tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post1301671954263396255..comments2024-03-13T13:33:28.274+05:30Comments on काव्य मंजूषा: नारीवाद एक आन्दोलन ...! स्वप्न मञ्जूषा http://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comBlogger51125tag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-35453653530282340982013-05-03T18:50:08.665+05:302013-05-03T18:50:08.665+05:30बहुत बढ़िया सार्थक चिंतन भरी प्रस्तुति बहुत बढ़िया सार्थक चिंतन भरी प्रस्तुति कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-55411749641760442212013-05-02T18:36:05.758+05:302013-05-02T18:36:05.758+05:30गिरिधारी जी,
पश्चिम के सिर पर अपने दोषों का ठीकरा ...गिरिधारी जी,<br />पश्चिम के सिर पर अपने दोषों का ठीकरा फोड़ना तो आज का फैशन हो गया है भारत में । ये वही लोग हैं जो पश्चिम को दोष देने से पहले, पैंट-शर्ट, सूट, जूते, टाई जैकेट पहन लेते हैं, जिनके बच्चे अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ते हैं। हर घर में अंग्रेजियत का माहौल है हिन्दुस्तान में, जिसे अपना कर गर्व महसूस करते हैं सभी, स्टेटस सिम्बल माना जाता है यह भारतीय समाज में। लेकिन पहली फुर्सत में पश्चिम को गाली दे देना इनका अधिकार भी होता है और कर्तव्य भी। पश्चिम की कृपा नहीं होती तो जो लोग ब्लॉग्गिंग ही कर रहे हैं लोग, क्या वो कर पाते ? आज हम देवनागरी लिपि अपने कंप्यूटर में देख रहे हैं, क्या ये देख पाते ? लेकिन पश्चिम के प्रति कृतज्ञता का एक शब्द भी कहना इनके लिए भारी पड़ता है। <br />भारतीय संस्कृति का बिगुल बजाने से पहले आईने के सामने एक बार खड़े होने की आवश्यकता है उनको, देखें खुद को कि वो कितने भारतीय संस्कृति को पहन ओढ़ कर खड़े हैं। जब फ़ायदा उठाते हैं तो पश्चिम का ज़िक्र तक नहीं करते, और जब उलूल-जूलूल बातें अपना कर खुद की भद्द पिटवाते हैं तो पश्चिम को खरी-खोटी सुनाते हैं। हाँ यही एक बात है, जो विशुद्ध भारतीय मानसिकता है :) <br />आपका बहुत धन्यवाद आपने अपनी बात हम सब तक पहुँचाई।स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-67247672538850628022013-05-02T16:38:07.215+05:302013-05-02T16:38:07.215+05:30हर बात का उदगम पश्चिम को मानना एक भंयकर भ्रम है, भ...हर बात का उदगम पश्चिम को मानना एक भंयकर भ्रम है, भारतीय संस्कृति का ह्रास तो लगभग 1000 वर्षो की गुलामी से हुआ। गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-66112392536460860562013-04-21T03:34:10.297+05:302013-04-21T03:34:10.297+05:30आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ। आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ। स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-13096497325297249002013-04-21T03:23:33.652+05:302013-04-21T03:23:33.652+05:30आपका ऐसा कहना बहुत मायने रखता है मेरे लिए !
