33.190+05:302010-10-08T10:33:33.190+05:30आपने तो बस हर माँ के मन की बात कह डाली..... और क्य...आपने तो बस हर माँ के मन की बात कह डाली..... और क्या कहूं.....? डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-56460212164635002402010-10-08T08:58:32.337+05:302010-10-08T08:58:32.337+05:30:-)
हां नही तो!!!:-)<br /><br />हां नही तो!!!Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-46865291813878137832010-10-08T08:50:19.972+05:302010-10-08T08:50:19.972+05:30सौ फीसदी सहमत ! मैंने तो खयाली घोड़े भी दौड़ा दिए ...सौ फीसदी सहमत ! मैंने तो खयाली घोड़े भी दौड़ा दिए हैं :)<br /><br />स्वप्न = स्वप्नेय , स्वप्नात्मज , स्वप्नात्मजा ,...?<br />मंजूषा = मंजूषेय , मंजूषात्मज , मंजूषात्मजा ,...?<br />शैल = शैलेय , शैलात्मज , शैलात्मजा ,...? <br />अदा = अदेय , अदात्मज , अदात्मजा ,...?उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-31801890849473957692010-10-08T07:06:53.654+05:302010-10-08T07:06:53.654+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति। नवरात्रा की हार्दिक शुभकामना...<b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। नवरात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं!</b>हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-15989227989909474722010-10-08T06:05:51.814+05:302010-10-08T06:05:51.814+05:30सोलह आने सही बात!!! हाँ नहीं तो...! :-)सोलह आने सही बात!!! हाँ नहीं तो...! :-)Anjana Dayal de Prewitt (Gudia)https://www.blogger.com/profile/13896147864138128006noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-22514192873891359352010-10-08T05:58:32.692+05:302010-10-08T05:58:32.692+05:30क्यूँ नहीं..मैडन नेम इसी से तो प्रचलन में आया होगा...क्यूँ नहीं..मैडन नेम इसी से तो प्रचलन में आया होगा...अब तो बहुतेरे स्कूलों में भी बाप का नाम नहीं लिखते..सिर्फ माँ का लिखा जाता है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-22140266730551872912010-10-08T05:46:35.056+05:302010-10-08T05:46:35.056+05:30बिल्कुल सही । हां नही तो ..। पर क्या फरक पडता है ।...बिल्कुल सही । हां नही तो ..। पर क्या फरक पडता है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.com