Thursday, June 16, 2011

रंगदारों की नयी खेप....

आज अभी हिथरो एयर पोर्ट में हूँ...पूरे १४ घंटे बैठना है मुझे यहाँ...लगे हाथों एक कविता ही लिख दी...इस कविता की पृष्ठभूमि भी बता देती हूँ...अभी दस दिन पहले जब रांची में थी तो हवाओं में इस तरह की खबर बहुत जोर-शोर से गूँज रही थी कि आज कल पत्रकार ख़बरों का सौदा करते हैं और लाखों कमाते हैं...जैसे किसी पत्रकार ने धोनी को कहीं बैठ कर कुछ दवा-दारु पीते हुए देखा और तस्वीर खींच ली...उस तस्वीर से ब्लैक मेल करके अब वो किसी बड़े चैनेल में पत्रकार हो गया है..क्योंकि उसने धोनी से कहा अगर आपने मुझे किसी बड़े चैनेल में मेरी नौकरी नहीं लगवाई तो ये फोटो छप जायेगी....मरता क्या न करता...धोनी को बात मनानी पड़ी...बेचारा धोनी...!

आज कल हर जगह ये,
खर-पतवार नज़र आते हैं
जो कुछ नहीं बन पाते
वो बस यही बन जाते हैं
जब जी चाहे पत्रकारिता की
जम कर वाट लगाते हैं
तथस्तता से कोसों दूर
बे-पर की सिर्फ उड़ाते हैं
गला सच्चाई का प्रतिदिन
बड़े शौक से दबाते हैं
हकीक़त की बिसात ही क्या
ये लतियाते धकियाते हैं
दूरसंचार के खेत बड़े हैं
हर किसिम की ख़बर उगाते हैं
रंगदारों की नयी खेप अब
पत्रकार कहाते हैं
हाँ नहीं तो ..!

वादियाँ मेरा दामन....'अदा'




















Tuesday, June 14, 2011

जब तक तुम मिलो हमसे, न उम्र की शाम हो जाए....

जब तक तुम मिलो हमसे, न उम्र की शाम हो जाए
ज़िक्र तेरा करूँ ख़ुद से, और चर्चा आम हो जाए

तुझे मिलने की ख्वाहिश और तमन्ना दिल पे तारी है
ख़्वाबों और हक़ीकत में, न क़त्ले आम हो जाए

दहाने ज़ख्म के दिल के, ज़िन्दगी सोग करती है 
हुनर ये ज़िन्दगी का है, पर दिल गुलफाम हो जाए

वो बारिश जो कभी खुल कर, खुली छत पर बरसती है 
मेरे कमरे में भी बरसे तो, मेरा काम हो जाए 

करिश्मा ग़र कोई ऐसा, मेरा क़ातिल ही कर जाए 
मेरे ख़ूने जिगर से ही, सही इक जाम हो जाए 

तेरे सीने से लगने दे, मेरे हमदम मेरे साथी 
के दिल के कुछ फफोलों को, ज़रा आराम हो जाए  

आवाज़ 'अदा' की....
जो हमने दास्ताँ अपनी सुनाई




Sunday, June 12, 2011

'ख़ुशी का रहस्य क्या है' ?

पिछले १०-१२ दिन भारत में रह कर आई हूँ....वहाँ बहुत ज्यादा ख़ुशी मिली मुझे...सोचती रही आखिर इतनी खुश क्यूँ थी मैं वहाँ ...लगे हाथों एक आलेख भी हाथ लग गया..सोचा क्यूँ न आपलोगों से इसे साझा किया जाए...
यह आलेख निम्नलिखित साईट से लिया गया है :
http://www.bbc.co.uk/hindi/news/030106_mg_happinessformula.shtml

वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने एक ऐसे रहस्य को  सुलझा लिया है जो हमेशा - हमेशा से मनुष्य को परेशान करता आ रहा है.
'ख़ुशी का रहस्य क्या है' ?
आप कहेंगे ये तो बहुत ही आसान है. ख़ुशी का मतलब है सच्चा प्यार, ढेर सारी दौलत या फिर एक बढ़िया सी नौकरी.
जी नहीं, वैज्ञानिकों के मुताबिक ख़ुशी का फॉर्मूला है -
ख़ुशी = P + ( 5 x E) + ( 3 x H )
इस फॉर्मूले में P का मतलब है - पर्सनल कैरेक्टरिस्टिक यानि इंसान के व्यक्तिगत लक्षण जिसमें शामिल है ज़िंदगी के प्रति रवैया, लचीलापन और ख़ुद को हालात के मुताबिक ढालने की क्षमता.
E का मतलब है - एक्ज़िस्टेंस यानि अस्तित्व जो जुड़ा है सेहत, आर्थिक स्थिति और दोस्तों से.
और H का मतलब है - हायर ऑर्डर नीड्स यानि आत्मसम्मान, अपेक्षा, महत्त्वाकांक्षा और हँसने - हँसाने की कला जैसी ज़रूरतें.
तो ये फॉर्मूला है ख़ुशी का जिसे वैज्ञानिकों ने 1000 लोगों से बातचीत करने के बाद तैयार किया है.


ख़ुशी का फॉर्मुला निकालने वाले वैज्ञानिक पीट कोहेन
फॉर्मूला तैयार करने वाले लाइफ कोच पीट कोहेन मानते हैं कि ये समीकरण ज़्यादातर लोगों की समझ में नहीं आयेगा. पर है ये आसान से कुछ सवालों पर आधारित -
• क्या आप मिलनसार, चुस्त और ज़िंदगी के प्रति लचीला रवैया रखने वाले इंसान हैं ?
• क्या आपका रुख सकारात्मक है और आप झटकों से जल्दी उबर कर महसूस करते हैं कि ज़िंदगी आपके नियंत्रण में है ?
• क्या सेहत, आर्थिक हालत और सुरक्षा जैसी आपकी बुनियादी ज़रूरतें पूरी हैं ?
• क्या आप अपने नज़दीकी लोगों पर निर्भर कर सकते हैं, क्या आप अपनी अपेक्षाएं पूरी कर पाते हैं और क्या आप हर काम पूरी लगन से करते हैं ?
हर सवाल का जवाब 1 से 10 के स्केल पर देना होता है. 1 का मतलब है बिल्कुल नहीं और 10 का मतलब है बहुत ज़्यादा.
अपने फॉर्मूले में P का आंकड़ा निकालने के लिये पहले और दूसरे जवाबों को जमा कीजिये. तीसरे सवाल का जवाब आपका E होगा और चौथा जवाब होगा H की क़ीमत.
बस, फॉर्मूले में ये आंकड़े भरिये और पता लगाइये कि कौन कितना ख़ुश है.
पीट कोहेन के मुताबिक ज़्यादातर लोग नहीं जानते कि ख़ुशी क्या है. वो समझते हैं कि ख़ुशी मिलती है बहुत सारे पैसे से, बड़े से घर या बढ़िया मकान से. लेकिन सच ये है कि कई लोग ये सब होते हुये भी ख़ुश नहीं हैं और बहुत से इस सब के बग़ैर भी ख़ुश हैं और ज़िंदगी का मज़ा लेते हैं.

कोहेन के मुताबिक ब्रिटेन के लोग दुखी रहने में सबसे आगे हैं क्योंकि वो नकारात्मक चीज़ों पर ज़्यादा ध्यान देते हैं जैसे क्या ग़लत है या उनके पास क्या नहीं है.
वैज्ञानिकों ने ये भी पाया कि पुरुषों और महिलाओं के लिये अलग - अलग चीज़ें अहम हैं.
10 में से 4 ने बताया कि उन्हें सेक्स में ख़ुशी मिलती है जबकि 3 को उनकी पसंदीदा टीम की जीत में ख़ुशी मिलती है.
10 में से 7 महिलाओं को ख़ुशी मिलती है अपने परिवार के साथ जबकि 4 में से 1 को वज़न कम करने में ख़ुशी मिलती है.