आपका ऐसा कहना बहुत मायने रखता है मेरे लिए !<br />स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-9624381320631365812013-04-21T03:22:27.811+05:302013-04-21T03:22:27.811+05:30निर्झर टाईम्स मेरे लिए नयी जगह थी, आपका काम प्रशंस...निर्झर टाईम्स मेरे लिए नयी जगह थी, आपका काम प्रशंसनीय है।स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-22603418601148720372013-04-21T03:19:50.874+05:302013-04-21T03:19:50.874+05:30आपका आभार वंदना जी !आपका आभार वंदना जी !स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-26065159719680336812013-04-21T02:11:06.707+05:302013-04-21T02:11:06.707+05:30जब भी नारी अपने व्यक्तित्व को अक्षुणण रखने का प्रय...जब भी नारी अपने व्यक्तित्व को अक्षुणण रखने का प्रयत्न करती है ,सामाजिक स्तर पर व्यक्ति के रूप में स्वीकृति चाहती है ,कभी आरोप लगाकर ,धर्म और परंपराओं का नाम लेकर, हँसी उड़ाकर कर कई प्रकार के आरोपों मे उलझा कर या धमका कर उसे विरत करने की कोशिशें पुरुष-प्रधान समाज में शुरू हो जाती है.पुरुष होने का अहं पाले लोग भयंकर अत्याचार करने से भी नहीं चूकते और ऐसी मानसिकता लोग व्यंग्य-बाण ,और ज़हरीले बोल बोल कर अपनी अरुचि दर्शाते हैं,बौखलाहट में सामान्य शिष्टाचार भी भूल जाते हैं ,या स्त्री से बात करने में सभ्य-आचरण रखने में उनकी शान घटती है.बेतुके तर्कों में उलझा कर डाइवर्ट या उत्तेजित करना चाहते हैं.ऐसी स्थितियों में अन्याय के विरोध के स्वर तीखे हो जाएं,प्रतिकार के लिये कुछ दिशान्तरण भी हो जाय पर,परिवार और संतान के हित पर नारी किसी प्रकार आँच नहीं आने देती.<br />लोग बात को कहीं भी मोड़ लें, विवाद खड़े कर लें सब ऊपरी आरोपण हैं अंतर्निहित तत्व है- समान स्तर पर अपनी स्वीकृति और मानवोचित न्याय ! प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-89155145097573416352013-04-21T01:37:59.447+05:302013-04-21T01:37:59.447+05:30अच्छा लेख है..सोचने अपर मजबूर करता हुआ अच्छा लेख है..सोचने अपर मजबूर करता हुआ Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-19815459315718441782013-04-20T17:14:27.892+05:302013-04-20T17:14:27.892+05:30आदरेया आपका यह गहन शोधात्मक लेख 'निर्झर टाइम्स...आदरेया आपका यह गहन शोधात्मक लेख 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक किया गया है। कृपया http://nirjhar-times.blogspot.com पर अवलोकन करें। आपका सुझाव/प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित हैVindu babuhttps://www.blogger.com/profile/11965183591803020118noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-14407691498890067612013-04-15T03:59:51.501+05:302013-04-15T03:59:51.501+05:30रंजना जी,
स्वागत है आपका।
सहमत हूँ आपकी बातों से।
...रंजना जी,<br />स्वागत है आपका।<br />सहमत हूँ आपकी बातों से।<br />धन्यवाद !स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-78859055834974042332013-04-15T03:59:28.748+05:302013-04-15T03:59:28.748+05:30संतुलित टिप्पणी :) संतुलित टिप्पणी :) स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-87066617393244075882013-04-14T18:02:47.997+05:302013-04-14T18:02:47.997+05:30अनुभव का आभाव कह लीजिये। नारी को जो भी स्वरूप देखा...अनुभव का आभाव कह लीजिये। नारी को जो भी स्वरूप देखा है, वह परिवार के भीतर ही देखा है। वहाँ जो सीखा है, वही विचारों में गुंथा है। वैयक्तिक आधार पर उसका विश्लेषण करना कठिन रहा है, सदा से। हाँ, सामाजिक जीवन में तो नारी के प्रति सम्मान के अतिरिक्त कुछ सूझा ही नहीं। परिवार से इतर नारियों का विषय उद्वेलित करता है, पर समाधान उस मार्ग कभी नहीं जाता जहाँ परिवार का भी आधार दरकने लगे।<br /><br />अपने विचार निश्चय लिखूँगा, संघनित होने के बाद। बस अभी कतरा रहा हूँ, आशा है आप क्षमा कर देंगी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-15836960973292826082013-04-14T15:01:39.764+05:302013-04-14T15:01:39.764+05:30संतुलित लेख :) संतुलित लेख :) मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-83417245545415896182013-04-14T12:27:23.218+05:302013-04-14T12:27:23.218+05:30आपने सही कहा है नारीवाद का मतलब "स्वैच्छिक ना...आपने सही कहा है नारीवाद का मतलब "स्वैच्छिक नारीवाद" नहीं है बल्कि मतलब है वो नारी जो अपने अधिकार के साथ साथ अपने कर्तव्य को अब ज्यादा अच्छी तरह से समझने लगी है. बच्चों के पालन पोषण के साथ साथ अपने पति के कदम से कदम मिलाकर चल रही है इससे फ़ायदा पुरुष समाज को भी है. हर तरह से वो हेल्प कर रही पति को भी. पुरुष को तो नारीवाद में हंड्रेड परसेंट साथ देना चाहिए. जहाँ आज की नारी अपने अधिकार के साथ साथ अपने कर्तव्य को बखूबी समझने लगी है और वो अपनी सीमा भी जानती है.<br />नारीवाद पुरुषों को घायल करने लिए तलवार काम नहीं करती है बल्कि अगर किसी नारी के साथ अन्याय हुआ है और वह अपेक्षित है और न्याय के लिए अकेले लड़ना कुछ कठिन हो रहा हो तो उसके लिए हथियार का काम जरुर करती है तो नारीवाद क्या बुरा है ?? वो अगर बाहर की नारियों में शक्ति भरने और अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की ताकत भर रही है तो कोई बताये क्या गलत कर रही है?<br />Ranjana vermahttps://www.blogger.com/profile/18228698425578643882noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-88065585199037564412013-04-14T11:44:01.641+05:302013-04-14T11:44:01.641+05:30This comment has been removed by the author.Ranjana vermahttps://www.blogger.com/profile/18228698425578643882noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-4819624584675057822013-04-14T09:14:51.807+05:302013-04-14T09:14:51.807+05:30सरिता जी,
आभारी हूँ ! सरिता जी,<br />आभारी हूँ ! स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-63578439763811797002013-04-14T09:13:03.086+05:302013-04-14T09:13:03.086+05:30धन्यवाद प्रतिभा !धन्यवाद प्रतिभा !स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-79453147419504681572013-04-14T09:09:21.128+05:302013-04-14T09:09:21.128+05:30मेरी बात का भी मतलब यही है ...फायदा कम नुकसान ज्या...मेरी बात का भी मतलब यही है ...फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ ही है डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-81828958411919405072013-04-14T09:04:16.220+05:302013-04-14T09:04:16.220+05:30मैंने अभी-अभी यही बात ऊपर अपनी प्रति-टिप्पणी में क...मैंने अभी-अभी यही बात ऊपर अपनी प्रति-टिप्पणी में कही है। इस बात से इनकार नहीं कि कम से कम भारत में सफलता सफलता पाने के लिए, सांस्कृतिक-सामंजस्य की आवश्यकता है। <br />लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं होना चाहिए, आज समाज में पुरुष जिन स्रोतों से ताकत, सम्मान, आत्मविश्वास हासिल कर पाता है, उन्हीं स्रोतों की आवश्यकता नारी को भी है। आज पुरुष-समाज से दो टूक सवाल करती हूँ कि पिता-भाई के रूप में क्या आपने अपनी बेटी और बहन को परिवार की जायदाद में हिस्सा दिया ? अगर पिता-भाई के रूप में ही पुरुष ईमानदार और न्यायप्रिय नहीं हैं, तो उनकी बेटियां-बहनें अबलायें ही तो बनी रहेंगी। नारी के लिए ससुराल और समाज में बिना किसी हैसियत की बनने की प्रक्रिया मायके से ही शुरू होती है, जब माँ-बाप बेटी की शिक्षा के प्रति उदासीन रहते हैं, आत्मनिर्भर होने के लिए पिता की संपत्ति में पिता और भाई ही हक नहीं देते हैं, तो नारी की स्थिति कैसे सुधरेगी ??? अगर औरत इनसे लैस रहे तो ससुराल क्या पूरे समाज के आगे ससम्मान ज़िन्दगी जी सकती है, लेकिन अगर पिता ही ने उसे इन में आभावों से अपाहिज बना दिया हो तो क्या मायका, क्या ससुराल और क्या बाहर की दुनिया ! सभी जगह उसे समझौते ही करने पड़ेंगे । फिर आप आत्मसम्मान, आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता पर जितनी मर्ज़ी भाषण दे दे, उसका भला नहीं होने वाला। देह-उह दिखाने की बात ही एक चक्रव्यूह है, नारी इस में फंसकर मुद्दे से न भटके, मैं तो यही कहूँगी। स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-26655478143311296472013-04-14T08:53:44.549+05:302013-04-14T08:53:44.549+05:30संतुलित और समंजित लेख के लिए बधाई संतुलित और समंजित लेख के लिए बधाई Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-26108248868511035052013-04-14T08:43:03.481+05:302013-04-14T08:43:03.481+05:30बहुत सुंदर परिभाषाओं के साथ नारीवाद का चित्रण किया...बहुत सुंदर परिभाषाओं के साथ नारीवाद का चित्रण किया है <br />सादर <br />मेरे अंगना भी पधारें <br /><a href="guzarish66.blogspot.in" rel="nofollow">''माँ वैष्णो देवी ''</a>Guzarishhttps://www.blogger.com/profile/11205127840621066197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-88363609662700062202013-04-14T08:38:12.107+05:302013-04-14T08:38:12.107+05:30मोनिका जी,
इस आन्दोलन की अब तक तक की असफलता का सब...मोनिका जी, <br />इस आन्दोलन की अब तक तक की असफलता का सबसे बड़ा कारण है, नारीवादियों का दिग्भ्रमित होना। पश्चिम का अन्धानुकरण, उनमें से एक बात है,जो बातें पश्चिम के लिए सही हैं वो पूरब के लिए भी सही हों, कोई ज़रूरी नहीं है। ये तो बिलकुल आम और अमरुद को एक जैसा समझने वाली बात है। नारीवादियों को सांस्कृतिक-सामंजस्य तो बनाना ही होगा, वर्ना फायदा कम नुक्सान ज्यादा है।स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-74888878121403406812013-04-14T08:32:18.576+05:302013-04-14T08:32:18.576+05:30टिप्पणी करने से आपका बचना बिलकुल समझ में आता है। न...टिप्पणी करने से आपका बचना बिलकुल समझ में आता है। नो प्रॉब्लम :) स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6781060934347160913.post-77994290200174516062013-04-14T08:29:08.201+05:302013-04-14T08:29:08.201+05:30बहुत सुन्दर लेख लिखा है आपने। साधुवाद! एक बात आपने...बहुत सुन्दर लेख लिखा है आपने। साधुवाद! एक बात आपने बहुत अच्छे से उकेरी है जो महत्वपूर्ण है कि परिवार के साथ रहकर परिवार के पुरूष की सोच में परिवर्तन करना सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन है जिसमें नारी सफल भी हो रही है।<br />तथाकथित नारीवादी लोगों को यह बात समझनी होगी कि शराब पीने या देह दिखाने की स्वतंत्रता नारी स्वातंत्रय की प्रतीक नहीं है वरन पितृसत्तात्मक सोच का ही आधुनिक नारीवादी रूप है। मूल रूप से देखें तो परिवार के मसलों में अपना पक्ष रखने का अधिकार तथा हमबिस्तर होने के लिए न कहने का अधिकार नारी को मिलना चाहिए। नारी स्वातंत्रय की शुरूआत यहीं से हो सकती है।<br />इस सुन्दर लेख के लिए आपका साधुवाद और बधाई!<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07070644113445916071noreply@blogger.com